शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. गणेशोत्सव
  4. panchak aur ganesh visarjan
Written By

गणेश विसर्जन 2019 : क्या पंचक में नहीं करना चाहिए विसर्जन और पूजा, जानिए क्या कहते हैं ज्योतिषी

गणेश विसर्जन 2019 : क्या पंचक में नहीं करना चाहिए विसर्जन और पूजा, जानिए क्या कहते हैं ज्योतिषी। Panchang 12 September, 2019 - panchak aur ganesh visarjan
ज्योतिष में अशुभ समय होने पर शुभ कामों को करने की मनाही होती है। इसी के चलते पंचक के समय हर किसी को शुभ कार्य करने से रोका जाता है। आइए जानते हैं सितंबर माह में पंचक काल का समय :- 
 
पंचक आरंभ काल : गुरुवार, 12 सितंबर 03:28:29 मिनट से शुरू 
पंचक समाप्ति काल : मंगलवार, 17 सितंबर 04:22:15 मिनट तक रहेगा।
 
गणेश विसर्जन को लेकर ज्योतिषियों का मत
 
गणपति विसर्जन की बेला समीप आते ही आम लोगों के बीच विसर्जन की बात भी शुरू हो गई है। बहुतायत में यह धारणा जगह बना चुकी है कि पंचक लगने से पहले ही हवन-पूजन कर विसर्जन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। इस संबंध में ज्योतिषियों का स्पष्ट मानना है कि शुभ कार्यों, खास तौर पर देव पूजन में इसका विचार नहीं किया जाता।

 
पंचक में भगवान श्रीगणेश सहित अन्य किसी देवता की प्रतिमा का विसर्जन अशुभ नहीं होता। बल्कि आम लोगों के बीच यह धारणा बन चुकी है कि पंचक लगने के पहले ही विसर्जन की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से पूरा कर लिया जाए।
 
ज्योतिषियों के अनुसार, शास्त्रों में पंचक के दौरान शुभ कार्य के लिए कहीं भी निषेध का वर्णन नहीं है। कुछ कार्यों में ही इसके विचार की बात कही गई है। 
 
पंचक के दौरान क्या है वर्जित : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मृत्यु होने पर शव का अग्नि संस्कार, दक्षिण दिशा में यात्रा, काष्ठ संचयन (लकड़ी काटना व एकत्रीकरण), तृण तोड़ना व एकत्रीकरण जैसे कार्यों को पंचक में करने से मना किया गया है।
 
 
पंचक में क्या नहीं है वर्जित : पंचक में देव पूजन व प्रतिष्ठा, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान का शुभारंभ, यज्ञोपवीत, वाहन क्रय करना, धार्मिक यात्राएं व शुभ कार्य वर्जित नहीं माने गए हैं।
 
पंचक के नक्षत्र : पंचक में जो नक्षत्र आते हैं उनमें धनिष्ठा तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक शामिल हैं। प्रत्येक माह में जब भी ये नक्षत्र आते हैं तो पंचक का प्रभाव होता है।
 
पंचक की व्याख्या करते हुए ज्योतिषाचार्य पं. बालगोविन्द शास्त्री ने बताया कि विसर्जन तो भगवान के पूजन की प्रक्रिया है। पंचक में पूजन, यज्ञ, विवाह को शुभ माना गया है। जबकि शवदाह, लकड़ी संचय व दक्षिण की दिशा में यात्रा को वर्जित माना गया है। उनका मानना है कि विसर्जन में पंचक के प्रभाव की धारणा गलत है और यह दूर होनी चाहिए।
 
 
वहीं पंचांग प्रकाशक पं. कुंवरकांत झा मानते हैं कि शास्त्रों में इस बात का कहीं भी वर्णन नहीं है कि भगवान के पूजन या विसर्जन में इसका विचार किया जाना चाहिए। उनके अनुसार नवग्रह पूजन के साथ पंचक पूजन तो किया ही जाता है। पं. झा मानते हैं कि दिनोंदिन यह धारणा बढ़ती जा रही है जिसे दूर करने की जरूरत है।
 
पं. रोहित दुबे के अनुसार, गणेश विसर्जन से पंचक का कोई संबंध नहीं है। धर्मशास्त्रों में उनके विसर्जन का कोई विधान ही नहीं है। जीवन से जुड़े कई शुभ मुहूर्त में पंचक के नक्षत्र शामिल किए गए हैं। अतः पूजन-हवन आदि कर विसर्जन किया जा सकता है।
 
 
ज्योतिषी शरद पोद्दार का कहना है कि पंचक कभी अशुभ नहीं होता। शवदाह में विशेष रूप से इसका विचार किया जाता है। जबकि आजकल यह लोकाचार में आ गया है। इस भ्रांति का निराकरण ज्योतिष के जानकार करते हैं फिर भी बढ़ती जा रही है।

ये भी पढ़ें
Shradha Paksha 2019 : आपको भी जानना जरूरी है 12 तरह के श्राद्ध, क्या कहते हैं पुराण