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Written By Author अखिल गुप्ता
Last Updated : मंगलवार, 13 जुलाई 2021 (18:34 IST)

यशपाल शर्मा निधन: अचानक साथ छोड़ गया 83 की जीत का यह नायक, मगर योगदान हमेशा रहेगा याद

यशपाल शर्मा निधन: अचानक साथ छोड़ गया 83 की जीत का यह नायक, मगर योगदान हमेशा रहेगा याद - yashpal sharma contribution will always be remembered in world cup
Yashpal Sharma

पूर्व भारतीय मध्यक्रम बल्लेबाज यशपाल शर्मा का मंगलवार को हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया। 11 अगस्त 1954 को पंजाब के लुधियाना में जन्मे यशपाल शर्मा ने 66 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। 1983 में जब टीम इंडिया ने विश्व कप जीता था, उस समय वह भी टीम के सदस्य थे और उन्होंने राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता के रूप में भी काम किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यशपाल शर्मा आज सुबह मॉर्निंग वॉक पर गए थे। मॉर्निंग वॉक से लौटने के बाद उन्होंने घर पर कहा था कि उन्हें थोड़ा अजीब लग रहा है। उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत भी की थी। जिसके तुरंत बाद उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश की गई, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही 7.40 को उनका निशान हो गया। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है।

नहीं भुलाया जा सकता 83 विश्व कप का योगदान

1983 में भारतीय टीम कपिल देव की कप्तानी में पहली बार विश्व कप जीतने में सफल हुई थी। फाइनल में भारत ने लगातार दो बार की चैंपियन और उस समय की सबसे ताकतवर टीम वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराया था। वर्ल्ड कप ऐतिहासिक जीत में कहने को तो सभी भारतीय खिलाड़ियों ने दमदार खेल दिखाया था, लेकिन अगर यशपाल शर्मा की बात करें तो इनके योगदान को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता।

विश्व कप में मध्यक्रम के बल्लेबाज ने सभी आठ मैच खेले और 34.29 की शानदार औसत के साथ 240 रन बनाने में सफल रहे। आठ पारियों में उनके बल्ले से दो उम्दा अर्धशतक भी देखने को मिले।

जुझारूपन के लिए थे प्रसिद्ध

यशपाल शर्मा भारतीय टीम के शानदार खिलाड़ियों में से एक थे और हमेशा मैदान पर अपने जुझारूपन के लिए जाने जाते थे। 1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का पहला एनकाउंटर वेस्टइंडीज के खिलाफ था और इस मैच में यशपाल शर्मा ने अपनी बल्लेबाजी से सभी का मन मोह लिया था।

मुकाबला ओल्ड ट्रैफोर्ड, मैनचेस्टर में खेला जा रहा था और वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए बुलाया था। एक समय टीम ने अपने पहले तीन विकेट सिर्फ 76 के स्कोर पर गंवा दिए थे और उसके बाद यशपाल शर्मा ने एक ऐसी पारी खेली थी, जिसने मैच की तस्वीर बदलने का काम किया था।

उन्होंने 120 गेंदों का सामना करते हुए 9 चौकों की मदद से 89 रन बना डाले। पहले उन्होंने संदीप पाटिल (36) के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 49 रन जोड़े और उसके बाद छठे विकेट के लिए रोजर बिन्नी (27) के साथ मिलकर 73 रनों की बढ़िया साझेदारी निभाई। भारत ने 60 ओवर के खेल में आठ विकेट के नुकसान पर 262 रनों का स्कोर बनाया।

वेस्टइंडीज 263 रनों के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई और 54.1 ओवर के खेल में 228 पर ऑलआउट हो गई। भारत ने यह मुकाबला 34 रन से जीता था और यशपाल शर्मा 'प्लेयर ऑफ द मैच' रहे थे।

सेमीफाइनल में भी दिखाया था दम

यशपाल शर्मा ने इसके बाद सेमीफाइनल जैसे ‘करो या मरो’ वाले मैच में भी अपनी बल्लेबाजी का दमखम दिखाया था। सेमीफाइनल में टीम इंडिया का सामना मेजबान इंग्लैंड के साथ था और यह मैच भी ओल्ड ट्रैफोर्ड, मैनचेस्टर में खेला। मुकाबले में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 213 रनों बोर्ड पर लगाए थे और भारत के सामने 214 रनों का लक्ष्य रखा था।

भारतीय टीम को फाइनल पहुंचने के लिए बढ़िया बल्लेबाजी की जरुरत थी, लेकिन 50 के स्कोर पर ही टीम के दोनों सलामी बल्लेबाज सुनील गवास्कर (25) और क्रिस श्रीकांत (19) के स्कोर पर आउट होकर पवेलियन लौट गए। मगर इसके बाद यशपाल शर्मा ने टीम की पारी को संभाल लिया। उन्होंने मोहिंदर अमरनाथ (46) के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 92 रन जोड़े और पांचवें विकेट के लिए संदीप पाटिल (51)* के साथ बढ़िया 63 रनों की साझेदारी निभाई।

यशपाल शर्मा ने दबाव भरे हालातों में 115 गेंदों का सामना करते हुए तीन चौके और दो छक्कों की मदद से बेहतरीन 61 रनों की पारी खेली और भारतीय टीम ने यह मुकाबला 6 विकेट से जीतकर अपने नाम किया।

फाइनल में नहीं दिखा सके कमाल

भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचने में यशपाल शर्मा ने एक बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि, फाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ उनका बल्ला कुछ खास कमाल नहीं दिखा सका। उन्होंने 32 गेंदों का सामना करते हुए सिर्फ 11 रन बनाए। मगर अच्छी बात यह रही कि, कपिल एंड कंपनी यह मुकाबला और विश्व कप की ट्रॉफी 43 रनों से जीतने में कामयाब हुई।