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Written By अनिल जैन
Last Updated : शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015 (19:43 IST)

मुलायम इसलिए कर रहे हैं भाजपा की तारीफ

मुलायम इसलिए कर रहे हैं भाजपा की तारीफ - Mulayam in Bihar election
पटना। धर्मनिरपेक्ष राजनीति के स्वयंभू चैंपियन और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायमसिंह नहीं चाहते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का गठबंधन जीते। वे इसके लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैँ। पहले उन्होंने जनता परिवार का विलय नहीं होने दिया। फिर सीटों के बंटवारे में अपनी पार्टी की उपेक्षा का बहाना बनाकर महागठबंधन तो़ड़ा और तीसरा मोर्चा बनाया।
 
इतने से भी बात नहीं बनी तो बिहार में घूम कर महागठबंधन के खिलाफ प्रचार शुरू किया और अब भाजपा की तारीफ भी शुरू कर दी है। उन्होंने नीतीश कुमार को धोखेबाज बताया और उनकी धर्मनिरपेक्षता पर भी सवाल उठाया। अपने समधी लालू यादव को भी नहीं बख्शा और उन्हें नासमझ करार दिया।
 
मुलायम की इन कलाबाजियों को राजनीतिक हलकों में हैरानी के साथ देखा जा रहा है। उनके भाजपा प्रेम से परेशान होकर शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने तो गुरूवार को बिहार में मुलायम के नेतृत्व वाले मोर्चे से नाता भी तोड़ लिया। फिर भी सवाल है कि मुलायम ऐसा क्यों कर रहे हैं? आखिर क्यों उन्होंने अपनी सांप्रदायिकता विरोधी छवि और उसके सहारे अर्जित राजनीतिक कमाई को बिहार में दांव पर लगाया?
 
यह आम धारणा है कि सीबीआई की चिंता में वे परोक्ष रूप से भाजपा का साथ देने को मजबूर हुए हैं। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के मामले में चर्चित नोएडा अथॉरिटी के चर्चित इंजीनियर यादवसिंह के मामले में पूरा परिवार फंस सकता है। यह एक कारण हो सकता है लेकिन मुलायम जैसे मंजे हुए नेता की राजनीति तय करने का बुनियादी कारण यह नहीं हो सकता है।
 
दरअसल, मुलायम सिंह अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव की संभावित तस्वीर देखकर चिंता में हैं। उनको लग रहा है कि अगर बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन ने भाजपा को हरा दिया तो भाजपा विरोधी राजनीति में नीतीश हीरो हो जाएंगे और अगले चुनाव में नीतीश ही धर्मनिरपेक्ष, तीसरे या संघीय मोर्चे के नेता होंगे। फिर मुलायम की अपनी संभावना हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
 
उनकी दूसरी चिंता है कि अगर भाजपा बिहार में नहीं जीती तो उत्तर प्रदेश में उसका एजेंडा पूरी तरह बदल जाएगा। वह मुजफ्फरनगर से लेकर वाराणसी तक खुलकर ध्रुवीकरण कराएगी और राम मंदिर का मुद्दा भी उठाएगी, जिससे पार पाना सपा के लिए मुश्किल होगा।