'जय भीम' सिर्फ मनोरंजक नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण फिल्म है : सूर्या
साउथ स्टार सूर्या ने कहा कि उनकी अगली फिल्म 'जय भीम' सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण फिल्म है, जो एक समुदाय के न्याय की तलाश से संबंधित कई महत्वपूर्ण सवाल करती है। यह फिल्म 90 के दशक में तमिलनाडु में हुई सच्ची घटनाओं पर आधारित है।
फिल्म में इरुलुर आदिवासी समुदाय के एक जोड़े सेंगगेनी और राजकन्नू की कहानी है। राजकन्नू को जब झूठे आरोप में पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और बाद में जब वह पुलिस हिरासत से लापता हो जाता है तो उसकी पत्नी उसकी तलाश के लिए वकील चंद्रू (सूर्या द्वारा निभाया गया किरदार) का सहारा लेती है।
एक इंटरव्यू के दौरान सूर्या ने कहा कि उनका रुझान अब जय भीम जैसी फिल्मों की तरफ ज्यादा है क्योंकि इससे समाज में महत्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत शुरू होती है। वह अब कठिन सवाल को चुनते हैं और उसके जवाब चाहते हैं या कम से कम यह चाहते हैं कि लोग इस पर सोचें।
उन्होंने कहा कि यह पेचीदा स्थितियों में घुसने जैसा है। वह जब एक विषय उठाते हैं तो यह सोचते हैं कि क्या वह लोगों को इससे जोड़ पा रहे हैं या नहीं।
इस फिल्म का निर्देशन टी. एस. ज्ञानवेल ने किया है और इसमें एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो उत्पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए तमाम बाधाओं के बाद भी खड़ा होता है। इस फिल्म में प्रकाश राज, राव रमेश, रजीशा विजयन समेत अन्य कलाकार हैं।
फिल्म समाज के पटल पर गौण दिखने वाले समुदाय पर है लेकिन सूर्या का कहना है कि यह फिल्म आधुनिक राजनीति पर टिप्पणी नहीं है। यह फिल्म 1995 के बाद के घटनाक्रम से कहीं ज्यादा है। निश्चित तौर पर यह कुछ निश्चित चीजों के बारे में काफी लोगों को प्रेरित करेगी।
इसमें यह दिखाया गया है कि न्यायपालिका और पुलिस विभाग को न्याय दिलाने के लिए किस तरह से साथ-साथ काम करना चाहिए। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर 2 नवंबर को तमिल, तेलुगु और हिन्दी भाषा में रिलीज होगी।