तमाशा देखती भीड़, हिंसक और कायर होते समाज के बीच बच्चियां
रीमा दीवान चड्ढा | शुक्रवार,जून 2,2023
हम कैसे समय में जी रहे हैं? जहां संवेदनाएं पहले ही मृत हैं। एक युवा बच्ची की खुलेआम हत्या हो जाती है और आसपास के लोग भय ...
भारतीय होने की वजह से एक नैतिक जिम्मेदारी हमारे कंधों पर भी है
रीमा दीवान चड्ढा | सोमवार,फ़रवरी 20,2023
आयकर विभाग में जब एक लड़की निर्णय के अंकों के जोड़ के लिए कैलकुलेटर देने आई तो मुझे हैरानी हुई। 100 नंबर के जोड़ के लिए ...
प्रेम दिवस पर प्यार के ढाई आखर की पूंजी सहेजना जरूरी है
रीमा दीवान चड्ढा | शनिवार,फ़रवरी 11,2023
आइए आज प्रेम पर बात करते हैं। मदनोत्सव मनाने वाले देश में प्रेम पर बात करना वर्जित है। आप यदि किसी से प्रेम करते हैं तो ...
ऋतुराज बसंत : कल,आज और कल
रीमा दीवान चड्ढा | शुक्रवार,जनवरी 27,2023
ऋतुराज बसंत का आगमन ....आह !कैसा अनोखा जीवन सुख है पतझर की गहन नीरवता के बाद मीठे कंठ का सुरीला गायन । उदासी के सारे ...
पृथ्वी दिवस पर कविता : सोचो क्यों कर जिए जा रहे हैं?
रीमा दीवान चड्ढा | शुक्रवार,अप्रैल 22,2022
सोचो ज़रा
अगर हम पेड़ होते
जग को ठंडी छांह देते
फल,पत्ते,लकड़ी भी
कितने उपयोगी होते....!!
नन्ही चिरैय्या अगर ...
महिला दिवस पर कविता : घर में भी थी एक उदास औरत
रीमा दीवान चड्ढा | सोमवार,मार्च 7,2022
उनकी विजयी मुस्कान !!
बहुत भली सी लगतीं हैं
हँसने मुस्कुराने वाली ये औरतें
टी.वी. के पर्दे पर
सिनेमा के बड़े पर्दे ...
हिन्दी दिवस : निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
रीमा दीवान चड्ढा | मंगलवार,सितम्बर 14,2021
गर्व होता है न हमारी राष्ट्र की भाषा पर। आज हिन्दी दिवस है। भारत में हिन्दी बोलने का दिन। अपने देश में अपनी ही भाषा के ...
कविता : हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था
रीमा दीवान चड्ढा | बुधवार,मार्च 31,2021
हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था किसे कहां पता भीतर हाला था
लब की शोख हंसी चेहरे का नूर ख़ुद को तपा कर उसने ढाला था
31 मार्च : मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर विशेष
रीमा दीवान चड्ढा | बुधवार,मार्च 31,2021
मीना कुमारी ....अदाकारा..शायरा..31मार्च पुण्यतिथि...आप सबने जाना है फिल्मों के ज़रिए ..लफ्ज़ों में मीना ने क्या ...
कविता: कोई अमृता साहिर पर नहीं मर मिटती...
रीमा दीवान चड्ढा | सोमवार,अगस्त 31,2020
सब इतिहास की तरह ज़माने के सामने हैं