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रितिक अच्छे डांसर या खूबसूरत शख्स नहीं बेहतरीन एक्टर भी : मृणाल ठाकुर

रितिक अच्छे डांसर या खूबसूरत शख्स नहीं बेहतरीन एक्टर भी : मृणाल ठाकुर - batla house actress mrunal thakur exclusive interview for webdunia
'टीवी में मैंने ये तक सुना है कि आप बीमार हो तो भी सेट पर आ जाओ, आपके लिए एम्बुलेंस बुला रखी है हमने। टीवी में काम करने से आप में अनुशासन आ ही जाता है। यहां इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाढ़ हो रही है या आपको 102 बुखार है, क्योंकि आपके सामने शो की डेडलाइन है।


पहले 'लव सोनिया' से दुनिया में फेस्टिवलों में लोगों का दिल जीतने वाली मृणाल ठाकुर की पिछली और पहली कमर्शियल फिल्म 'सुपर 30' में उनके काम की काफी सराहना हुई। ऐसे में मृणाल फिर एक नई फिल्म 'बाटला हाउस' में जॉन के साथ काम कर रही हैं।

आप शोभना यादव, जो कि असल ऑफिसर संजीव यादव की पत्नी हैं, उनसे भी मिलीं? कैसी रही मुलाकात?
उन्हें जब मैंने पहली बार देखा तो वो संजीवजी के साथ ही बैठी थीं। वो संजीवजी से बिलकुल उलट हैं। संजीवजी बिलकुल सहमे-से रहते हैं जबकि शोभनाजी बहुत ही जिंदादिल लगीं। वो एक न्यूज चैनल में काम करने वाली महिला हैं। वो गलत बात को गलत और सही को सही कहने वालों में से लगीं मुझे। मुझे ये भी लगा कि संजीवजी से ज्यादा शोभनाजी का झुकाव संजीवजी की तरफ ज्यादा है और ये बहुत खूबसूरत बात लगी।
 
आपने रितिक और जॉन से क्या सीखा?
दोनों अपने आप में पूरा व्यक्तित्व हैं। रितिक सिर्फ एक अच्छे डांसर या बहुत खूबसूरत शख्स ही नहीं हैं, वो बेहतरीन एक्टर भी हैं। 'सुपर 30' में एक सीन की प्रिपरेशन करते समय वो मेरे पास आकर बैठे और बात करने लगे। मुझे लगा कि वो बात कर रहे हैं जबकि बाद में मुझे समझ में आया कि वो तो सीन की रिहर्सल कर रहे थे मेरे साथ। वो अपने आपसे कब कैरेक्टर में चले गए, मैं समझ ही नहीं सकी।

जॉन मेरे लिए उनकी बॉडी से कहीं अधिक हैं जबकि 'लव सोनिया' में मैंने कई तरह के एक्टरों के साथ काम किया। कोई स्पॉंटेनियस थे तो कुछ मैथड एक्टिंग में यकीन रखते हैं। दोनों तरीकों के लोगों के साथ एक्टिंग करने को मिला।

आप इंडस्ट्री से नहीं हैं और आपके साथ कई और स्टार किड्स भी लॉन्च हुए हैं?
मुझे तो बड़ा अच्छा लगा। वो लॉन्च हुए हैं तो उनके कंधों पर बहुत भार है कि वो अपने आपको साबित करें। ऐसा किसी भी तरह का प्रेशर मेरे ऊपर नहीं है। मुझे तो थोड़ा-सा बुरा भी लगता है कि उन्हें कितना परखा जाएगा। लेकिन असली कहानी शुरू होती है दूसरी फिल्म के साथ। फिर चाहे वो स्टारकिड हो या मैं। अगर मुझ में या उनमें कई बात होगी तो ही उन्हें अगली फिल्म मिलेगी। फिर बात रही नेपोटिज्म की तो अच्छा है। ये होता रहे, कल को मेरे बच्चे भी आए तो मैं नेपोटिज्म की बात कर सकूंगी।
 
रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस के बारे में बातें बताएं?
पहले रक्षा बंधन की बताती हूं। मैं अपनी मां से लड़ती थी कि मेरा भाई नहीं है लेकिन आज मुझसे 12 साल छोटा मेरा भाई है। वो कहता है कि मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट 'बाटला हाउस' की रिलीज है। वो इसी बात से खुश है। स्वतंत्रता दिवस पर मुझे याद है कि हम अपनी स्कूल के जूते और यूनिफॉर्म सब अपने हाथों से धोकर व इस्त्री करके तैयार रखते थे। स्कूल से आते समय बहुत-सी मिठाइयां मिलती थीं। कंपास बॉक्स मिलता था जिस पर तिरंगा लगा होता था।
 
मेरे पिता बैंक में काम करते थे तो हमने एक बार दिल्ली में जवानों को बैंक के झंडावंदन में बुलाया था। उन्होंने हमें आतंकवादी हमले में बीच-बचाव के बारे में बताया और उन्होंने ये भी बताया कि कैसे उनकी बहनें उन्हें राखी भेजती हैं और वो गुस्सा करती हैं कि भैया इस साल भी राखी पर नहीं आए फिर वो चिट्ठी में लिखती हैं कि कोई बात नहीं, तुम सीमा पर मेरी और हमारे वतन की रक्षा कर रहे हो, वो करते रहना। ये सब जानकर मेरी आंखें भर गई थीं। वो जज्बा ही कुछ अलग होता है।