बहिष्कार की अपील के बाद किसान नेताओं पर भड़का दीप सिद्दू,कहा राज खोले तो भागने का रास्ता नहीं मिलेगा
गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराने वाले कथित किसान नेता दीप सिद्धू की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही है। दीप सिद्धू के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज कर उसकी मुश्किलें बढ़ा दी है। वहीं किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाल संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से दीप सिद्दू के सामाजिक बहिष्कार की अपील के बाद अब वह खुद को पाक-साफ बताने की मुहिम में जुट गया है।
दीप सिद्दू लगातार सोशल मीडिया पर अपने वीडियो पोस्ट कर यह बताने की कोशिश कर रहा है कि वह निर्दोष है। दीप सिद्दू ने कहा कि उसको जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। किसान संगठन के नेताओं पर हमला बोलते हुए कि जो लोग उसे देशद्रोही बता रहे है वह सरकार की भाषा बोल रहे है। ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में एंट्री की बात पहले ही किसान नेताओं को बता दी गई थी।
किसान आंदोलन में लोगों को भड़काने के दोषी ठहराए जा रहे पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू ने खुद को बेगुनाह बताया है। सिद्धू ने बुधवार देर रात एक फेसबुक लाइव किया है,जिसमें उसने गद्दार कहे जाने पर किसान नेताओं को खुलकर धमकी दी है। सिद्धू ने किसान नेताओं को धमकाते हुए कहा है कि अगर उसने किसान नेताओं की परतें खोलनी शुरू कर दीं, तो उन्हें दिल्ली से भागने का रास्ता नहीं मिलेगा। अपने वीडियो में सिद्दू ने यह बताने की कोशिश भी की है कि किसान आंदोलन में शामिल युवाओं ने पहले से ही नेताओं के समाने दिल्ली में एंट्री की मांग उठाई थी।
वहीं आज दीप सिद्दू ने अपनी सफाई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए यह बताने की कोशिश की है वह लाल किले पहुंचे किसानों को समझाने का काम कर रहा था। सिद्दू ने कहा कि लालकिले पर से तिंरगे को नहीं हटाया गया था। इसके साथ ही आंदोलन के दौरान किसी भी सरकारी संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया और न ही कोई हिंसा की गई। किसानों ंके हाथ में तिरंगे के साथ किसान संगठन और धार्मिक झंडे भी थे।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दीप सिद्दू के भाजपा नेताओं के साथ फोटो को अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर सवाल किया है कि क्या दिल्ली पुलिस दीप सिद्दू की गिरफ्तारी करेगी। वहीं इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने बकायदा एक प्रेस कॉंफ्रेंस कर आरोप लगाया है कि दीप सिधु और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सहारे केंद्र सरकार ने आंदोलन को हिंसक बनाया। इसके साथ ही पुलिस और अन्य एजेंसियों का उपयोग करके सरकार किसान आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रही है।