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Last Modified: गुरुवार, 30 मई 2024 (18:25 IST)

परेश रावल ने तीन दिन में ही छोड़ दी थी बैंक की नौकरी, जेबखर्च के लिए गर्लफ्रेंड से लेते थे पैसे

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Paresh Rawal Birthday: अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को दीवाना बनाने वाले परेश रावल ने अपने करियर की शुरूआत में बैंक में काम किया लेकिन उन्होंने तीन दिन में ही नौकरी छोड़ दी थी। परेश रावल का जन्म 30 मई, 1955 को मुंबई में एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ था। परेश के पिता का नाम ‘दह्यालाल रावल’ था। परेश ने स्कूल की पढ़ाई ‘महाराष्ट्र एसएससी बोर्ड’ से पूरी की। 
 
इसके बाद परेश रावल ने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। परेश रावल को बचपन से ही अभिनय में रुचि थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें थियेटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया और नाटकों में हिस्सा लेने लगे। परेश रावल ने एक बार बताया था कि उनके घर परिवार में पॉकेट मनी का कोई कॉन्सेप्ट नहीं था। ऐसे में वह गुजारे के लिए बैंक में नौकरी करने लगे।
 
परेश ने बताया था कि उन्हें डेढ़ महीने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा में नौकरी मिली थी लेकिन उन्होंने तीन दिन के बाद ही नौकरी छोड़ दी थी। ऐसे में उनके लिए सर्वाइव करना मुश्किल हो रहा था. तब उनकी मदद उनकी गर्लफ्रेंड संपत स्वरुप करती थी। स्वरूप संपत परेश को पैसे दिया करती थी। 
 
स्वरूप संपत अभिनेत्री भी रह चुकी हैं। उन्होंने मिस इंडिया का खिताब भी जीता था। परेश रावल और स्वरूप संपत ने वर्ष 1987 में शादी रचा ली थी। परेश रावल ने वर्ष 1984 में प्रदर्शित फिल्म 'होली' में काम किया। आमिर खान ने इसी फिल्म से अभिनेता के रूप में अपने सिने करियर की शुरुआत की थी। 
 
इस फिल्म के बाद परेश रावल को 'हिफाज़त', 'दुश्मन का दुश्मन', 'लोरी' और 'भगवान दादा' जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला लेकिन इनसे उन्हें कुछ ख़ास फायदा नहीं हुआ। वर्ष 1986 में परेश रावल को राजेन्द्र कुमार निर्मित फिल्म 'नाम' में काम करने का अवसर मिला। संजय दत्त और कुमार गौरव अभिनीत इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में दिखाई दिए। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और वह खलनायक के रुप में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। 
 
'नाम' की सफलता के बाद परेश रावल को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए। जिनमें 'मरते दम तक', 'सोने पे सुहागा', 'ख़तरो के खिलाड़ी', 'राम लखन', 'कब्ज़ा', 'इज़्ज़त' जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद परेश रावल ने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर दर्शको को भावविभोर कर दिया।
 
वर्ष 1993 परेश रावल के सिने करियर का महत्वपूर्ण साल साबित हुआ। इस साल उनकी 'दामिनी', 'आदमी और मुकाबला' जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुईं। फिल्म 'सर' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला जबकि फिल्म 'वो छोकरी' में अपने दमदार अभिनय के लिए वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। वर्ष 1994 में प्रदर्शित फिल्म 'सरदार' परेश रावल करियर की महत्वपूर्ण फिल्मो में एक है। केतन मेहता निर्मित इस फिल्म में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी वल्लभ भाई पटेल की भूमिका को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। 
 
इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय से उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बना ली। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म 'तमन्ना' परेश रावल की महत्वपूर्ण फिल्म में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे 'हिजड़े' की भूमिका निभाई, जो समाज के तमाम विरोध के बावजूद एक अनाथ लड़की का पालन-पोषण करता है। हालांकि यह फिल्म टिकट खिड़की पर कोई ख़ास सफल नहीं हुई लेकिन उन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय से दर्शको के साथ ही समीक्षकों का भी दिल जीत लिया।
 
वर्ष 2000 में प्रदर्शित फिल्म 'हेराफेरी' परेश रावल की सर्वाधिक सफल फिल्मों में से एक है। प्रियदर्शन निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने 'बाबू राव गणपत राव आप्टे' नामक मकान मालिक का किरदार निभाया। इस फिल्म में परेश रावल, अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी की तिकड़ी के कारनामों ने दर्शको को हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया। फिल्म की सफलता को देखते हुए 2006 में इसका सीक्वेल 'फिर हेराफेरी' बनाया गया। 
 
'हेराफेरी' की सफलता के बाद परेश रावल को ऐसा महसूस हुआ कि खलनायक की बजाय हास्य अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में उनका भविष्य अधिक सुरक्षित रहेगा। इसके बाद उन्होंने अधिकतर फिल्मों में हास्य अभिनेता की भूमिकाएं निभानी शुरु कर दी। इन फिल्मों में 'आवारा पागल दीवाना', 'हंगामा', 'फंटूश', 'गरम मसाला', 'दीवाने हुए पागल', 'मालामाल वीकली', 'भागमभाग', 'वेलकम' और 'अतिथि तुम कब जाओगे' जैसी फिल्में शामिल हैं।
 
परेश रावल अब तक तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके है। साल 1993 में प्रदर्शित फिल्म 'सर' के लिए सबसे पहले उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद 2000 में फिल्म 'हेराफेरी' और 2002 में फिल्म 'आवारा पागल दीवाना' के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। साल 1995 में प्रदर्शित फिल्म 'राजा' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का स्टार स्क्रीन पुरस्कार भी दिया गया।
 
फिल्मों में अभिनय के अलावा परेश रावल ने तीन बहुरानियां और लागी तुझसे लगन जैसे टीवी धारावाहिकों का निर्माण भी किया। परेश रावल को फिल्मों में उनके सराहनीय योगदान के लिए केंद्र सरकार की तरफ से साल 2014 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
 
परेश रावल ने साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर अहमदाबाद पूर्व सीट से चुनाव जीता था। परेश रावल को फिल्म इंडस्ट्री में आए हुए चार दशक हो गए है। इस दौरान उन्होंने करीब 250 फिल्मो में काम किया है। उनकी आने वाली फिल्मों में वेलकम टू द जंगल , हेरा फेरी 3 शामिल है।
 
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