|
|
|
देवता | भैरव जी |
गोत्र | कश्यप |
जाति |
क्षत्रिय | |
रंग श्याम |
नीला | |
वाहन | भैंसा, गीद्ध |
दिशा | वायव्य |
वस्तु |
लोहा, फौलाद | |
पोशाक |
जुराब, जूता | |
पशु |
भैंस या भैंसा | |
वृक्ष |
कीकर, आक, खजूर का वृक्ष | |
राशि |
बु.शु.रा.। सू, चं.मं.। बृह. | |
भ्रमण |
अढ़ाई वर्ष | |
नक्षत्र |
अनुराधा, पुष्य, उत्तरा, भाद्रपद | |
शरीर के अंग |
दृष्टि, बाल, भवें, कनपटी | |
व्यापार |
लुहार, तरखान, मोची | |
विशेषता |
मुर्ख, अक्खड़, कारिगर | |
गुण |
देखना, भालना, चालाकी, मौत, बीमारी | |
शक्ति |
जादूमंत्र देखने दिखाने की शक्ति, मंगल के साथ हो तो सर्वाधिक बलशाली। |
राशि | मकर और कुम्भ का स्वामी। तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवाँ भाव पक्का घर। |
अन्य नाम | यमाग्रज, छायात्मज, नीलकाय, क्रुर कुशांग, कपिलाक्ष, अकैसुबन, असितसौरी और पंगु इत्यादि। |