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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 11 दिसंबर 2021 (13:50 IST)

ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ भारतीयों का कवच बनेगी हाइब्रिड इम्युनिटी

ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ भारतीयों का कवच बनेगी हाइब्रिड इम्युनिटी - Hybrid immunity to protect Indians against Omicron variants
देश में ओमिक्रॉन मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। ओमिक्रॉन पॉजिटिव केसों की संख्या 5 राज्यों में कुल 32 हो गई है। नए मामलों में 7 मरीज महाराष्ट्र के हैं, जबकि 2 मरीज गुजरात में मिले हैं। राहत की बात यह है कि ओमिक्रॉन पॉजिटिव केसों में माइल्ड लक्षण ही आ रहे है और वह संक्रमित व्यक्ति तेजी से स्वस्थ हो रहे है।

ओमिकॉन वैरिएंट को लेकर 'वेबदुनिया' ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में आनुवंशिकी (जैनेटिक्स) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे से बातचीत कर भारत में ओमिकॉन वैरिएंट के अब तक के असर और आगे की रणनीति और संभावना पर विस्तार से बातचीत की। पढ़िए ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे का नजरिया उन्हीं के शब्दों मेंं।  

वैज्ञानिकों ने महीनों पहले भविष्यवाणी की थी कि कोविड-19 एंडेमिक बनकर रह जाएगा। जिसका आशय है कि यह आने वाले वर्षों के लिए यह वैश्विक आबादी में घूमता रहेगा और अभी तक के जीरो कोविड जगहों पर अपना प्रकोप फैलाता रहेगा। 2021 के अंत तक इस संकट के खत्म होने की बात कही जा रही थी। लेकिन, तभी आया ओमिक्रॉन वैरिएंट जिसने बता दिया कि लड़ाई अभी जारी है। यह बदलाव इतना सहज नहीं होने वाला है। हम 2 लहर को झेल चुके हैं, जिसके फलस्वरूप एक बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होकर ठीक भी हो चुके है। नेचुरल इंफेक्शन और वैक्सीन की खुराक मिलकर हमारे अंदर हाइब्रिड इम्युनिटी तैयार कर रही है। अतः भारत अब हाइब्रिड इम्युनिटी के दौर में हैं। 
 
ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर इस तरह का दहशत होना ठीक नहीं है। सतर्कता और बचाव जरूरी है। इसका पालन करते रहे। ओमिक्रॉन को समझने में अभी समय लगेगा। वैज्ञानिकों का दल इस गुत्थी को सुलझाने में लगा है। अभी तक इसके मूलस्थान दक्षिण अफ्रीका की स्थिति पर गौर करें, तो संक्रमण की दर काफी तेज है। मगर इसका गंभीर असर लोगों की सेहत पर पड़ता दिख नहीं रहा है।
 
कुछ यूरोपीय देशों को छोड़ दें तो कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा का कहर जब अपने अवसान पर था, तभी अफ्रीका के ओमिक्रॉन ने चिंता बढ़ा दी। जबकि हमें यह समझना होगा कि प्रकृति में म्युटेशन एक नेचुरल प्रॉसेस है। किसी भी संक्रामक वायरस में समय-समय पर म्युटेशन होते ही रहेंगे। यह 32 स्पाइक म्युटेशन वाला वैरिएंट है, जिनमे डेल्टा वाले म्युटेशन भी पाए गए हैं। शुरुआती दिनों में हुए संक्रमण के आधार पर कंप्यूटर सिमुलेशन करके ओमिक्रॉन को डेल्टा वैरिएंट से कई गुना ज्यादा घातक बता दिया गया। इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द होने लगीं और अफवाहों का दौर शुरू हो गया।
 
विज्ञान कहता है कि संक्रमण शुरू होने के कम से कम 2  हफ्ते बाद ही ऐसे सिमुलेशनस का कोई वैज्ञानिक आधार होता है। ऐसे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। ओमिक्रॉन के अभी तक के उपलब्ध सीक्वेंस डाटा पर अगर हम गौर करे तो इस वैरिएंट का पहला संस्करण मई 2020 में ही आ चुका था। किसी इम्म्युनोकम्प्रोमाइज्ड रोगी में लम्बे समय तक रहकर वायरस म्युटेशन पर म्युटेशन करता रहा, और एक असाधारण स्वरुप में बाहर निकला।

जब वायरस किसी व्यक्ति को संक्रमित करता है तो यह अपनी संख्या बढ़ाता है जिससे म्युटेशन होने और नए वैरिएंट के पैदा होने की सम्भावना बढ़ जाती है। अभी भी वेरिएंट को रोकने का मुख्य तरीका वैश्विक टीकाकरण है, जिसमें भारत की तरह सामंजस्यता पूरे विश्व को दिखानी होगी।

अगर हम भारत के लोगों पर इस वैरिएंट के प्रभाव की बात करे, तो यहां पर लगभग 60-70% लोग वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। इनमे से ज्यादातर लोगो को वैक्सीन की दोनों खुराक भी लग चुकी है। ऐसे लोगों को हाइब्रिड इम्युनिटी की श्रेणी में रखा जाता है। हाइब्रिड इम्युनिटी कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ उच्चतम और सबसे टिकाऊ इम्युनिटी प्रदान करती है। इसके साथ ही विगत वर्ष किये गए शोध बताते है, कि मात्र 5-10% लोगों में ही दोबारा संक्रमण पाया गया है।
 
अतः भारत में इस वैरिएंट का भविष्य इस पर निर्भर करेगा है कि यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता से कैसे पार पाता है? अब चूंकि ओमिक्रॉन के मामले भारत में मिलने लगे है तो हमें इस पर काबू पाने के लिए दुरुस्त व्यवस्था अपनानी होगी। कोरोना के बीते हुए दो वर्ष में हम लोगों ने सुरक्षा के काफी उपाय सीखे। इसी सीख को आत्मसात करते हुए हमें एक ही फार्मूले पर काम करना चाहिए कि ‘इंफेक्शन नहीं तो नए वैरिएंट भी नहीं’।

अब एक चिंता उनकी है जो न तो संक्रमित हुए और न ही वैक्सीन लगवाए हैं। ये वो लोग हैं जो कि नए वैरिएंट के शिकार आसानी से हो जाएंगे। इससे भविष्य में टीके का प्रतिरोधी वैरिएंट भी जन्म ले सकता है, जो पुनः हमें वही पंहुचा सकता है जहां से इस वायरस के खिलाफ हमने युद्ध शुरू किया था। 
 
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