बुधवार, 4 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. वेबदुनिया विशेष 10
  3. विश्व पर्यावरण दिवस
  4. डूब सकते हैं तटवर्ती इलाके
Written By संदीपसिंह सिसोदिया

डूब सकते हैं तटवर्ती इलाके

जलवायु परिवर्तन से बढ़ेगा समुद्र का स्तर

Environment Day 2010 | डूब सकते हैं तटवर्ती इलाके
FILE
भारत सरकार के भूविज्ञान मंत्रालय (मिनिस्टरी ऑफ अर्थ साइंस) ने ग्लोबल वॉर्मिंग के भारत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का भयावह चित्रण किया है। मंत्रालय की कुछ समय पहले जारी रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते भारत में समुद्र का स्तर बढ़ने से उसके दो महानगर मुंबई और चेन्नई के अत्यधिक आबादी और घनी बसावट वाले तटवर्ती क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं।

मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि भारत उन 27 देशों में से एक है जिन्हें समुद्र के स्तर में वृद्धि से जोखिम है।

इसी रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि मुंबई, चेन्नई के साथ-साथ उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे अपेक्षाकृत निम्न भूमि स्तर के क्षेत्र भी तूफान के कारण होने वाली भारी बारिश से बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। गर्मियों के अंत में होने वाले तापमान परिवर्तन महासागर की अवशोषण क्षमता को कम कर बड़ा कहर बरपा सकते हैं।

खत्म हो गया न्यू मूर का वजूद : इसका ताजा उदाहरण भारत और बांग्लादेश के बीच स्थित विवादित द्वीप 'न्यू मूर' है, जो समुद्र में डूब गया है। 9 वर्ग किमी के क्षेत्रफल वाले इस निर्जन द्वीप को बांग्लादेश में तालपट्टी और भारत में पुर्बाशा कहा जाता था। 1954 के आँकड़ों के अनुसार यह समुद्रतल से लगभग 2-3 मीटर की ऊँचाई पर था, लेकिन आज समुद्र में विलीन हो गया है।

कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय के समुद्र वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन से समुद्र का स्तर बढ़ गया है। इस क्षेत्र में वर्षा की मात्रा भी बढ़ी है। इस वजह से सुंदरवन के अनेक द्वीपों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

बाढ़ और सूखे से बिगड़ता संतुलन : भारतीय समुद्र तटीय क्षेत्रों से लिए गए ज्वार गेज अभिलेखों के विश्लेषण के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि समुद्र के जलस्तर में प्रति वर्ष 1.30 मिमी की वृद्धि हो रही है। भविष्य में इसके प्रति वर्ष 4 मिमी तक होने की आशंका है।

PR
रिपोर्ट कहती है जलवायु मॉडलों के साथ सिमुलेशन के अवलोकन से संकेत मिलता है कि 2050 तक तटीय क्षेत्रों में मुंबई में हुई 2005 जैसी अत्यधिक बारिश की स्थिति बार-बार बन सकती है। समुद्र का जलस्तर बढ़ने का एक और कारण तटीय क्षेत्रों में होने वाली अत्यधिक वर्षा भी है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी स्थिति में तटीय शहरों की आबादी पैमाने पर अन्य क्षेत्रों में पलायन करेगी।

सूखा बढ़ने से महापलायन का खतरा : जलवायु मॉडलों के अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से मैदानी क्षेत्रों में सूखे की अवधि लंबी होती जा रही है, जो जनसंख्या के इस महापलायन को और विकट बना देगा।

पहले से ही अत्यधिक आबादी का बोझ झेल रहे बड़े शहर जैसे दिल्ली, बैंगलुरु, अहमदाबाद, पुणे और हैदराबाद में भारी तादाद में प्रवासियों के आने से इन शहरों की आधारभूत, आर्थिक और सामाजिक संरचना ही चरमरा जाएगी। इसी तरह प.बंगाल से लगे बांग्लादेश में कई क्षेत्रों के डूब जाने का खतरा लगातार बना हुआ है। ऐसे में इन क्षेत्रों के रहवासियों द्वारा भी भारत में शरण लेने का अंदेशा है।