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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 7 सितम्बर 2022 (07:52 IST)

भारत जोड़ो यात्रा: कन्याकुमारी में कितना उत्साह? कितनी आसान कांग्रेस और राहुल गांधी की राह?

भारत जोड़ो यात्रा: कन्याकुमारी में कितना उत्साह? कितनी आसान कांग्रेस और राहुल गांधी की राह? - bharat jodo yatra and congress
राघवेंद्र राव, बीबीसी संवाददाता
भारत के दक्षिणी छोर पर बसे कन्याकुमारी में त्रिवेणी संगम वो जगह है जहां हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का मेल होता है।
 
सात सितम्बर को जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस त्रिवेणी संगम के पास से 150 दिन चलने वाली "भारत जोड़ो यात्रा" का आरम्भ करेंगे तो उनकी और कांग्रेस पार्टी की उम्मीद यही होगी कि आने वाले पांच महीनों में वे अपनी पार्टी की सोच और भारत के आम लोगों के विचारों में संगम करवाने में कामयाब होंगे।
 
ऐसा होता है या नहीं ये आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन कन्याकुमारी में "भारत जोड़ो यात्रा" शुरू होने से एक दिन पहले के माहौल की बात की जाए तो ये साफ़ है कि कांग्रेस पार्टी को अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने में कड़ी मेहनत करने की ज़रुरत होगी।
 
क्या है कांग्रेस का भारत जोड़ो अभियान
  • 7 सितंबर से कन्याकुमारी से शुरु होगी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा।
  • इस यात्रा के दौरान 3,570 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा।
  • 150 दिनों में ये यात्रा 12 राज्यों से गुज़रेगी।
  • जिन इलाकों से ये यात्रा नहीं गुज़रेगी वहां सहायक यात्राएं निकाली जाएंगी।
  • इस दौरान सभी राज्यों में ख़ास कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है।
  • ये यात्रा जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ख़त्म होगी।
  • कांग्रेस का दावा है कि इस यात्रा के ज़रिए वो बढ़ती महंगाई और सामाजिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दों पर आम लोगों में बहस छेड़ने की कोशिश करेगी।
 
'राहुल गांधी आ रहे हैं। पता नहीं क्यों?'
मंगलवार 6 सितम्बर को हमने कन्याकुमारी में रहने वाले लोगों से ये जानने की कोशिश की कि वे "भारत जोड़ो यात्रा" के बारे में क्या सोचते हैं।
 
इन लोगों में कई लोगों ने कहा कि वे इतना तो जानते हैं कि बुधवार को राहुल गांधी कन्याकुमारी पहुंच रहे हैं लेकिन उससे ज़्यादा उन्हें नहीं पता। इस जवाब को समझना ज़्यादा मुश्किल इसलिए नहीं था क्यूंकि इतने बड़े आयोजन के ठीक एक दिन पहले भी कन्याकुमारी में ऐसा कुछ होता नज़र नहीं आ रहा था जिससे लगे कि कोई महत्वपूर्ण घटना होने वाली है।
 
भारत जोड़ो यात्रा की घोषणा करते इक्का-दुक्का पोस्टर और बैनर ही नज़र आ रहे थे। इस आयोजन से जुड़े झंडे भी सिर्फ वहीं लगे दिखे जहां राहुल गांधी के हेलिकॉप्टर के उतरने के लिए हेलिपैड बनाया गया था।
 
शाम होते-होते आख़िरकार विवेकानंद स्मारक से कुछ ही दूर एक गाड़ी में कुछ-कुछ युवा कांग्रेस कार्यकर्ता पहुंचे और एक संगीतमय नुक्कड़ नाटक के ज़रिये इस यात्रा से जुड़ा सन्देश लोगों को देने लगे। यही वो समय था जब कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेता भी इस इलाक़े में दिखाई देने लगे। लेकिन यात्रा के बारे में लोगों में जानकारी की कमी साफ़ दिख रही थी।
 
त्रिवेणी संगम से कुछ ही दूर चाय की दुकान चलाने वाले वैरमुथु ने कहा, "इतना ही सुना है कि राहुल गांधी आ रहे हैं। मैं नहीं जानता कि वो क्यों आ रहे हैं।"
 
हमने उनसे पूछा कि क्या वो जानते हैं कि राहुल गांधी वहां क्यों आ रहे हैं। इसके जवाब में वैरमुथु ने मुस्कुराकर ना में सिर हिला दिया।
 
टूर एंड ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले महेश पिल्लई ने कहा कि कन्याकुमारी में लोकल टीवी पर ख़बरों में इस बात की चर्चा ज़रूर है कि यहां से "भारत जोड़ो यात्रा" शुरू होने जा रही है लेकिन ज़मीन पर ज़्यादा हरकत होती नज़र नहीं आ रही।
 
वे कहते है, "फिर भी मुझे लगता है ये यात्रा कामयाब होगी। ज़रुरत सिर्फ इस बात की है कि कांग्रेस से युवा और बढ़-चढ़ कर जुड़ें और नए चेहरे पार्टी में आएं।" महेश पिल्लई ये भी कहते हैं कि दक्षिण भारत में धर्म के नाम पर लोगों के बीच कोई खास मतभेद नहीं हैं और इसी वजह से कांग्रेस पार्टी के पास दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मज़बूत करने का अच्छा मौक़ा है।
 
'ये यात्रा भारत को बदल देगी'
त्रिवेणी संगम पर इंस्टेंट फोटोग्राफी का काम करने वाले जगदीशन इस बात से खुश दिखे कि कांग्रेस ने इस यात्रा की शुरुआत करने के लिए कन्याकुमारी को चुना।
 
वे कहते हैं, "ये यात्रा भारत को बदल देगी। मैं बहुत खुश हूं कि राहुल गांधी यहां आ रहे हैं। इतिहास में जाकर देखें तो पाएंगे कि जो भी नेता यहां आते हैं वो एक न एक दिन राजा बनते हैं। राहुल गांधी के साथ भी ऐसा ही होगा।"
 
इसी तरह की भावना की झलक कन्याकुमारी में जगह-जगह लगे कुछ पोस्टरों पर भी दिखी जहां राहुल गांधी की तस्वीर के साथ "नेक्स्ट पीएम" यानी अगला प्रधानमंत्री छपा हुआ था।
 
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लेने आये अशोक जैन कहते हैं, "देश में जो नफरत, भय और आतंक का माहौल बना हुआ है, इसे दूर करने के लिए, आम लोगों की सेवा करने के लिए, बेरोज़गारी और मंहगाई दूर करने के लिए और केंद्र में कांग्रेस की सरकार स्थापित करने के लिए हम लोग इस यात्रा में शामिल होने आए हैं।"
 
युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता अरुणोदय सिंह परमार भी इस यात्रा में हिस्सा लेने कन्याकुमारी पहुंचे हैं। वे 'अमीरी-ग़रीबी की बढ़ती खाई', 'देश पर बेरोज़गारी की मार', मंहगाई से जनता के परेशान होने, किसानों की आत्महत्या और नफ़रत की राजनीति करके सत्ता में बने रहने जैसे मुद्दों का ज़िक्र करते हैं।
 
'वे कहते हैं,"इस यात्रा के माध्यम से इस देश को जोड़ने का हम प्रयत्न कर रहे हैं और जनता से आह्वान करेंगे कि नफरत से नाता छोडो, आओ मिल कर भारत जोड़ो।"
 
क्या है भारत जोड़ो यात्रा?
कन्याकुमारी से शुरू होकर ये यात्रा 3,570 किलोमीटर का सफर तय कर 150 दिनों बाद जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ख़त्म होगी। इस दौरान ये यात्रा 12 राज्यों से गुज़रेगी। इस यात्रा के पड़ाव तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, नीलांबुर, मैसुरु, बेल्लारी, रायचूर, विकाराबाद, नांदेड़, जलगावं जामोद, इंदौर, कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अम्बाला, पठानकोट और जम्मू में होंगे।
 
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि जिन इलाकों से यात्रा नहीं गुज़रेगी वहां भी सहायक यात्राएं निकालने की योजना है। कांग्रेस का दावा है कि भारत के हर राज्य में इस यात्रा से जुड़ा हुआ कोई न कोई कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
 
भारत जोड़ो यात्रा की टैगलाइन है "मिले क़दम, जुड़े वतन"। कांग्रेस ने इस यात्रा से जुड़ा एक गीत भी रिलीज़ किया है जिसके बोल हैं "इक तेरा कदम, इक मेरा कदम, मिल जाए तो जुड़ जाए अपना वतन"।
 
पार्टी का कहना है कि इस यात्रा का मक़सद अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ाई, भेदभाव के खिलाफ खड़े होना और जुल्म के ख़िलाफ़ एकजुट होना है।
 
पार्टी का कहना है कि इस यात्रा के ज़रिये वो देश में बढ़ रही आर्थिक मुश्किलें, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक केन्द्रीयकरण को उजागर कर उस पर आम लोगों में बहस छेड़ना चाहती है।
 
क्या कहना है कांग्रेस नेताओं का?
राहुल गांधी का कहना है कि इस यात्रा की ज़रुरत इसलिए पड़ी क्योंकि विपक्ष के सामने और कोई रास्ता ही नहीं है।
 
राहुल गांधी ने कहा,"हमें सीधा जनता के बीच में जाना पड़ेगा। मीडिया हमारा नहीं, संसद में हम बोल नहीं सकते, तो अब कांग्रेस पार्टी और बाकी विपक्ष के पास केवल एक रास्ता है कि वो जनता के बीच जाकर उनको देश की सच्चाई बताएं। हमारा जो संविधान है, जो इस देश की आत्मा है, आज इसको बचाने के काम हर हिंदुस्तानी नागरिक को करना पड़ेगा। क्योंकि अगर हमने ये नहीं किया, अगर हम आज नहीं खड़े हुए, तो फिर ये देश नहीं बचेगा।"
 
राहुल गांधी ने ये भी कहा है कि पिछले आठ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान को कमज़ोर करने का काम किया है।
 
उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी देश को जोड़ती है। हम नफरत मिटाते हैं। और जब नफरत मिटती है, जब डर कम होता है तो हिंदुस्तान तेज़ी से आगे बढ़ता है। कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्त्ता ही देश को बचा सकता है।"
 
इस विषय पर एक वीडियो सन्देश में प्रियंका गांधी ने कहा, "आज भारत जोड़ो यात्रा की ज़रुरत क्या है? क्या ये देश एकजुट नहीं है? आप क्या जोड़ रहे हैं? इसका जवाब ये है कि आप जैसे करोड़ों देशवासी बहुत मेहनत करते हैं। कोई अपने घर में कर रहा है, कोई खेती में कर रहा है, कोई मज़दूरी कर रहा है, कोई फैक्ट्री में काम कर रहा है, कोई सरकारी नौकरी कर रहा है, सब मेहनत कर रहे हैं। और मेहनत करते हुए इस देश को आगे बढ़ाना चाह रहे हैं। लेकिन जो राजनीतिक चर्चा हो रही है वो आपके सवालों पर नहीं हो रही है। जिन समस्याओं से, जिन संघर्षों से आप जूझ रहे हैं, उनके बारे में चर्चा नहीं हो रही है। आज चर्चा एक अलग तरह की हो रही है।"
 
प्रियंका गांधी का कहना है कि आज राजनीति नकारात्मक बन गई है और इस यात्रा के ज़रिये उनकी पार्टी उन आवाज़ों को जोड़ कर एक मज़बूत आवाज़ बनाना चाहती है जो जनता की समस्याओं की बात करे।
 
वो कहती हैं, "जो असली चर्चा है वो होनी चाहिए। इतनी मंहगाई क्यों है? बेरोज़गारी क्यों है?"
 
वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट कहते हैं, "देश में भयंकर बेरोज़गारी है, मंहगाई है, अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। आपस में जो द्वेष की भावना फैली है उसको हराने के लिए एक सशक्त संगठन की ज़रुरत है। ये उसी दिशा में है। देश के जो तमाम हमारे समुदाय हैं, धर्म, जाति, बिरादरी, भाषाएं।।। उन सबको माला में पिरोने का काम इस भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से हम करना चाहते हैं।"
 
वे कहते हैं, "पिछले 6-7 सालों में जो मंदिर, मस्जिद, हिन्दू, मुस्लमान, ईसाई।।। आपस में जो द्वेष हुआ है, टकराव पैदा हुआ है, एक दूसरे के प्रति जो दुर्भावना पैदा हुई है।।। उस दुर्भावना का संचालन करने वाली जो शक्तियां हैं उनके ख़िलाफ़ हमें मुखर होना पड़ेगा।"
 
सचिन पायलट का कहना है कि देश में ये संदेश देने की ज़रुरत है कि "हम लोग अलग अलग पृष्ठभूमि के लोग हो सकते हैं, अलग-अलग हमारी वेशभूषा है, भाषाएं हैं, हमारी भावनाएं अलग हो सकती हैं, धार्मिक आस्था अलग हो सकती है, लेकिन इस 130 करोड़ के मुल्क को एकजुट रखने के लिए जो भाईचारा, अपनापन, एक दूसरे के प्रति प्यार की भावना है वो कहीं हमसे खो न जाए। ये हमारी सबसे बड़ी धरोहर है"।
 
कांग्रेस नेता और राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बीजेपी पर सीधा निशाना साधते हुए कहते हैं, "बीजेपी तमाम समुदायों के बीच धार्मिक घृणा और शत्रुता पैदा कर रही है। बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा जनता को उकसाने का काम केवल चुनाव जीतने और सत्ता हासिल करने के लिए हो रहा है। आज बीजेपी की सांप्रदायिक नीति से देश की एकता और अखंडता को ख़तरा पैदा हो गया है। आरएसएस और बीजेपी के पुरखों ने कभी दांडी मार्च में भाग नहीं लिया। इसीलिए ये बात उनकी समझ में नहीं आती कि देश को एक कैसे रखते हैं।"
 
कांग्रेस के राज्य सभा सांसद जयराम रमेश कहते हैं, "भारत जोड़ो यात्रा किसी तरह की मन की बात नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा जनता की चिंता है। जनता जो चिंता जता रही है, जनता जो मांग कर रही है। उसको दिल्ली तक पहुंचाना भारत जोड़ो यात्रा का मक़सद है। भाषण नहीं होंगे। लंबे-लंबे प्रवचन नहीं होंगे। नाटकबाज़ी नहीं होगी। टैलिप्राम्प्टर नहीं होगा। हम सुनवाई के मोड में जा रहे हैं। भाषण देने नहीं जा रहे हैं। हम सुनने जा रहे हैं।"
 
क्या कहती है बीजेपी?
भारत जोड़ो यात्रा पर तंज़ कसते हुए बीजेपी इसे "गांधी परिवार बचाओ आंदोलन" के नाम से पुकार चुकी है।
 
भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा सांसद प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा कहते हैं कि कोई यात्रा तब अच्छी होती है जब ये देखा जाए कि यात्री की पृष्ठभूमि क्या है।
 
वे कहते हैं, "राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कश्मीर को अलग करने वालों का साथ दिया जिसको टुकड़े-टुकड़े गैंग के रूप में देश ने देखा है। जब भी कोई अलगाववाद की बात होती है और कश्मीर के भारत के साथ एकीकरण की बात होती है या आर्टिकल 370 हटाने की बात होती है, उन सभी परिस्थितियों में राहुल गांधी उन ताकतों के साथ खड़े रहे जो ताकतें भारत को जोड़ना नहीं तोड़ना चाहती है।"
 
प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा कहते हैं कि विदेश में जाकर राहुल गांधी उन ताकतों का समर्थन दिखाते रहे हैं जो बाहर से भारत के भीतर की अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देती हैं। "इसलिए उनका भारत जोड़ना एक तरह से ढकोसला है। इसका जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"
 
उनके मुताबिक़ कांग्रेस राष्ट्रीय मुद्दों को दलीय मुद्दा बनाकर देखती रही है और पार्टी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित की गई तिरंगा यात्रा में शामिल न होकर अपनी विश्वसनीयता ख़राब की है।
 
बीजेपी पर कांग्रेस के लगाए गए ध्रुवीकरण के आरोपों पर वे कहते हैं, "राहुल गांधी जब मुस्लिम तुष्टिकरण की बात करते हैं तो क्या वो ध्रुवीकरण नहीं है? धारा 370 हटाना देश को तोड़ना है या देश को जोड़ना है, ये पहले राहुल गांधी बता दें।"
 
वे कहते हैं, "कांग्रेस की डिक्शनरी में भारत जोड़ो तब होता है जब वो सत्ता में होती है और भारत तोड़ो तब होता है जब वो सत्ता से बाहर होती है।"
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