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Last Modified: गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021 (11:15 IST)

किसान आंदोलन : राज्यसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने इस तरह किया बचाव

किसान आंदोलन : राज्यसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने इस तरह किया बचाव - farmers Protest : farmers issue discussed in Rajya sabha
नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए मौजूदा आंदोलन से निपटने के तरीके पर सवाल उठाया। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने दावा किया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी प्रगति के लिए ही नए कानून लाए गए हैं।
 
विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आई। इसके साथ ही विपक्षी दलों ने सरकार से अनुरोध किया कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसके सुर बदल गए हैं।
 
उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए राजद सदस्य मनोज झा ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में 19 विपक्षी दलों के भाग नहीं लेने का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें शामिल नहीं होने का हमें भी दुख है लेकिन जब चीजें वास्तविकता से दूर हों तो उसमें कैसे भाग लिया जा सकता है।
 
मनोज झा ने कहा कि सरकार के खिलाफ हर बात देशद्रोह नहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों को रोकने के लिए बाड़बंदी, घेराबंदी, कंटीले तार लगाए गए और खाई आदि बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं तक बंद कर दी गई हैं।
 
राजद सदस्य ने कहा कि किसान अपना हक मांग रहे हैं और वे अपनी बेहतरी दूसरे लोगों की अपेक्षा बेहतर तरीके से समझते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विमर्श को ही कमजोर बना दिया है। उन्होंने आंदोलन से निपटने के सरकार के तरीके को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार एकालाप को ही वार्तालाप का रूप दे रही है।
 
भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि किसान देश के लिए रीढ़ की हड्डी और अन्नदाता हैं तथा वे अपना ही नहीं पूरे विश्व का पेट भरते हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए ताकि उनकी प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिल गयी थी लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पाई।
 
भाजपा नेता ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे देश भर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ 11 बार संवाद हुआ है और सरकार ने 18 महीने कानून स्थगित करने की भी बात की है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
 
उन्होंने इस क्रम में कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा किया था। इसके अलावा राकांपा नेता और तत्कालीन संप्रग सरकार में कृषि मंत्री शरद पवार ने 2010-11 में हर राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनिवार्य बनाने संबंधी बात की थी।
 
सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, जुबान बदलने की आदत बदलनी होगी... जो कहें, उस पर अडिग रहें। (भाषा)
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