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Last Modified: गुरुवार, 2 जुलाई 2020 (18:38 IST)

इस वजह से मनोज बाजपेयी के मन में आने लगा था आत्महत्या करने का ख्याल

इस वजह से मनोज बाजपेयी के मन में आने लगा था आत्महत्या करने का ख्याल - manoj bajpayee was ever going to commit suicide due to rejection
सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से कई सितारे अब डिप्रेशन को लेकर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। हाल ही में नेशनल अवॉर्ड विनर एक्टर मनोज बाजपेयी ने अपने स्ट्रगल के शुरुआती दिनों में सामने आई परेशानियों को लेकर खुलकर अपनी बात की, और बताया कि एक समय ऐसा भी था जब वह आत्महत्या करने के बारे में सोच रहे थे।

 
मनोज बाजपेयी के मन में आत्महत्या का ख्याल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में तीन बार रिजेक्ट होने के बाद आना शुरू हुए थे। इस दौरान एक्टर की मदद उनके दोस्तों ने की थी। ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे नाम के इंस्टाग्राम पेज पर मनोज बाजपेयी ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है।
मनोज बाजपेयी ने कहा कि 9 साल की उम्र में मुझे एहसास हो गया था कि एक्टिंग ही मेरी मंजिल है। 17 साल की उम्र में मै दिल्ली यूनिवर्सिटी चला गया। वह पढ़ाई के साथ थियटर भी करने लगे। मैं एक आउटसाइडर था जो फिट होने की कोशिश कर रहा था तो मैंने अपने आपको इंग्लिश और हिंदी सिखाना शुरू किया।
 
मनोज ने कहा, मैंने फिर एनएसडी में अप्लाई किया लेकिन मैं तीन बार रिजेक्ट हुआ। मैं आत्महत्या करने के काफी पहुंच गया था। यही कारण है कि मेरे दोस्त मेरे पास सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे। दोस्तों ने उनका काफी साथ दिया। उस साल मैं एक चाय की दुकान पर था जब तिग्मांशु अपने खटारा से स्कूटर पर मुझे देखने आया था। शेखर कपूर मुझे बैंडिट क्वीन में कास्ट करना चाहते थे। तो मुझे लगा मैं रेडी हूं और मुंबई आ गया। शुरूआत में बहुत मुश्किल होती थी।
 
जब वह मुंबई आए तो ऑडिशन के दौरान असिस्टेंट डायरेक्टर ने उनकी तस्वीरें फाड़ दी थीं और 3 प्रॉजेक्ट्स उनके हाथ से निकल गए थे। मनोज बताते हैं कि वह 'आइडियल हीरो' फेस में फिट नहीं बैठते थे इसलिए लोगों को लगा कि वह बड़े पर्दे पर कभी काम नहीं कर पाएंगे।
 
मनोज ने बताया, मेरे काम को पहचाना गया और मुझे कुछ समय बाद सत्या में काम करने का मौका मिला। इसके बाद अवॉर्ड्स मिले। मैंने अपना पहला घर खरीदा और मुझे एहसास हो गया था कि मैं यहां रूक सकता हूं। 67 फिल्मों के बाद भी मैं टिका हुआ हूं। जब आप अपने सपनों को हकीकत में बदलने की कोशिश करते हैं तो मुश्किलें मायने नहीं रखते हैं सिर्फ 9 साल के उस बिहारी बच्चे का विश्वास मायने रखता है।
 
बता दें कि मनोज बाजपेयी हिंदी सिनेमा जगत के सशक्त अभिनेता माने जाते है। उन्होंने अपने दमदार एक्टिंग से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई है। बॉलीवुड में सत्या, अलीगढ, राजनीति, सत्याग्रह, गैंग्स ऑफ वासेपुर समेत कई फिल्मों में एक्टर ने अपनी अदाकारी से सबका दिल जीता है।
 
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