मीठी सी आवाज का राज, अब आपके पास
आवाज की दुनिया के हर दोस्त को पढ़ना चाहिए यह
-डॉ. विजय चौरड़िया
अच्छी आवाज व्यक्तित्व का एक हिस्सा होती है। इस संचार के युग में अच्छी वाणी हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। वाणी की मधुरता एवं देखभाल हेतु निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना जरूरी एवं महत्वपूर्ण हो गया है, खासकर व्यावसायिक दृष्टि से वाणी प्रयोग करने वालों को। आवाज ही जिनका व्यवसाय है, आवाज से ही जो अपने प्रोफेशन में प्रसिद्ध हैं और जो आवाज को अपना रोजगार बनाने की चाह रखते हैं, वे यहां दी जा रही बातों पर अमल करें-
खान-पान : खान-पान पर नियंत्रण जरूरी है। गलत दिनचर्या एवं खान-पान की वजह से पेट का अम्ल गले में आने (रिप्लक्स) की शिकायत हो सकती है, जो गले के अंदर के स्राव को परिवर्तित करने के साथ स्वर यंत्र की हल्की सूजन का कारण भी हो सकती है।
रिप्लक्स के ऐसे मरीजों को गले में कुछ अटकना, बार-बार गला साफ करना, लंबी मियाद की खांसी, जीभ पर जमाव, बार-बार ब्रोंकाइटिस जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
जिन लोगों की वाणी ही व्यवसाय हो, उन्हें अधिक मिर्च-मसाले, तेलयुक्त खाना, अधिक चाय, कॉफी, शीतल पेय एवं शराब नहीं लेनी चाहिए। सादा भोजन करें, चॉकलेट, सूखे फल आदि भोजन के पूर्व न लें। पान, पान मसाला, तंबाकू, गुटखा आदि न लें।
श्वास : सामान्य रूप से श्वास लेना अच्छी आवाज के लिए जरूरी होता है, क्योंकि नाक में श्वास छनती है, गरम होती है एवं इसे उपयुक्त नमी मिलती है। नाक बंद रहने, नाक गरम या साइनस की तकलीफ हेतु विशेषज्ञ से उपचार लें।
सूखी, ठंडी एवं गरम हवा दोनों ही नाक, गले के स्रावों को प्रभावित करती है एवं आवाज ठीक से नहीं निकलती, खांसी भी होती है। इसी प्रकार मुंह से श्वास लेना, तेज पंखे के सीधे नीचे या सामने सोना भी ठीक नहीं होता। वातानुकूलित वातावरण में रहना अच्छी आवाज के लिए फायदेमंद है। ठंडे वातावरण से गरम वातावरण में कुछ समय रुककर जाएं।
युवा सिंगर्स के लिए सावधानियां
* धूल एवं धूलयुक्त वातावरण से यथासंभव बचें, धूम्रपान न करें। यदि मंच पर धुआं हो तो वेंटीलेशन सिस्टम या धुआं अवशोषित करने वाला यंत्र लगाएं। तेज सर्दी, एक्यूट एलर्जी, नाक-गले या संवेगी संक्रमण के दौरान गायन कार्यक्रम न दें। नाक की एलर्जी से ग्रसित लोग धूल, धुएं, माइट्स, फफूंद एवं पराग कण आदि एलर्जन्स को नियंत्रित करने हेतु उपाय करें। अधिक मेकअप, बालों के या फिक्सिंग या अन्य प्रकार के स्प्रे बहुत साधवानी से एवं कम उपयोग में लाएं। शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही तनाव आवाज को दुष्प्रभावित करते हैं।
किसी भी कार्यक्रम प्रस्तुति से पहले पूरी नींद, आराम एवं रिहर्सल जरूर करें। खासकर लंबी हवाई यात्रा के बाद थकान को दूर करना चाहिए। गायन, भजन, व्याख्यान एवं बातचीत के दौरान गला न सूखने दें। बीच-बीच में पानी के घूंट पिएं। हल्का, गुनगुना, शहदयुक्त पानी कार्यक्रम के दौरान निरंतर पीते रहें। एक ही समय पर लगातार 45 मिनट से ज्यादा आवाज का प्रयोग न करें। भीड़ या अधिक श्रोताओं के समक्ष भाषण देते वक्त माइक्रोफोन का प्रयोग करें।
सभागृह की एकोस्टिक्स उपयुक्त हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। गायकों या व्यावसायिक वाणी प्रयोग करने वालों को भी भीड़ भरी, शोरगुल वाली पार्टियों से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोर-जोर से बात करनी पड़ती है, जिससे स्वर यंत्र पर तनाव आता है।
* बार-बार गला साफ करने की आदत न डालें, उपयुक्त इलाज लें। जोर-जोर से बोलने, चीखने-चिल्लाने एवं तनावपूर्ण ढंग से आवाज निकालने से बचें। ख्याल रखें कि खेल-खेल में बच्चे अधिक चीखें-चिल्लाएं नहीं।
* हमेशा तनावरहित, रिलैक्स होकर धीरे-धीरे बात करें। सिर एवं गर्दन को गायन या बोलचाल के दौरान सीधा रखें। यदि गर्दन की मांसपेंशियों में दर्द या ऐंठन है तो मालिश करें।
* हमेशा दो फीट की दूरी से बात करें। फुसफुसाएं नहीं। पेट एवं श्वसन की कसरतें नियमित करें। गाने या बोलने से पूर्व श्वास न रोकें। वजन नियंत्रित रखें, वजन ज्यादा कम करने से आवाज प्रभावित हो जाती है।
* जब कभी आपकी आवाज कर्कश होती है या फटापन आता है तो बातचीत बिल्कुल कम करें, अतिआवश्यक होने पर धीरे-धीरे बोलें।
* बढ़ती उम्र के कारण आवाज प्रभावित न हो, इस हेतु शारीरिक एवं श्वसन तंत्र की कसरत नियमित करना चाहिए। खान-पान नियमित हो, आवाज का नियमित अभ्यास करें व दाँत गिरने का उपयुक्त इलाज करें।
* व्यावसायिक रूप से वाणी प्रयोग करने वाले हर व्यक्ति खासकर पॉप सिंगर्स को नियमित ईएनटी चेकअप करवाते रहना चाहिए। आवाज-नाक-सायनस-गले एवं दाँतों की पीड़ाओं के लिए परामर्श एवं उपयुक्त इलाज कराएं, नाक की एलर्जी है तो रोकथाम के उपाय करें।
यह हानिकारक है
अनियमित दिनचर्या, खलबली पूर्ण सामाजिक मेल-जोल, फुसफुसाना, चीखना-चिल्लाना, तनावपूर्ण ढंग से आवाज निकालना, बार-बार गला साफ करना। अचानक वजन कम करना, मुंह से श्वास लेना, पंखे के सीधे नीचे या सामने सोना। अधिक मिर्च-मसाले एवं तेलयुक्त खाना, अधिक चाय-कॉफी-शीतलपेय। ज्यादा भूखा रहना।
लाभदायक क्या है
* दो से अधिक बार खाना (एक समय में भरपेट न खाएं), प्रत्येक बार खान-पान के पश्चात कुल्लें करें, शुद्ध पानी हमेशा साथ रखना, नीबू का रस एवं हर्बल चाय, वातानुकूलित वातावरण, धूल-धुएं से बचना, पेट एवं श्वसन की नियमित कसरत।