जब एक पारी ने बदल दी थी यशपाल शर्मा की जिंदगी, भारत को मिला था मध्यक्रम का नायाब सितारा
भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी और 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का आज सवेरे दिल का दौरा पड़ने से आकस्मिक निधन हो गया। पंजाब के लुधियाना में जन्मे यशपाल शर्मा ने 1978 से 1985 के बीच भारत के लिए 37 टेस्ट और 42 एकदिवसीय खेले। यशपाल मध्यक्रम में टीम की रीढ़ की हड्डी माने जाते थे। अपने जुझारूपन के चलते उन्होंने देश को कई मुकाबले अकेले अपने दम पर जीताए।
स्कूल से खेलते हुए बना डाले थे 260 रन यशपाल शर्मा ने साल 1972 में जम्मू-कश्मीर के खिलाफ पंजाब स्कूल के लिए खेलते हुए 260 रनों की जोरदार पारी खेली थी। उनकी इस पारी की चर्चा हर तरफ हुई थी। इस नायाब पारी के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और और जल्द ही पंजाब विश्वविद्यालय पहुंच गए, जहां उन्होंने 139 रनों की पारी खेल फिर से सभी को खासा प्रभावित किया। बस फिर क्या था, मात्र 19 साल की उम्र में यशपाल शर्मा को 1973 में रणजी डेब्यू का मौका मिला।
पंजाब के लिए रणजी डेब्यू करने के साथ उन्होंने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया। कुछ ही सालों के बाद उन्होंने दिलीप ट्रॉफी में नार्थ जोन के लिए खेलते हुए साउथ जोन के खिलाफ 173 रन बना डाले। उनकी यह पारी इसलिए चर्चा में रही क्योंकि उन्होंने चंद्रशेखर, ईरापल्ली प्रसन्ना और वेंकटराघवन जैसे गेंदबाजों के खिलाफ यह पारी खेली थी। हालांकि, अपनी इस पारी के बाद वो उस समय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली टीम में जगह नहीं बना सके थे।
पाकिस्तान के खिलाफ हुआ डेब्यू 1977 में ईरानी कप के मैच वो वो 99 के स्कोर पर रन आउट हुए लेकिन इसके अगले ही साल उनको पाकिस्तान जाने वाली टीम का टिकट मिल गया। पाकिस्तान के खिलाफ यशपाल को दो वनडे खेलने का अवसर मिला। इसके बाद वह 1979 विश्व कप टीम का हिस्सा भी रहे लेकिन इस दौरान एक भी मुकाबला खेलना का अवसर नहीं मिल सका।
हालांकि, इसके बाद उनको लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिला और फिर से निरंतर वनडे और टेस्ट टीम में बने रहे। 1983 के वर्ल्ड कप में उनका बल्ला खूब बोला था। विश्व कप में मध्यक्रम के बल्लेबाज ने सभी आठ मैच खेले और 34.29 की शानदार औसत के साथ 240 रन बनाने में सफल रहे। आठ पारियों में उनके बल्ले से दो उम्दा अर्धशतक भी देखने को मिले।
1983 के विश्व कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले ही मैच में उन्होंने शानदार 89 रनों की पारी खेली थी और टीम इंडिया की जीत में एक अहम किरदार निभाया था। इसके अलावा सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ भी यशपाल शर्मा ने 61 रनों की उम्दा पारी खेल भारत को फाइनल का टिकट दिलाने में एक अहम भूमिका अदा की थी।
इन भूमिका में भी आए नजर क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद यशपाल शर्मा अंपायर से लेकर मैच रेफरी तक की भूमिका में नजर आए। साल 2003 से लेकर 2006 तक वह टीम इंडिया के राष्ट्रीय चयनकर्ता रहे। इसके बाद 2008 में उनको एक बार फिर से इस पद पर देखा गया।
66 वर्षीय यशपाल शर्मा टीम इंडिया के लिए 37 टेस्ट मैचों में 33.45 की औसत के साथ 1606 रन बनाए, जबकि वहीं, 42 एकदिवसीय मैचों में उनके बल्ले से 28.48 की औसत के साथ 883 रन देखने को मिले। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 160 मैचः खेले और लगभग 45 की औसत के साथ 8933 रन बनाने में सफल रहे।