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कविता : हवाएं करती हैं प्रतीक्षा

कविता : हवाएं करती हैं प्रतीक्षा - Hindi Kavita Pratiksha
हवाएं करती हैं प्रतीक्षा
किसी सुगंध के आने की 
ताकि वो भी सुगंधित हो सकें
चांद करता है प्रतीक्षा
अमावस के चले जाने का
ताकि वो भी चमक सके
और हम में से हरेक
करता है प्रतीक्षा
कुछ ऐसा सच हो जाने का
जो कल्पनाओं में है
जो सपनों में है
वो सपने जो हम देखते हैं
खुली आंखों से
बंद आंखों के सपने तो बस
सपने ही रह जाते हैं जिनके
पंख होते हैं
बंद आंखों के सपने पंछी होते हैं..!!
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