नई दिल्ली। दिल्ली में शुक्रवार को कोरोनावायरस (Coronavirus) के 5482 नए मामले सामने आए, वहीं 98 मरीजों की मौत हो गई। इसके साथ ही शहर में मृतकों की संख्या बढ़कर 8909 हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यहां संक्रमण दर 8.51 फीसदी है। इससे पहले गुरुवार को यह दर 8.65 फीसदी और बुधवार को 8.49 फीसदी थी।
दिल्ली सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी बुलेटिन में बताया गया कि एक दिन पहले 28,100 आरटी-पीसीआर जांच और 36,355 रैपिड एंटीजन जांच समेत 64,455 जांच की गई। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 11 नवंबर को रिकॉर्ड 8,593 नए मामले सामने आए थे। वहीं 18 नवंबर को सबसे ज्यादा 131 लोगों की मौत हुई। बुलेटिन के अनुसार शुक्रवार को संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 5,56,744 हो गई, जिनमें से 5,09,654 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। दिल्ली में अब 38,181 लोगों का उपचार चल रहा है।
दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने को 'आप' ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण : राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने के कदम को आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया। आप ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ऐसे संकट के समय में 'गंदी राजनीति' खेल रही है।
केंद्र ने शुक्रवार को कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि बार-बार कहने के बावजूद उसने जांच क्षमता, विशेष तौर पर आरटी-पीसीआर जांच, बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाए और काफी समय से प्रतिदिन 20,000 के करीब आरटी-पीसीआर जांच ही हो रही थी।
आप ने एक बयान में कहा कि केंद्र द्वारा उसके हलफनामे में उच्चतम न्यायालय के समक्ष दिल्ली सरकार पर की गईं टिप्पणियां बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। बयान में कहा गया, ऐसा जान पड़ता है कि यह हलफनामा केंद्र सरकार के बजाय भाजपा के प्रवक्ता द्वारा तैयार किया गया, जबकि केंद्र को महामारी के इस काल में राज्यों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करना चाहिए। यह हलफनामा तथ्यात्मक रूप से भी गलत है।
आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि 15 नवंबर को हुई एक बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 72 घंटे के भीतर 750 आईसीयू बिस्तर उपलब्ध कराने का वादा किया था लेकिन अब तक केवल 200 बिस्तर मुहैया कराए गए हैं।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा, डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण समेत दिल्ली सरकार की उपलब्धियों पर जहां नियमित विज्ञापन थे, वहीं कोविड-19 अनुकूल व्यवहार पर कोई विज्ञापन नहीं देखा गया। व्यापक रूप से लोगों को भी नियमित संपर्क उपायों के जरिए इसकी जानकारी नहीं थी।
उसने कहा, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के संदर्भ में बार-बार कहे जाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने जांच क्षमता बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाए, खासतौर पर आरटी-पीसीआर के लिए, जो करीब 20,000 जांच के स्तर पर काफी समय से स्थिर थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह ने केंद्र के हलफनामे को संज्ञान में लिया और कहा, चीजें बद से बदतर होती जा रही हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।(भाषा)