मजेदार बाल कविता: हर मौसम भरपूर जिया है
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शनिवार,मई 27,2023
करते तो हैं बातें दादा, अच्छी खासम खास। लेकिन अम्मा मुझे नहीं है,
बिल्कुल भी विश्वास। वे कहते हैं दिन-दिन भर वे, टंगे ...
बाल गीत : उठ जाओ अब मेरे लल्ला
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | गुरुवार,मई 25,2023
तारों ने मुंह फेर लिया है, अस्ताचल में छुपा अंधेरा। पूरब के मुंह पर ऊषा ने,
ब्रश से सिंदूरी रंग फेरा। उठ जाओ अब मेरे ...
बाल गीत : याद आ गए
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शुक्रवार,मई 19,2023
याद आ गईं संजलि काकी, याद आ गए कक्का। इक दिन उनके घर पहुंचे, तो बड़ा मज़ा था आया। कक्का को चक्के के ऊपर, घड़ा बनाते पाया। ...
बाल कविता : सूरज अविरल जाग रहा
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शुक्रवार,मई 19,2023
सूरज, सुबह कहां से आते, बोलो जाते शाम कहां? दिन में दिखते अंबर में तो, रात बिताते कहो कहां? क्या जाते सोने बिस्तर में, ...
बाल एकांकी : पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शुक्रवार,मई 19,2023
पर्दा खुलता है और नट और नटी मंच पर दिखाई पड़ते हैं। दोनों राजस्थानी पोशाक में आमने-सामने उपस्थित हैं। नटी- गांव की चौपाल ...
बाल कविता : महक परांठे की
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | गुरुवार,अप्रैल 13,2023
सुबह शाम पड़ती है भैया ठंड कड़ाके की। और रात की ठंडक तो है,
धूम धड़ाके की। सुबह-सुबह की हालत तो मत, पूछो रे भैया। सी-सी ...
होली पर कविता : रंगों की बमबारी है
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | सोमवार,मार्च 6,2023
छुपों न घर में, बाहर आओ। अपने ऊपर रंग डलवाओ। आफत आज तुम्हारी है, रंगों की बमबारी है। आद्या, वंशी, गुल्ली दी ने, कई ...
बाल गीत : बड़े पिताजी
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शनिवार,मार्च 4,2023
बड़े पिताजी पूना वाले, रात आए हैं ट्रेन से। लम्बी दूरी की थकान है,
अभी सोए हैं चैन से। बड़े पिताजी आई.आई.टी., रुड़की से ...
मजेदार कविता : हिंदी महीनों के संग अंग्रेजी माह
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शुक्रवार,मार्च 3,2023
अंग्रेजी के महीनों के संग, हिंदी माह किस तरह चलते। हिंदुस्तानी होकर भी हम, बात जरा भी नहीं समझते। माह जनवरी में हिंदी ...
बच्चों की कविता : कांटा चलता रहे घड़ी का
प्रभुदयाल श्रीवास्तव | शुक्रवार,मार्च 3,2023
हमें नहीं बांचों चिट्ठी सा। नहीं पढ़ों अखबार सरीखा। हम बच्चों की दिनचर्या का, अब खोजो कुछ नया तरीका। सुबह आठ से शाम चार ...