कुछ बिन्दुओं में जानिए किसान आंदोलन से जुड़ा संपूर्ण घटनाक्रम...
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को 3 विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा से सरकार और किसानों के बीच सालभर से चल रहा टकराव खत्म होने की उम्मीद बनी है। किसान नेताओं के मुताबिक कृषि कानूनों के विरुद्ध इस आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है।
इन कानूनों से यह चिंता पैदा हो गई थी कि इससे चुनिंदा फसलों पर सरकार द्वारा दी गई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी खत्म हो जाएगी और किसानों को बड़े उद्योगपतियों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
इन कानूनों की घोषणा किए जाने के बाद से ही हजारों किसान इन्हें निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर जुटे, जिसके कारण शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से अलग होना पड़ा। इन प्रदर्शनों पर युवा पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग, गायिका-कार्यकर्ता रिहाना और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी, वकील-लेखिका मीना हैरिस ने भी प्रतिक्रिया दी।
इन कानूनों को लाए जाने के बाद की घटनाएं इस प्रकार हैं :
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5 जून, 2020 : सरकार 3 अध्यादेश लेकर आई।
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14 सितंबर, 2020 : 3 कृषि विधेयक संसद में लाए गए।
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17 सितंबर, 2020 : लोकसभा में विधेयक पारित।
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20 सितंबर, 2020 : राज्यसभा में ध्वनि मत से विधेयक पारित।
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24 सितंबर, 2020 : पंजाब में किसानों ने 3 दिन के रेल रोको आंदोलन की घोषणा की।
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25 सितंबर, 2020 : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के आह्वान पर देशभर के किसान प्रदर्शन में जुटे।
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26 सितंबर, 2020 : शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कृषि विधेयकों को लेकर भाजपा नीत राजग छोड़ा।
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27 सितंबर, 2020 : कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और भारत के गजट में अधिसूचित करने के साथ ये कृषि कानून बने।
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25 नवंबर, 2020 : पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया, दिल्ली पुलिस ने कोविड प्रोटोकॉल के कारण अनुमति नहीं दी।
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26 नवंबर, 2020 : दिल्ली की ओर मार्च करने वाले किसानों को हरियाणा के अंबाला जिले में पुलिस ने खदेड़ने की कोशिश की, किसानों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागे गए।
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28 नवंबर, 2020 : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं से पेशकश की कि अगर वे दिल्ली की सीमाओं को खाली करते हैं और बुराड़ी में निर्धारित प्रदर्शन स्थल पर जाते हैं तो जल्द ही उनसे बातचीत की जाएगी। हालांकि किसानों ने इस पेशकश को ठुकरा दिया।
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3 दिसंबर, 2020 : सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले चरण की वार्ता की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही।
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5 दिसंबर, 2020 : किसानों और केंद्र के बीच दूसरे चरण की वार्ता भी बेनतीजा रही।
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8 दिसंबर, 2020 : किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। अन्य राज्यों के किसानों ने भी उन्हें समर्थन दिया।
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9 दिसंबर, 2020 : किसान नेताओं ने 3 विवादास्पद कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
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11 दिसंबर, 2020 : भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने कृषि कानूनों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
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13 दिसंबर, 2020 : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसानों के प्रदर्शन में टुकड़े टुकड़े गिरोह का हाथ है।
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30 दिसंबर, 2020 : सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता कुछ आगे बढ़ती दिखी।
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4 जनवरी, 2021 : सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने पर राजी नहीं हुआ।
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7 जनवरी, 2021 : उच्चतम न्यायालय नए कानूनों को चुनौती देने वाली और प्रदर्शनों के खिलाफ याचिकाओं पर 11 जनवरी को सुनवाई के लिए राजी हो गया।
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11 जनवरी, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने किसानों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके को लेकर केंद्र की खिंचाई की।
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12 जनवरी, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई, कानूनों पर अनुशंसाएं देने के लिए 4 सदस्यीय समिति गठित की।
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26 जनवरी, 2021 : गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा बुलाई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई। लाल किले पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।
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29 जनवरी, 2021 : सरकार ने डेढ़ वर्षों के लिए कृषि कानूनों को स्थगित करने और कानून पर चर्चा के लिए संयुक्त समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया। किसानों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
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5 फरवरी, 2021 : दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने किसान प्रदर्शनों पर एक टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे युवा पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था।
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6 फरवरी, 2021 : प्रदर्शनरत किसानों ने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक 3 घंटों के लिए देशव्यापी चक्काजाम किया।
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6 मार्च, 2021 : किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए 100 दिन पूरे हुए।
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8 मार्च, 2021 : सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल के समीप गोलियां चलीं। कोई घायल नहीं हुआ।
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15 अप्रैल 2021 : हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे किसानों के साथ वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया।
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27 मई, 2021 : किसानों ने आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर काला दिन मनाया और सरकार के पुतले जलाए।
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5 जून, 2021 : प्रदर्शनरत किसानों ने कृषि कानूनों की घोषणा के एक साल होने पर संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस मनाया।
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26 जून, 2021 : किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के 7 महीने होने पर दिल्ली की ओर मार्च किया।
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22 जुलाई, 2021 : करीब 200 प्रदर्शनरत किसानों ने मानसून सत्र की तरह संसद भवन के समीप किसान संसद शुरू की।
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7 अगस्त, 2021 : 14 विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन में मुलाकात की और दिल्ली के जंतर मंतर में किसान संसद में जाने का फैसला लिया।
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5 सितंबर, 2021 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुछ महीने बाकी रहने पर भाजपा नीत राजग को चुनौती देते हुए किसान नेताओं ने मुजफ्फरनगर में शक्ति प्रदर्शन किया।
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22 अक्टूबर, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह विचाराधीन मामलों पर भी प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रदर्शनकारी अनिश्चितकाल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते।
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29 अक्टूबर, 2021 : दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से अवरोधक हटाने शुरू किए, जहां केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
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19 नवंबर, 2021 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
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19 नवंबर, 2021 : किसान नेताओं ने कहा कि संघर्ष खत्म नहीं हुआ है, एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की करेंगे मांग, संसद में कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रतीक्षा करेंगे।(भाषा)