कोरोना मरीजों को बेड,ऑक्सीजन और दवा दिलाने में मददगार बना ये पुलिस अफसर
इंडिया कोविड हेल्प ग्रुप के जरिए कोरोना संक्रमित लोगों की कर रहे मदद
पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। हर दिन लाखों में बढ़ती कोरोना मरीजों की संख्या के बाद अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की कमी हो गई है। कोरोना संक्रमण के चपेट में आने वाले लोग और उनके परिजन सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है। संकट की इस घड़ी में लोग सोशल मीडिया के जरिए भी मदद मांग रहे और उनको मदद मिल भी रही है।
राजधानी भोपाल में एसपी रेडियो भोपाल जोन की जिम्मेदारी निभा रहे शशांक गर्ग भी इंसानियत के उन योद्धाओं में शामिल है जो संकट की इस घड़ी में लोगों की मदद कर रहे है। 2002 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी शशांक गर्ग ने सोशल मीडिया पर इंडिया कोविड हेल्प (India Covid helo group) नाम का एक ग्रुप बनाया है। जिसके जरिए कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पतालों में बेड दिलाने के साथ ऑक्सीजन और रेमडिसिवीर इंजेक्शन दिलाने जैसी अन्य मदद की जा रही है।
वेबदुनिया से बातचीत में पुलिस अधिकारी शशांक गर्ग कहते हैं कि कोरोना संकट किसी व्यक्ति विशेष,राज्य विशेष पर नहीं बल्कि यह मानवता पर आया संकट है और इसलिए मनुष्य के नाते जो कर पा रहे है वह कर रहे है। शंशाक बताते हैं कि पहले उन्होंने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ एक ग्रुप बनाकर लोगों की मदद करने की शुरुआत की फिर इसका विस्तार जबलपुर,भोपाल और इंदौर जैसे महानगरों तक किया। लेकिन जब महामारी के चलते स्थितियां विकट हो गई तब उन्होंने अपनी मुहिम को विस्तार देते हुए इंडिया कोविड हेल्प ग्रुप बनाया है और तीन दिन में इससे अब तक हजारों लोग जुड़ चुके है और लोगों की मदद कर रहे है।
वेबदुनिया से बातचीत में शशांक कहते हैं कि ग्रुप बनाने का उद्धेश्य का एक बड़ा डेटाबेस तैयार करना है और जिससे लोग एक दूसरे की मदद कर सके, क्योंकि कोरोना एक ऐसी महामारी है जिससे सरकार के साथ हम सबको मिलकर निपटना है। वह कहते हैं कि जबलपुर, भोपाल और इंदौर के साथ मध्यप्रदेश के बहुत से जिलों और देश के अन्य राज्यों में उनके जितने संपर्क और दोस्त है उन्हें जोड़कर लोगों को अस्पतालों में बेड़,ऑक्सीजन,प्लाज्मा और जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
ऐसे समय जब अस्पतालों में एक-एक बेड के मरामारी मची है तब वह और उनकी टीम कैसे इस चुनौतीपूर्ण काम को कर रही है इस सवाल पर शशांक कहते हैं वह खुद अस्पतालों और डॉक्टरों से संपर्क करते है कभी सफलता मिलती है तो कभी निराशा भी हाथ लगती है। इसके साथ ग्रुप के अन्य सदस्य भी लगातार अपने-अपने स्तर पर कोशिश कर लोगों की समस्या को दूर करने का काम कर रहे है। व्यक्तिगत तौर पर कोशिश यह रहती है कि डॉक्टरों, प्रशासनिक अधिकारियों से बात कर लोगों की मदद की जाए। इसके साथ ग्रुप से बड़ी संख्या में डॉक्टर भी जुड़े है जो लोगों को मदद देते है।
पुलिस की नौकरी के साथ लगातार लोगों की मदद को शशांक एक चुनौती मानते हुए कहते हैं कि संकट ऐसा है कि किसी न किसी तो आगे आकर जिम्मेदारी लेनी होगी। वह कहते हैं कि इस काम में उनके दोस्तों और परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है।