हिन्दी दिवस पर कविता : संकल्प
अंग्रेजी के शब्दों से हो रहा
हिंदी के इंद्रधनुष-सी
साहित्य शाला का रंग फीका
मानव देख रहा धुंधलाई आंखों से
और व्यथित मन सोच रहा
लिखने/पढ़ने में क्यों? बढ़ने लगे
हिंदी में अंग्रेजी के मिलावट के खेमे
शायद, मिलावट के प्रदूषण ने
हिंदी को बंधक बना रखा हो
तभी तो हिंदी सिसक-सिसक कर
हिंदी शब्दों की जगह
गिराने लगी लिखने/पढ़ने /बोलने में
तेजाबी अंग्रेजी आंसू
साहित्य से उत्पन्न मानव अभिलाषा
मर चुकी है अंग्रेजी के वायरस से
कुछ बची वो स्वच्छ ओस-सी बैठी है
हिंदी
विद्वानों की जुबां पर
सोच रही है आने वाले कल का
हिंदी लिखने/पढ़ने/बोलने से ही तो कल है
हिंदी से ही मीठी जुबां का हर एक पल है
संकल्प लेना होगा - हिंदी लिखने /पढ़ने/बोलने का आज
हिंदी को बचाने का होगा ये ही एक राज