असम सरकार का बड़ा फैसला, होम क्वारंटाइन वाले कोविड-19 मरीजों को देना होगा शपथ पत्र
गुवाहाटी। असम सरकार कोविड-19 के बिना लक्षण वाले मरीजों को घर पर पृथक-वास की अनुमति देगी, लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ शर्तों को स्वीकार करते हुए एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हेमंत विश्व सरमा को कहा कि ऐसे मरीजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पड़ोसियों और आवासीय सोसायटी को उनके घर पर क्वारंटाइन से कोई आपत्ति नहीं है, परिवार में कोई बुजुर्ग सदस्य नहीं है और हर 3 घंटे में स्वास्थ्य की जांच करने के लिए उनके पास एक निजी चिकित्सक है।
सरमा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इसके अलावा उनके घर में एक पल्स ऑक्सीमीटर होना चाहिए और हालत बिगड़ने की स्थिति में अस्पताल पहुंचने के लिए निजी वाहन उपलब्ध होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग घर पर पृथक-वास को तरजीह नहीं देता है क्योंकि इससे घर में दूसरे लोगों को, खासतौर से बुजुर्गों और बच्चों को यह बीमारी होने का खतरा है। हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी कोविड-19 मरीजों का समय से इलाज हो।
उन्होंने कहा कि असम में सामाजिक ताना-बाना इस तरह का है कि आमतौर पर तीन पीढ़ियां एक घर में एक साथ रहती है और अगर मरीज को अलग नहीं किया जाता है तो उसके 10 अन्य लोगों को संक्रमित करने की आशंका रहती है।
मंत्री ने बताया कि विमान से गुवाहाटी आने वाले यात्रियों को हवाईअड्डे पर कोविड-19 एंटीजन जांच करानी होगी और संक्रमित न पाए जाने पर उन्हें 14 दिनों के लिए घर पर पृथक-वास करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि निजी अस्पताल कोविड जांच के बगैर मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं इसलिए हमने उन्हें जांच सुविधाएं देने के लिए कहा और उनमें से कुछ को छोड़कर ज्यादातर अस्पतालों ने ऐसा नहीं किया।‘
सरमा ने कहा कि फौरन अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता वाले गंभीर रूप से बीमार मरीजों के मामले में हमने फैसला किया कि उनके जांच नतीजे 24 घंटे के अंदर दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं और 12 साल से कम उम्र के बच्चों तथा 65 वर्ष की आयु से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक कोविड-19 देखभाल केंद्र बनाएगा, जहां चौबीसों घंटे डॉक्टर और नर्स उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि गुवाहाटी शहर में स्थिति अब भी गंभीर है। वहां अभी तक कोरोना वायरस के 6,221 मामले सामने आए हैं। (भाषा)