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Written By WD Feature Desk

Bhishma Ekadshi 2024 : भीष्म एकादशी व्रत का महत्व

Bhishma Ekadshi 2024 I भीष्म एकादशी व्रत का महत्व - bhishma ekadasi date 2024
HIGHLIGHTS
 
 • जया एकादशी पर भगवान विष्णु को समर्पित पूजा-अनुष्ठान किया जाता हैं।
 • माघ शुक्ल एकादशी को जया/अजा एकादशी के साथ भीष्म और भूमि एकादशी नाम से भी जाना जाता हैं।
 • यहां पढ़ेंभीष्म एकादशी का महत्व। 
 
bhishma aja ekadashi 2024: प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया/ अजा एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी को भीष्म एकादशी भी कहते हैं। यह एकादशी एक हजार वर्ष तक स्वर्ग में वास करने का फल देने वाली मानी गई है। मान्यतानुसार दक्षिण भारत में यह 'भूमि एकादशी' और 'भीष्म एकादशी' के नाम से जनमानस में प्रचलित है। 
 
इस एकादशी पर विधिपूर्वक पूजन करने से जीवन में खुशहाली आती है। उदयातिथि के अनुसार, इस बार भीष्म या जया एकादशी व्रत 20 फरवरी को रखा जा रहा है। इस व्रत में भगवान श्रीविष्णु की पूजा में फूल, फल, धूप, दीप, पंचामृत आदि का प्रयोग करना चाहिए।

इस व्रत के संबंध में कहा जाता है कि जया एकादशी के दिन भीष्म पितामह का स्मरण करते हुए व्रत की शुरुआत करनी चाहिए तथा पूर्णिमा पर इसको समाप्त करना चाहिए। साथ ही भीष्म एकादशी के दिन चावल तथा अनाज के सेवन से बचना चाहिए और व्रतधारी को भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने के साथ उनके नाम, मंत्रों का जाप तथा एकादशी कथा को सुनना अथवा पढ़ना चाहिए। 
 
पौराणिक हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार एक बार इंद्रलोक की अप्सरा को श्राप के कारण पिशाच योनि में जन्म लेना पड़ा, तब उससे मुक्ति के लिए उसने जया एकादशी का व्रत किया, तब उसे भगवान श्रीविष्णु की कृपा से पिशाच योनि से मुक्ति मिली तथा इंद्रलोक में स्थान प्राप्त हो गया था। अत: यह एकादशी स्वर्ग में स्थान दिलाने वाली मानी गई है। 
 
इस एकादशी के बारे में मान्यता है कि पितामह भीष्म को एक वरदान दिया गया था, जिसकी सहायता से अपनी मृत्यु का समय उन्हें स्वयं चुनना था, अत: कहा जाता है कि भीष्म ने अपने नश्वर शरीर को त्यागने के लिए जया एकादशी का दिन चुना और तभी से इस दिन को भीष्म एकादशी का नाम दिया गया।

यह एकादशी व्रत मनुष्य को ब्रह्म हत्यादि पापों से छूट कर मोक्ष की प्राप्ति देता है तथा इसके प्रभाव से भूत-पिशाच, बुरी योनियों और पाप आदि से व्रतधारी मुक्त हो जाता है। 
 
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