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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 (12:59 IST)

Suryast ka samay: छठ पूजा पर आज कब होगा सूर्य अस्त, क्या है सूर्यास्त का समय

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27 अक्टूबर 2025 सूर्यास्त का समय
27 October 2025 Sunset time: आज 27 अक्टूबर, सोमवार को छठ पूजा का तीसरा और मुख्य दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन नदी, तालाब या सरोवार के घाट पर महिलाएं एकत्रित होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव की पूजा करती है। जानिए दिल्ली, लखनऊ, पटना, इंदौर और मुंबई में क्या है सूर्यास्त का समय। 
 
छठ पूजा पर षष्ठी तिथि का प्रारंभ और समापन समय:
षष्ठी तिथि प्रारम्भ- 27 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:04 बजे से।
षष्ठी तिथि समाप्त- 28 अक्टूबर 2025 को सुबह 07:59 बजे तक।
दिल्ली टाइम के अनुसार 27 अक्टूबर 2025 डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय:
सूर्योदय समय: छठ पूजा के दिन सूर्य उदय सुबह 06:30 बजे होगा।
सूर्यास्त समय: छठ पूजा के दिन सूर्या अस्त शाम 05:40 बजे होगा।
खास शहरों में संध्या अर्घ्य का समय और शुभ मुहूर्त: 
शहर: सूर्यास्त का समय (लगभग)
दिल्ली: शाम 5:40 बजे
पटना: शाम 5:12 बजे से 5:40 बजे के बीच (विभिन्न स्रोतों के अनुसार)
लखनऊ: शाम 5:27 बजे
इंदौर: शाम 5:52 बजे से 5:53 बजे के बीच
मुंबई: शाम 6:08 बजे
 
दिल्ली टाइम के अनुसार 28 अक्टूबर 2025 उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय:
सूर्योदय समय: छठ पूजा के दिन सूर्य उदय सुबह 06:29 बजे होगा।
सूर्यास्त समय: छठ पूजा के दिन सूर्या अस्त शाम 05:39 बजे होगा।
संध्या अर्घ्य देने की विधि:- 
  • संध्या षष्ठी को अर्घ्य अर्थात संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और विधिवत पूजन किया जाता है।
  • एक बांस के सूप या टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू, केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें। 
  • तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्‍य ने लिए तांबे के लोटे में जल लेकर जल को सूर्य के समक्ष अर्पित करते हैं।
 
ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:॥
  • इसी दौरान सूर्य को जल एवं दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है।
  • सुबह के समय उषा और शाम के समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देने का लाभ मिलता है। 
  • कहते हैं कि शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है।
  • बाद में रात्रि को छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।