दशहरा के बाद बासी दशहरा क्यों मनाया जाता है?
बासी दशहरा के दिन करते हैं 10 प्रमुख कार्य
Basi dussehra ka mahatva: इस बार 12 अक्टूबर 2024 को दशहरा मनाया जाता है। इसके दूसरे दिन बासी दशहरा मनाया जाता है। यानी दशहरे के दूसरे दिन दशहरा मिलना का समारोह रखा जाता है जिसे बासी दशहरा कहते हैं। हर राज्य में इसे मनाए जाने की परंपरा अलग अलग है। इस दिन का खास महत्व रहता है। कई जगह इसका भव्य आयोजन भी होता है। आओ जानते हैं कि दशहरे के दूसरे दिन का क्या है महत्व क्या करते हैं इस दिन।
1. दशहरे की बधाई : इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलकर दशहरे की बधाई देते हैं।
2. आपसी शत्रुता भुला देते हैं : आपसी शत्रुता भुलाने के लिए इस दिन लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं। इन दिन सारे गिले-शिकवे दूर करके अपनों को गले लगाकर उसने पुन: रिश्ता कायम किए जाने का भी प्राचलन रहा है।
3. मंदिरों में भंडारा : इस दिन कई मंदिरों और अन्य जगहों पर भंडारे का आयोजन भी होता है।
4. कुटुंभ भोज : बहुत से घरों में कुटुंभ भोज का आयोजन होता है। सभी कुल परिवार खानदान के लोग एकत्रित होकर भोज करते हैं।
5. पारिवारिक पार्टी : इस दिन कई लोग अपने घरों में या अन्य जगह पर पारिवारिक पार्टी का आयोजन भी करते हैं।
6. गिलकी के भजिये और पकवान : इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकोड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है। पकोड़े को भजिए भी कहते हैं। बहुत से घरों में तरह-तरह के पकवान बनाकर उसका लुफ्त उठाते हैं।
7. दशहरी देना : इस दिन कई लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गले मिलकर, चरण छूकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं और छोटो को दशहरी देते हैं।
8. शमी पत्ते बांटना : बासी दशहरे के दिन भी सभी लोग स्वर्ण के प्रतीक शमी पत्तों को या सोना पत्ती को एक-दूसरे को बांटते हैं।
9. जुलूस : कई शहरों में बासी दशहरे के दिन चल समारोह भी निकलता है।
10. सार्वजनिक मिलन समारोह : कई जगहों पर सार्वजनिक रूप से दशहरा मिलन समारोह का आयोजन भी होता है, जहां पर लोग एक दूसरे से मिलते हैं। स्वल्पाहर या भोजन करते हैं।
11. मनोरंजक खेल : हर प्रांत में दशहरे के दूसरे दिन को मनाने की अलग अलग परंपराएं प्रचलित हैं। कई लोग इस दिन मनोरंजन के खेल खेलते हैं। लोग एक दूसरे से मिलते हैं और सभी तरह का मनोरंजन करते हैं।