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हलवा : एक ग्लोबल प्रेमकथा

हलवे का इतिहास । History of Halwa - History of Halwa
हलवा, नाम सुनते ही घी से तर, इलायची की सौंधी सुगंध से भरा गरमा-गरम मीठा जायका मुंह में घुल जाता है। बनाने में आसान और सर्वसुलभ सामग्री के कारण फास्टफूड के जमाने में भी हलवा हर घर की पहली पसंद है।
 
बच्चों से लेकर बड़ों, गर्भवती महिलाओं की बेहतरीन सेहत की कामना से बनाए पौष्टिक गुणों से भरपूर हलवे के हर कौर में प्रेम और वात्सल्य भरा होता है। भारत में देवी-देवताओं के प्रिय भोग, गुरुद्वारों के प्रसाद (कड़ा प्रसाद) से लेकर शादियों की शान है हलवा। लोकल होते हुए भी ग्लोबल है हलवा।
 
सदियों से भारत में हलवे के ऐसे जलवे हैं कि मिठाई वालों को 'हलवाई' के नाम से ही पुकारा जाता है। जाड़े के मौसम में हर घर में बनने वाले हलवे की प्रसिद्धि का आलम यह है कि 'हलवा सेरेमनी' के बाद ही भारत के आम बजट की छपाई शुरू होती आई है। यह बजट की परंपरा हर साल निभाई जाती है।

तो आइए नजर डालते हैं हलवे का इतिहास पर : स्वादिष्ट हलवे का इतिहास बेहद समृद्ध और लाजवाब है। माना जाता है कि हलवा 3000 साल ईसा पूर्व से बनता आया है। इसके इतिहास में और भी बहुत कुछ दिलचस्प है, जिसे जान कर शायद कुछ लोगों के हलक में हलवा फंस जाएगा। 
 
भारत में अति लोकप्रिय व्यंजन हलवे का जन्मदाता तुर्की है। इस्तांबुल की कई दुकानों पर ताल ठोंक कर हलवाह के आविष्कार और सबसे पुरानी रेसिपी बनाने का दावा किया जाता है। अरब देशों और पश्चिम एशिया में इसे कई नामों जैसे हलावा, हलेवेह, हेलवा, हलवाह, हालवा, हेलावा, हेलवा से पुकारा जाता है।
हलवे का लिखित उल्लेख सबसे पहले तेरहवीं सदी में रचित मुहम्मद इब्न अल-हसन इब्न अल-करीम की 'किताब अल-तबीख' (व्यंजनों की पुस्तक) में हलवे की आठ अलग-अलग प्रकार और उनके व्यंजनों का उल्लेख है। किस्से मशहूर हैं कि ऑटोमान साम्राज्य के सुल्तान सुलेमान (1520-1566) ने तो हलवाहन नामक रसोईघर सिर्फ मिठाइयां पकाने के लिए बनवाया था।
लेखक और इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर ने अपनी पुस्तक 'गुज़िश्ता लखनऊ' में उल्लेख किया है कि हलवा अरबी भूमि से फारस के रास्ते भारत आया था। फूड हिस्टोरियन कोलीन टेलर सेन की पुस्तक 'फीस्ट्स एंड फास्ट्स' के अनुसार मोहम्मद बिन तुगलक के शासन के दौरान 13वीं और 16वीं शताब्दी के बीच हलवा दिल्ली सल्तनत में आया था।
 
इसी तरह लिली स्वर्ण 'डिफरेंट ट्रुथ' में बताती हैं कि कैसे हलवाह सीरिया से होते हुए अफगानिस्तान आया और फिर सोलहवीं सदी में मुगल बादशाहों की रसोई से हलवे के रूप में पूरे भारत में लोकप्रिय हुआ।
अहिंसक है हलवा : हलवा न सिर्फ खुशबू, मिठास जैसे गुणों से परिपूर्ण है बल्कि इसे हम बिलकुल अहिंसक कह सकते हैं, जैसे कई बार हिंसा के उदाहरण के तौर पर कहा जाता है कि कूट-कूट के कीमा बना दिया, मार-मार के भरता बना दिया, पीट-पीट कर चटनी बना देना या गाजर-मूली की तरह काट दिया इत्यादि। हलवे को बनाने की प्रक्रिया इतनी सरल है कि किसी भी जटिल काम के लिए 'हलवा है क्या' अर्थात 'आसान है क्या मुहावरे' का उपयोग किया जाता है। हलवे के साथ ऐसा कोई हिंसक उपमा या उदाहरण नहीं याद आता बल्कि हलवे पर संपन्नता-भोग के प्रतीक मुहावरे हैं जैसे फलां तो हलवा खा रहा है।
 
हलवे के प्रकार : वैसे तो हलवा मुख्यत: गेहूं, चावल, जौ इत्यादि अनाज, फल और तिल-आधारित हुआ करता था लेकिन अब सूखे मेवों, सब्जियों और डेयरी पदार्थों के हलवे भी बेहद लोकप्रिय हैं।     
 
सुपरस्टार है हलवा : भारत में हलवे को 'मिठाइयों का सुपरस्टार' कहा जा सकता है। हमारे देश में हलवे की कई भिन्न-भिन्न वैरायटी आपको देखने को मिलेगी। 
 
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी में उत्तर भारत में आटे से लेकर सूजी, चना, मूंग हलवा, गाजर हलवा सहित पंजाब में गाजर से बना गजरेला, पुणे का 'हरी मिर्च का हलवा', पश्चिम बंगाल का 'चोलर दाल हलवा', महाराष्ट्र के मुंबई का बॉम्बे हलवा, उत्तर प्रदेश और बिहार का 'अंडा हलवा',  कर्नाटक का 'काशी हलवा', केरल का करुथा हलवा (काला हलवा) और शुद्ध नारियल के तेल से बनने वाला कोझीकोड हलवा, तमिलनाडु की हलवा सिटी तिरुनेलवेली का मशहूर गेहूं का हलवा, तटीय कर्नाटक में भटकल का केले का हलवा यहां तक की आलू और ब्रेड तक का हलवा बनाया और परोसा जाता है। 
 
सार्वभौमिक है हलवा : हलवा मध्य और दक्षिण एशिया के अलावा बाल्कन, काकेशस, पूर्वी यूरोप, माल्टा, उत्तरी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में भी लोकप्रिय है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी कई लजीज हलवे मिलते हैं जैसे कराची का मशहूर कराची हलवा सिंध की खास मिठाई है तो पंजाब प्रांत के दक्षिणी हिस्से का सोहन हलवा का स्वाद भला कोई भूल सकता है।
 
श्रीलंका में चावल के आटे से बना सीनी अलुवा या गुड़ के साथ पाणि अलुवा नववर्ष महोत्सव (सिंहली और हिंदू अलूथ अवरुदा) में बनाया जाता है। म्यांमार का भूरे रंग का खसखस का हलावा खास मौकों पर बनाया जाता है तो मोल्दोवा और रोमानिया में सूरजमुखी के बीज का हलवा वहां के परंपरागत व्यंजनों की फेहरिस्त में शुमार है।
 
इसराइल में बनने वाला तिल के स्वाद वाला ताहिनी हलवाह दुनिया भर के यहूदियों में बहुत लोकप्रिय है तो लेबनान, सीरिया, इराक, जोर्डन और फिलीस्तीन के पिस्ते, बादाम या चॉकलेट हलावा के स्वाद के चर्चे दुनियाभर में हैं।
 
ईरान का गेहूं के आटे, शहद और मक्खन से बना, गुलाब जल की सुगंध वाला हलवा खास मेहमानों को पेश किया जाता है। अफ्रीकी देश सोमालिया में हलवो चीनी, मकई का आटा, इलायची पाउडर, जायफल पाउडर और घी से बनाया जाता है जो ईद या विवाह समारोह में परोसा जाता है।
 
भले ही हलवे की शुरुआत अरब से मानी जा सकती है, लेकिन यह अब यह एक सच्चा ग्लोबल पकवान बन गया है। हर धर्म, संस्कृति में बसा यह पकवान हमेशा अपनी खास महक और स्वाद से घर की याद दिलाता रहेगा।
 
रिफ्रेंस:  
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डिफरेंट ट्रुथ'
'फीस्ट्स एंड फास्ट्स' 
'किताब अल-तबीख' 
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