मंगलवार, 19 मार्च 2024
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आसान नहीं है यक्षिणी साधना, पढ़ें सावधानियां

आसान नहीं है यक्षिणी साधना, पढ़ें सावधानियां - Yakshini Sadhana In Hindi
योगिनी, किन्नरी, अप्सरा आदि की तरह ही यक्षिणियां भी मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं। साधारणतया 36 यक्षिणियां हैं तथा उनके वर देने के प्रकार अलग-अलग हैं। माता, बहन या पत्नी के रूप में उनका वरण किया जाता है। उनकी साधना के पहले तैयारी की जाती है, जो अधिक कठिन है, बजाय साधना के।

पहले चान्द्रायण व्रत किया जाता है। इस व्रत में प्रतिपदा को 1 कौर भोजन, दूज को 2 कौर इस प्रकार 1-1 कौर भोजन पूर्णिमा तक करके पूर्णिमा के बाद 1-1 कौर कम करते हुए व्रत किया जाता है। इसमें 1 कौर भोजन के अलावा कुछ नहीं लिया जाता है। इससे कई जन्मों के पाप कट जाते हैं। पश्चात 16 रुद्राभिषेक किए जाते हैं, साथ में महामृत्युंजय 51 हजार तथा कुबेर यंत्र 51 हजार कर भगवान भूतनाथ शिवजी से आज्ञा ली जाती है।

स्वप्न में यदि व्यक्ति के श्रेष्ठ कर्म हों तो भोलेनाथ स्वयं आते हैं या सुस्वप्न या कुस्वप्न जिसे गुरुजी बतलाकर संकेत समझकर प्रार्थना की जाती है। कुस्वप्न होने पर साधना नहीं की जानी चाहिए। यदि की गई तो फलीभूत नहीं होगी या फिर नुकसान होगा। साधना के दौरान ब्रह्मचर्य, हविष्यान्न आदि का ध्यान रखता होता है। साधना के साधारणतया नियम माने जाते हैं तथा विशिष्ट प्रयोगों में यंत्र प्राप्त कर उसे प्राण-प्रतिष्ठित कर आवश्यक वस्तुएं, जो हर किसी देवी की अलग-अलग होती हैं, का प्रयोग किया जाता है।

अंत में पूर्णिमा के दिन रातभर जप तथा पूजन किया जाता है। तांत्रिक साधनाएं तलवार की धार पर चलने के समान होती हैं। जरा-सी चूक हुई तो नुकसान होगा यह ज्ञातव्य है। साथ ही आलसी तथा कायर व्यक्ति को इस बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

परिवार के सदस्यों को साधना करने के बारे में पहले ही बताना उचित रहता है ताकि कोई विघ्न उपस्‍थित न हो। फोन, मेहमान इत्यादि का व्यवधान होता है, अत: दूर रहना ठीक रहता है। एकांत में साधना हो तथा पूजा के नियम किसी योग्य पंडित से पूछकर ही करना उचित होगा यदि मालूम न हो तथा जैसा गुरु का निर्देश हो, वैसा करें।