आज पृथ्वी दिवस है। यदि यह खबर अखबारों में नहीं छपती तो शायद ही किसी को याद भी आता! जागरूकता जगाने से पहले याद दिलाने की जिम्मेदारी भी समाचार माध्यमों को ही उठाना पड़ती है, क्योंकि दुनिया भर में हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस अब महज औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं बचा!
पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जुड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना। न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। दरअसल पृथ्वी एक बहुत व्यापक शब्द है, इसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी शामिल हैं।
धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए।
जब पूरी दुनिया 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाती है, अमेरिका में इसे वृक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहले पूरी दुनिया में साल में दो दिन (21 मार्च और 22 अप्रैल) पृथ्वी दिवस मनाया जाता था। लेकिन 1970 से 22 अप्रैल को मनाया जाना तय किया गया।
21 मार्च को मनाए जाने वाले 'इंटरनेशनल अर्थ डे' को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन है, पर इसका महत्व वैज्ञानिक तथा पर्यावरणीय ज्यादा है। इसे उत्तरी गोलार्ध के वसंत तथा दक्षिणी गोलार्ध के पतझ़ड़ के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। 22 अप्रैल को ही विश्व पृथ्वी दिवस मनाए जाने के पीछे अमेरिकी सीनेटर गेलार्ड नेल्सन रहे हैं। वे पर्यावरण को लेकर चिंतित रहते थे और लोगों में जागरूकता जगाने के लिए कोई राह बनाने के प्रयास करते रहते थे।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है! सामाजिक या राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाते। कुछ पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर कोशिश करते रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए! सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी।
पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें! क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।
- हेमंत पाल
साभार - देवपुत्र