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Written By हिमा अग्रवाल
Last Updated : शनिवार, 6 अगस्त 2022 (23:08 IST)

Commonwealth Games : मेरठ की बेटी को मिला रजत पदक, तिरंगा लेकर झूम उठा परिवार

Commonwealth Games : मेरठ की बेटी को मिला रजत पदक, तिरंगा लेकर झूम उठा परिवार - Priyanka Goswami won silver medal in walking competition at Commonwealth Games
Priyanka goswami ने Commonwealth Games 2022 में रजत पदक जीता तो उनका परिवार खुशी से झूम उठा। घर में ढोल की थाप और हाथ में तिरंगा लहराते हुए जश्न और बेटी की जीत पर माता-पिता मिठाई बांट रहे हैं। प्रियंका गोस्वामी ने 10 हजार मीटर पैदल चाल प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर देश के साथ ही मेरठ का नाम भी रोशन किया है। इस होनहार बिटिया की जीत पर देश के प्रधानमंत्री ने भी बधाई दी है।

बर्मिंघम में भारत की बेटी प्रियंका गोस्वामी ने 43.38 मिनट में 10 किलोमीटर रेसवॉक पूरी करते हुए रजत पदक जीतकर भारत का तिरंगा शान से लहराया है। जीत की खबर जैसे ही मेरठ में उनके माता-पिता को लगी तो वे खुशी से देश की आन, बान-शान तिरंगा लेकर झूम उठे। बेटी की जीत पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है, कोई प्रियंका के मेरठ माधवपुरम घर पर बधाई देने पहुंचा तो कोई फोन पर बधाई संदेश दे रहा है।

मेरठ के माधवपुरम सेक्‍टर तीन में रहने वाली एथलीट प्रियंका गोस्वामी मूल रूप से मुजफ्फरनगर की रहने वाली हैं। लंबे समय से उनका परिवार मेरठ में रह रहा है। पैदल चाल में प्रियंका के रजत पदक जीतने के बाद मेरठ और मुजफ्फरनगर शहर इस बेटी पर गर्व कर रहा है।

इस होनहार बिटिया ने रेसवॉक की प्रेक्टिस करके पदक पाने का सपना पूरा किया है। वर्तमान में प्रियंका रेलवे में नौकरी कर रही हैं। अब तक वे 20 किलोमीटर पैदल चाल में 3 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुकी हैं, जबकि 16 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में से 14 में पदक अपने नाम कर चुकी हैं।

बस कंडेक्टर की बेटी प्रियंका आज मेडल जीतकर दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। प्रियंका को एथलीट बनाने में एक बैग की चाहत का बड़ा हाथ है। खूबसूरत बैग की चाहत ने इस खिलाड़ी को बर्मिंघम तक पहुंचा दिया। प्रियंका ने पैदल चाल में सबसे पहले 3 जनवरी 2011 को प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और उन्हें उपहार में एक बैग मिला, इस बैग को पाकर वह बेदह खुश हुईं और उनका खेल के प्रति लगाव बढ़ गया।

खेल विभाग प्रतियोगिता में जीतने वाले खिलाड़ियों को बैग उपहार में देता था, इस बैग को पाने की ललक में यह बिटिया पैदल चाल प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनीं और जीतीं, बस उस दिन के बाद से प्रियंका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

प्रियंका के माता-पिता बेटी की कामयाबी पर फुले नहीं समा रहे हैं, उनका कहना है कि लाडली ने मेडल लाने का जो वादा किया था, उसे पूरा कर दिखाया है। प्रियंका ने वर्ष 2015 में रेस वॉकिंग तिरुवनंतपुरम में आयोजित हुई, इस राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उन्होंने मेंगलुरु में फेडरेशन कप में भी तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पाया। वर्ष 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में प्रियंका ने कमाल करते हुए गोल्ड मेडल जीता। सन् 2018 में खेल कोटे से प्रियंका को रेलवे में क्लर्क की नौकरी मिल गई। इस नौकरी को पाकर इस होनहार बिटिया ने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी। अब वे खेल जगत में अपना परचम फहराते हुए मेरठ जिले के साथ देश का नाम दुनिया में रोशन कर रही हैं।
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