कब है भाद्रपद की पूर्णिमा? क्या है इसका महत्व, कर लें 5 शुभ कार्य  
					
					
                                       
                  
				  				 
								 
				  
                  				  Bhadrapada purnima 2023: भाद्रपद की पूर्णिमा के बाद आश्विन माह प्रारंभ हो जाता है। आश्विन माह में सबसे पहले श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होते हैं इसके बाद नवरात्रि। भाद्रपद की पूनम का खास समहत्व होता है। आओ जानते हैं कि यह पूर्णिमा कब है, क्या है इसका महत्व और इसमें कौन से शुभ 5 कार्य कर सकते हैं जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
				  																	
									  
	 
	पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 28 सितंबर 2023 को 18:51:36 से पूर्णिमा आरम्भ
	पूर्णिमा तिथि समाप्त : 29 सितंबर 2023 को 15:29:27 पर पूर्णिमा समाप्त।
				  
	 
	कब है पूर्णिमा : 29 सितंबर, 2023 शुक्रवार के दिन भदो की पूनम रहेगी।
	 
	क्या है भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व?
				  						
						
																							
									  
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		भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है।
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		इसी दिन उमा महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। 
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		यह पूर्णिमा इसलिए भी महत्व रखती है क्योंकि इसी दिन से पितृपक्ष यानि श्राद्ध प्रारंभ होते हैं।
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		यह व्रत खास तौर से महिलाएं रखती है। 
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		यह व्रत करने से जहां संतान बुद्धिमान होती है, वहीं यह व्रत सौभाग्य देने वाला भी माना जाता है। 
 
				  
	भाद्रपद पूर्णिमा पर कर लें 5 शुभ कार्य:-
	 
	1. पूर्णिमा का श्राद्ध : पूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त जातकों का श्राद्ध केवल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या को किया जाता है। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। हालांकि कहते हैं कि यदि किसी महिला का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या के दिन भी किया जा सकता है। 
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	2. सत्यनारायण भगवान की कथा : इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन करके अधिक से अधिक प्रसाद वितरण करना चाहिए। 
				  																	
									  
	 
	3. उमा महेश्वर व्रत एवं पूजा : उमा-महेश्वर का पूजन और व्रत किया जाता है। यह व्रत सभी कष्टों को दूर करके जीवन में सुख-समृद्धि लाता है
				  																	
									  
	 
	4. पंचबलि कर्म : इस दिन पंचबलि कर्म अर्थात गाय, कौवे, कुत्ते, चींटी और देवताओं को अन्न जल अर्पित करना चाहिए। ब्राह्मण भोज कराना चाहिए।
				  																	
									  
	 
	5. दान दक्षिणा : इस दिन यथाशक्ति दान दक्षिणा देना चाहिए। यह नहीं कर सकते हो तो नदी में संध्या के समय दीपदान करना चाहिए।