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Last Updated : शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020 (15:01 IST)

RBI ने रिवर्स रेपो दर घटाई, नकदी बढ़ाने के कई उपायों की घोषणा की

RBI ने रिवर्स रेपो दर घटाई, नकदी बढ़ाने के कई उपायों की घोषणा  की - RBI reduces reverse repo rate
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रभावों से मुकाबला करने के लिए बैंकों की रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती करने, राज्यों को उनके खर्चों के लिए उधार सीमा बढ़ाने के साथ ही अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिए कई उपायों की घोषणा की।
 
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से पैदा हालात पर रिजर्व बैंक लगातार करीब से निगाह रखे हुए है और इससे उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वह हरसंभव कदम उठाएगा। 
उन्होंने यह भी कहा कि जिन उपायों की घोषणा की जा रही है, ये अंतिम घोषणाएं नहीं हैं, केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के हित में बदलती परिस्थितियों के अनुसार भविष्य में जरूरत पड़ने पर और कदम भी उठाता रहेगा।
दास ने शुक्रवार प्रात: एक वीडियो संदेश में कहा कि बैंको को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से रिवर्स रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 0.25 प्रतिशत घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया गया है। रिवर्स रेपो के तहत वाणिज्यिक बैंक अपने पास उपलब्ध अतिरिक्त नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखते हैं।
 
उन्होंने कहा कि प्रमुख नीतिगत दर रेपो 4.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी गई है और सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर भी बिना किसी बदलाव के 4.65 प्रतिशत पर बनी रहेगी। इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़ते दबाव को देखते हुए उनके लिए अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। अभी तक इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा थी। इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
रिजर्व बैंक ने राज्यों के उनके खर्चों के लिए अग्रिम की सीमा को 31 मार्च 2020 की स्थिति के ऊपर बढ़ाते हुए उन्हें 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक बढ़ी हुई 60 प्रतिशत की सुविधा प्रदान करते हुए कहा कि सरकारी व्यय बढ़ने और आरबीआई द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए विभिन्न उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता बढ़ी है।
 
केंद्रीय बैंक इसके साथ ही लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपए की राशि आर्थिक तंत्र में उपलब्ध कराएगा। यह काम किस्तों में किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि टीएलटीआरओ 2.0 के तहत बैंकों में प्राप्त धनराशि को निवेश श्रेणी के बांड, वाणिज्यिक पत्रों और गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों में निवेश किया जाना चाहिए जिसमें कुल प्राप्त धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत छोटे और मझौले आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को मिलना चाहिए।
उन्होंने नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के लिए कुल 50,000 करोड़ रुपए की विशेष पुनर्वित्त सुविधाओं की घोषणा भी की ताकि उन्हें क्षेत्रीय ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके।
 
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस राशि में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों का नई पूंजी उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपए, ऋणों के पुन: वित्तपोषण के लिए सिडबी को 15,000 करोड़ रुपए और आवास वित्त कंपनियों की मदद करने के लिए एनएचबी को 10,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
 
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई कोविड-19 के प्रकोप से पैदा होने वाले हालात पर नजर बनाए हुए है। मार्च में निर्यात 34.6 प्रतिशत घट गया, जो 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में कहीं बड़ी गिरावट को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि किसी कर्ज को फंसा कर्ज घोषित करने का 90 दिन का नियम बैंकों के मौजूदा कर्ज की किस्त वापसी पर लगाई गई रोक पर लागू नहीं होगा।
 
उल्लेखनीय है कि कर्जदारों को बैंकों के कर्ज की किस्त भुगतान पर 3 माह के लिए छूट दी गई है। इस छूट के चलते बैंकों के कर्ज को एनपीए घोषित नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से पैदा हुई वित्तीय दबाव के हालात के मद्देनजर बैंकों को आगे किसी भी अन्य लाभांश भुगतान से छूट दी जाती है।
 
महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि उपभोक्ता सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में मार्च में गिरावट आई है और इसमें आगे और गिरावट की उम्मीद है। रिजर्व बैंक कीमतों में गिरावट की स्थिति का फायदा उठाएगा और उधार लेने वालों तक इसका लाभ पहुंचाएगा। (भाषा)
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