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Written By अनिल जैन
Last Updated : सोमवार, 31 अगस्त 2020 (17:39 IST)

Anant Chaturdashi 2020: ऐसे करें अनंत चतुर्दशी में श्री विष्णु की पूजा एवं इस तरह बांधें अनंत सूत्र

Anant Chaturdashi 2020: ऐसे करें अनंत चतुर्दशी में श्री विष्णु की पूजा एवं इस तरह बांधें अनंत सूत्र - anant sutra banane ki vidhi
वर्ष में 24 चतुर्दशी होती है। मूलत: तीन चतुर्दशियों का महत्व है- अनंत, नरक और बैकुण्ठ। अनंत चतुर्दशी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आती है। डोल ग्यारस के बाद अनंत चतुर्दशी और उसके बाद पूर्णिमा। इस बार अनंद चतुर्दशी 31 और 1 सितंबर को मनाई जा रही है। इस तिथि पर गणेश विसर्जन की भी परंपरा है।
 
 
विष्णु की पूजा : परंतु अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है।
 
ऐसे करें पूजा : प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित किया जाता है। कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करने के पश्चात एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए। इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखकर भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। मिष्ठान आदि का भोग लगाएं एवं अनंत भगवान का ध्यान करते हुए सूत्र धारण करें।
 
यह डोरा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फल देने वाला माना गया है। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। भगवान विष्णु की कृपा के लिए श्री सत्यनारायण की कथा करना बहुत लाभकारी है।
 
अनंत सूत्र बांधने का मंत्र-
अनंत संसार महासमुद्रेमग्नं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्वह्यनंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
 
अनंत सूत्र : इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह अनंत सूत्र (शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे) को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। इसे हाथ या गले में ध्यान करते हुए धारण किया जाता है। हर गांठ में श्री नारायण के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है। पहले में अनंत, श्री अनंत भगवान का  पहले में अनंत,उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा होती है।
 
 
मान्यता है कि इस अनंत सूत्र को बांधने से व्यक्ति प्रत्येक कष्ट से दूर रहता है। जो मनुष्य विधिपूर्वक इस दिन श्री हरि की पूजा करता है उसे सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।