गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. एकादशी
  4. Yogini Ekadashi 2023 Date n Muhurat
Written By

योगिनी एकादशी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, उपाय और पारण का समय

योगिनी एकादशी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, उपाय और पारण का समय - Yogini Ekadashi 2023 Date n Muhurat
Yogini Ekadashi 2023 
 
वर्ष 2023 में योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2023) व्रत 14 जून 2023, बुधवार को पड़ रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह व्रत आषाढ़ कृष्ण एकादशी के दिन रखा जाएगा। यह एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध होने के साथ ही परलोक में मुक्ति देने वाली मानी गई है।

इस एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। योगिनी एकादशी से जुड़ी मान्यता के अनुसार इस दिन स्नान के लिए मिट्टी (धरती माता की रज) का इस्तेमाल करना अतिशुभ होता है। साथ ही स्नान के पूर्व तिल के उबटन को शरीर पर लगाकर फिर स्नान करने की मान्यता है। बता दें कि एकादशी तिथि पर भगवान श्री विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। 
 
योगिनी एकादशी : 14 जून 2023, बुधवार के शुभ मुहूर्त : Yogini Ekadashi Muhurat 2023 
 
आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ- 13 जून, मंगलवार को 09.28 ए एम से, 
एकादशी की समाप्ति- 14 जून 2023, बुधवार 08.48 ए एम पर। 
 
योगिनी एकादशी पारण समय-
पारण/ व्रत तोड़ने का समय- गुरुवार 15 जून 2023, 05:23 ए एम से 08:10 ए एम तक। 
 
पारण तिथि के दिन द्वादशी समापन का समय- 08:32 ए एम पर। 
 
14 जून, बुधवार - दिन का चौघड़िया
 
लाभ- 05.23 ए एम से 07.07 ए एम
अमृत- 07.07 ए एम से 08.52 ए एम
शुभ- 10.37 ए एम से 12.21 पी एम
चर- 03.51 पी एम से 05.35 पी एम
लाभ- 05.35 पी एम से 07.20 पी एम
 
रात का चौघड़िया
 
शुभ- 08.35 पी एम से 09.51 पी एम
अमृत- 09.51 पी एम से 11.06 पी एम
चर- 11.06 पी एम से 15 जून को 12.21 ए एम,
लाभ- 02.52 ए एम से 15 जून को 04.08 ए एम तक। 
 
पूजा विधि- Yogini Ekadashi Puja Vidhi 
 
1. योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छे धुले हुए वस्त्र धारण करके व्रत शुरू करने का संकल्प लें।
 
2. तत्पश्चात पूजन के लिए मिट्टी का कलश स्थापित करें।
 
3. उस कलश में पानी, अक्षत और मुद्रा रखकर उसके ऊपर एक दीया रखें तथा उसमें चावल डालें।
 
4. अब उस दीये पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। पीतल की प्रतिमा हो तो अतिउत्तम माना जाता है।
 
5. प्रतिमा को रोली अथवा सिंदूर का टीका लगाकर अक्षत चढ़ाएं।
 
6. उसके बाद कलश के सामने शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्वलित करें।
 
7. अब तुलसी के पत्ते और पुष्प चढ़ाएं।
 
8. तत्पश्चात ऋतु फल का प्रसाद चढ़ाकर भगवान श्रीहरि का विधि-विधान से पूजन करें।
 
9. फिर एकादशी की कथा का पढ़ें अथवा श्रवण करें।
 
10. अंत में श्री विष्‍णु जी की आरती करें।
 
व्रत कथा-Yogini Ekadashi Katha 
 
इस एकादशी व्रत की पौराणिक कथा (Yogini Ekadashi 2023 Katha) के अनुसार स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। 
 
एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा। इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। 
 
सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया। हेम माली राजा के भय से कांपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिव जी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’ 
 
कुबेर के शाप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा। रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी, परंतु शिव जी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा।
 
एक दिन घूमते-घूमते वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहां जाकर उनके पैरों में पड़ गया। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौनसा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। 
 
हेम माली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूं। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। 
 
यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी (Yogini) का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से हेम माली अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा। 
 
इस योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है तथा इसके व्रत से समस्त पाप दूर होकर अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है। ऐसी इस एकादशी की महिमा है। 
 
योगिनी एकादशी के उपाय : Yogini Ekadashi Upay 
 
1. पीपल में जल अर्पित करें : इस दिन कर्ज से मुक्ति के लिए पीपल वृक्ष में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। 
 
2. लक्ष्मी प्राप्ति : इस दिन धन-धान्य तथा लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए घर में भगवान श्री विष्णु तथा माता लक्ष्मी का केसर मिले जल से अभिषेक करें। 
 
3. घी का दीया : एकादशी तिथि पर पीपल में मीठा जल चढ़ाने तथा शाम के समय पीपल की जड़ में घी का दीया लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
 
4. तुलसी पूजन : एकादशी के दिन सायं के समय तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप करते हुए तुलसी जी की 11 परिक्रमा करें, इस उपाय से घर के समस्त संकट और आने वाली परेशानियां भी दूर जाती हैं।
 
5. दान-पुण्‍य : एकादशी के दिन उपवास के पश्चात द्वादशी तिथि पर पारण से पूर्व ब्राह्मणों को मिठाई, दक्षिणा तथा गरीबों को खाद्य सामग्री देने के पश्चात ही खुद पारणा करना लाभकारी होता है। 
 
6. जाप मंत्र : एकादशी के दिन सुबह घर की सफाई करके मुख्य द्वार पर हल्दीयुक्त जल या गंगा जल का छिड़काव करके मंत्र- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का 108 बार जाप करें। जाप में तुलसी की माला को उपयोग में लाएं। 
 
7. स्थायी धन प्राप्ति : स्थायी धन की प्राप्ति के लिए पूजा स्थान में 11 गौमती चक्र रखकर स्फटिक की माला से 'श्री महालक्ष्म्यै श्रीयें नम:' मंत्र का 11 माला जाप करके उन्हें लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में धन वाले स्थान पर रख दें। 
 
8. रुपए का दान : इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र और रुपया-पैसे का दान अवश्य करना चाहिए।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।