• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Corona time : How british doctors helping indian hospitals
Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 21 मई 2021 (07:49 IST)

कोरोना: ब्रितानी डॉक्टर भारतीय अस्पतालों की कैसे कर रहे हैं मदद?

कोरोना: ब्रितानी डॉक्टर भारतीय अस्पतालों की कैसे कर रहे हैं मदद? - Corona time : How british doctors helping indian hospitals
गगन सबरवाल, बीबीसी संवाददाता, लंदन
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण दबाव झेल रहे डॉक्टरों की मदद के लिए ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के कई डॉक्टर सामने आए हैं। 160 से अधिक डॉक्टरों ने भारत में कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन पर अपनी सेवा दे रहे डॉक्टरों की मदद के लिए एक वर्चुअल हब बनाया है।

इस प्रोजेक्ट के तहत ब्रिटेन के डॉक्टर अपने अनुभव के आधार पर भारतीय अस्पतालों के डॉक्टरों को वीडियो कॉल पर मुफ़्त सलाह दे रहे हैं।

भारत में कोरोना के कारण मचे हाहाकार को देखते हुए ब्रिटेन के प्रोफ़ेसर पराग सिंघल एक ऑनलाइन प्रोजेक्ट शुरू करने का आइडिया लेकर आए। प्रोफ़ेसर सिंघल एक कंसंल्टेंट फ़िज़िशियन हैं और साउथवेस्ट इंग्लैंड के वेस्टर्न जनरल अस्पताल में काम करते हैं।

वो ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ फ़िज़िशियन ऑफ़ इंडियन ओरिजिन (बैपियो) के सचिव भी हैं। ये ब्रिटेन में भारतीय मूल के डॉक्टरों की एक संस्था है।
 
भारतीय डॉक्टरों से साथ बांटते हैं अनुभव
इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़े दूसरे डॉक्टरों की तरह प्रो। सिंघल भी अपने अनुभव भारत के डॉक्टरों के साथ साझा करते हैं। वो मूल रूप से दिल्ली के हैं जो कि महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित शहरों में से एक है।

वो कहते हैं, "भारत हमारा देश है, हम वहीं पैदा हुए और वहां से शिक्षा हासिल की। हमारे परिवार और दोस्त अभी भी वहां रहते हैं। ये मुश्किल हालात हैं। ये देखकर बुरा लगता है मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा, वहां ऑक्सीजन और बेड की कमी है।"

"मुझे हर दिन रिश्तेदारों और दोस्तों के फ़ोन आते हैं कि वहां बेड और ऑक्सीजन की कमी है। वहां से आने वाली ख़बरें हताशा से भरी हैं, मेडिकल स्टाफ़ थक चुके हैं क्योंकि मरीज़ों की संख्या इतनी ज़्यादा है। इसलिए यहां बैपियो में हमने फ़ैसला किया कि हमें एक प्रोजेक्ट के तहत अपने सहकर्मियों की इस मुश्किल समय में मदद करनी चाहिए।"
 
इस टेलीमेडिसिन वर्चुअल हब में ब्रिटेन के डॉक्टर तीन मुख्य मुद्दों से जुड़ी सहायता दे रहे हैं - एचआरसीटी स्कैन की मदद से कोविड का पता लगाने में, कम गंभीर मामलों को वार्ड में वर्चुअली देखने में और हेल्थ केयर सेंटर में डॉक्टरों के साथ बीमारी से जुड़े मसलों पर बात करके मदद करने में।
 
सिंघल कहते हैं कि उनका मुख्य मक़सद डॉक्टरों को सशक्त बनाना है, भरोसा दिलाना है और घर पर रह रहे मरीज़ों की मदद करना है ताकि डॉक्टरों पर से प्रेशर कम किया जा सके।

वार्ड में लगाते हैं वर्चुअल राउंड
प्रोफ़ेसर सिंघल कहते हैं, "कोविड मरीज़ों को जब आसीयू से डिस्चार्ज करने के बाद भी बहुत देखभाल की ज़रूरत होती है। लेकिन अभी इतने डॉक्टर नहीं है कि सभी मरीज़ों को देखा जा सके इसलिए हम वार्ड में वर्चुअल राउंड लगा लेते हैं। ब्रिटेन के डॉक्टर उन मरीज़ों के बार में भारतीय समकक्षों से बात कर उनकी मदद करते हैं।"

भारतीय मूल के ही नहीं, ब्रिटेन के कई डॉक्टर भी अब इस मुहिम से जुड़ गए हैं। इस प्रोजेक्ट से अबतक कुल 500 डॉक्टर जुड़ गए हैं।
 
भारत और ब्रिटेन में समय के अंतर के कारण ज़्यादातर डॉक्टर ब्रिटेन के समय के मुताबिक़ सुबह अपनी सेवाएं देते हैं यानी भारतीय समय के मुताबिक़ क़रीब दोपहर 12 बजे।

सीधे मरीज़ों को नहीं देते सलाह
हालांकि ब्रिटेन के डॉक्टर सीधे मरीज़ों को सलाह नहीं देते बल्कि भारतीय डॉक्टरों को देते हैं। अंतिम फ़ैसला अस्पताल में मौजूद भारतीय डॉक्टर ही करते हैं। इसलिए उन्हें मरीज़ों को देखने के लिए किसी सरकारी मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं है। हालांकि इस टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट को ब्रिटेन के जनरल मेडिकल काउंसिल का समर्थन हासिल है।
 
इस प्रोजेक्ट के तहत बैपियो नागपुर के कई अस्पतालों की मदद कर रहा है। आने वाले कुछ हफ़्तों में वो इस सेवा को देश के दूसरे शहरों तक पहुँचाने की कोशिश करेगा।

एक केस के बारे में बात करते हुए प्रो. सिंघल बताते हैं नागपुर में एक मरीज़ जिसे फंगल इंफ़ेक्शन हो गया था, उसे स्टेरॉइड देना है या नहीं, ये फ़ैसला करने लिए भारतीय डॉक्टरों ने उनसे बात की। बाद में उन्होंने स्टेरॉइड नहीं देने का फ़ैसला किया जो सही साबित हुआ।
 
नागपुर में किंग्सवे अस्पताल की डॉक्टर विमी गोयल बताती हैं कि ऐसे सुझावों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने और उनकी टीम ने ब्रिटेन के डॉक्टरों के काफ़ी कुछ सीखा है।
 
ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं ब्रितानी डॉक्टर
गोयल कहती हैं, "ब्रिटेन के डॉक्टर पहले ही इस तरह की लहर का सामना कर चुके हैं। उन्हें पता है कि मरीज़ के साथ क्या होगा, वायरस का अगले कुछ हफ़्तों में क्या असर होगा। उन्हें ये भी पता है कि कोरोना की ये लहर ख़त्म होगी और और हमें बस कुछ हफ़्तों का संयम बरतना है।"
 
"डॉक्टर और स्टाफ़ पहले से ही बहुत दबाव में हैं, शारीरिक तौर पर भी और मानसिक रूप से भी। हम थक चुके हैं और मदद की तलाश कर रहे हैं। बैपियो से हमें बहुत मदद मिल रही है। हमारी मुश्किलें थोड़ी कम हुई हैं।"

उनके सहकर्मी डॉ. राजकुमार खंडेलवाल किंग्सवे अस्पताल में चीफ़ रेडियोलॉजिस्ट हैं। वो कहते हैं, "हमारे अस्पताल में हर दिन 250 से ज़्यादा एचआरसीटी कोविड स्कैन किए जा रहे है। हर रिपोर्ट को देखना और पढ़ना बहुत मुश्किल है। ब्रिटेन में बैठे डॉक्टर इसमें काफ़ी मदद करते हैं। वो इन स्कैन को देखते हैं और रिपोर्ट भेजते हैं। वो 15 से 20 मिनट में स्कैन रिपोर्ट भेज देते है जिससे हम अपना काम समय पर पूरा कर पाते हैं।"
 
वर्चुअल टेलीमेडिसिन हब चलाने के अलावा डॉक्टरों का ये ग्रुप ऑक्सीजन उपकरण और खाने की सामाग्री के लिए पैसे इकट्ठा कर रहा है।
 
ये भी पढ़ें
ब्लैक फ़ंगस को 'महामारी' मानें, केंद्र को क्यों कहना पड़ा ऐसा