रेस 3 के ज़रिए नए नवेले रूप में बॉबी देओल ने लोगों के सामने अपने आप को पेश किया था, लेकिन अभी भी वो दिल से देसी बने रहना पसंद करते हैं। गैजेट का को शौक है लेकिन जब फिल्म देखने की बात आए तो अभी भी फिल्म सिनेमा हॉल में ही देखना पसंद करते हैं।
बॉबी कहते हैं, " मुझे नहीं याद कि मैंने थिएटर में पहली कौनसी फिल्म देखी थी, लेकिन मैं कभी भी मोबाइल की छोटी-सी स्क्रीन पर फिल्में नहीं देख सकता। कुछ साल पहले जब आई पैड भी आए थे और उस पर फिल्म देखना भी शुरू हुआ था। मेरी समझ में नहीं आया कि कैसे देखूं इतने से पर्दे पर बड़ी सी फिल्म।"
वेबदुनिया संवाददाता रूना आशीष ये बात करते हुए बॉबी ने बताया कि उन्हें पारिवारिक फिल्में या ऐसी फिल्में करना और देखना पसंद हैं जो घर वालों के साथ बैठ कर देखी जा सकें और उसके मज़े उठाए जा सकें। कई बार बहुत डार्क फिल्में आ जाती हैं जो उन्हें पसंद नहीं, लेकिन कभी कोई ऐसी फिल्म आ जाए जिसमें कहानी बेहतरीन है या कैरेक्टर बहुत अच्छे हैं तो देखता हूं।
वर्ल्ड सिनेमा जैसी फिल्में बॉलीवुड में बनती हैं?
पहले तो हम बॉलीवुड नहीं भारतीय फिल्म इंडस्ट्री हैं। हम जाने क्यों पश्चिमी बातों से इतना प्रभावित हैं। हमारे देश में पहले कितनी सुंदर फिल्में बनती थी, लेकिन पश्चिमी या वर्ल्ड सिनेमा के चक्कर में हमने अपनी ही खूबसूरती खो दी। जहां तक मेरा सवाल है तो मैं हमेशा कमर्शियल फिल्म ही करूंगा। एक बार अलग फिल्म ‘पोस्टर बॉइज़’ की थी, जिसमें शुद्ध हिंदी भी बोली थी, सबकी वाहवाही भी मिली लेकिन फिल्म नहीं चली।
अब बदले हुए बॉबी के साथ कैसा महसूस करते हैं?
लोग मुझे प्यार करते हैं और मुझे पर्दे पर देखते रहना चाहते है। मैं वो किरदार करूंगा जो मुझे पर फबता हो। क्या करूं मैं गरीब नहीं दिखता हूं तो मुझे इस बात का ख्याल रखना पड़ेगा। जिम जाता हूं, सही खाने का ध्यान रखता हूं, बादाम का दूध पीता हूं। आजकल बहुत लोग इस दूध को पीने लगे हैं। अभी हाल ही में एक पार्टी से निकल कर बाहर गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था तो पास के ही दूसरे फंक्शन से निकलते हुए लोगों में से कुछ ने कहा कि आप हमें प्रेरणा देते हैं कि हम भी अपने आप को बदलें। बहुत अच्छा लगता है जब इन सब बातों को देखता और सुनता हूं।
हाल ही में आपके बेटों की तस्वीरें भी वायरल हुई थीं?
मैंने कभी नहीं चाहा कि मेरे बच्चे इस दुनिया में अभी से आएं। हमारी भी परवरिश वैसे ही हुई है। हम भी बचपन में फिल्मी पार्टी में नहीं जाते थे। इस कच्ची उम्र में फिल्म दुनिया की चकाचौंध आपका बहका सकती है। इस उम्र में हो सकता है कि आप बहक जाएं, वो मैं बच्चों के साथ नहीं चाहता। वो तो इस बार मैं आईफा में परफॉर्म कर रहा था तो बच्चों को साथ चलने को कहा। उसमें भी बड़ा बेटा तो पढ़ाई करने में ज़्यादा रूचि दिखा रहा था। फिर ये सब लोग दो दिन के लिए आ गए थे। बड़ा वाला अभी 11वीं में है और आगे के लिए यूनिवर्सिटी देख रहा है। वो कहता है आगे पढ़ना है और मैं कहता हूं तू मुझे छोड़ कर कहीं भी मत जाना।
आप घर में छोटे रहे हैं। किस पल लगा कि अब मैं बड़ा हो गया हूं?
मुझे तो आज भी लगता है कि मैं छोटा ही हूं। वो तो अपने बच्चों को देख कर लगता है कि हे भगवान मैं इतना बड़ा हूं। बड़ा बेटा मुझसे भी लंबा है और छोटा वाला भी बहुत जल्दी मुझे पार कर जाएगा। बचपन में भी मैं बहुत शांत रहता था, कभी भी शरारती नहीं रहा। अब बाकी सब कहें कि घर के छोटे हो, बदमाश रहे हो, तो मैं क्या करूं? आपने जैसा बनाया वैसा बन गया, लेकिन मैं कभी स्कूल में बदमाशी नहीं करता था। मुझे स्कूल किसी सज़ा जैसा लगता था।