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हरिद्वार कुंभ मेले में ऐसे वस्त्र पहनकर ना जाएं

Kumbh Clothing Rules | हरिद्वार कुंभ मेले में ऐसे वस्त्र पहनकर ना जाएं
हरिद्वार में कुंभ मेला का आयोजन चल रहा है। हिन्दू धर्म के लिए यह बहुत ही पवित्र समय होता है। कुंभ ही एक मात्र ऐसा पर्व होता है जबकि देशभर के साधु संत एकत्रित होते हैं और साथ ही लघु भारत वहां देखने को मिलता है। ऐसे में कुंभ में स्नान करने, संतों के दर्शन करने और कुंभ आराधना करने के भी कुछ नियम होते हैं। उन्हीं में से एक होता है वस्त्र पहनने का नियम। संक्षिप्त में जान लें कि किस तरह के वस्त्र पहने और किस तरह के नहीं।

 
ऐसे वस्त्र ना पहनें : 
1. कुंभ एक पवित्र मेला और तीर्थ क्षेत्र होता है। यहां पर भड़किले वस्त्र नहीं पहना चाहिए। खासकर लड़कियों को इस संदर्भ में सतर्क ही रहना चाहिए क्योंकि कौन, कब और कहां इसे मुद्दा बना लें। संतों के मेले में शालिनता का ध्यान रखना जरूरी होता है।
 
2. कुंभ में किसी भी प्रकार से फटे-पुराने या मटमेले वस्त्र भी नहीं पनहना चाहिए। 
 
3. मेला प्रशासन की सलाह के दायरे में देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही विदेशी भी होंगे सभी को मेला प्रशासन की ओर से इस संबंध में उचित मार्गदर्शन किया जाता है। विभिन्न देश भी भारत आने वाले अपने-अपने नागरिकों को एडवाइजरी जारी करते हैं, जिसमें उन्हें भारतीय परंपराओं के मुताबिक आचरण की सलाह दी जाती है, ताकि देशाटन के दौरान उन्हें किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। 
 
ऐसे वस्त्र पहनें :
1. कुंभ मेले में आने वाले भारतीय लोग अपनी संस्कृति के अनुसार सभ्य पवनावें या धार्मिक वस्त्र पहनकर ही पधारें। खासकर लड़के और लड़कियों के संदर्भ में सलाह है।
 
2. घर से निकलें तो तन ढंका हो, धार्मिक पर्व को ध्यान में रखते हुए वस्त्र धारण करें। हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि धार्मिक पर्व के ड्रेस कोड में कौन-कौन से वस्त्र आएंगे। विभिन्न स्नान पर्वो के हिसाब से कौन से वस्त्र पहनने होंगे।
 
3. धार्मिक वस्‍त्रों में पीले और सफेद वस्त्रों का निर्णय लिया जा सकता है। उचित रंग के वस्त्र और धार्मिक पहनावें को अपनाना चाहिए इससे कुंभ की पवित्रता बनी रहती है। कुंभ कोई पर्यटन या सैरसपाटे का स्थान नहीं होता है जहां आप किसी भी प्रकार के वस्त्र पहनकर जा सकते हो।
 
4. स्नान के दौरान महिलाएं उचित वस्त्र पहनकर और तन को ढंककर ही स्नान करें। स्नान करने, मंदिर जाने और संतों के शिविर में जाने के पूर्व वस्त्रों का विशेष ध्यान रखें।
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