भानु सप्तमी 2021: सूर्यदेव की उपासना से दूर होंगे जीवन के कष्ट, पढ़ें महत्व एवं पूजा मुहूर्त
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पौष मास (Paush Maas) के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी Bhanu Saptami 2021 पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 26 दिसंबर, रविवार को पड़ रहा है।
अन्य देवता तो पृथ्वी और स्वर्ग में अदृश्य रूप से विचरण करते हैं, परंतु सूर्य को साक्षात देखा जा सकता है, इसीलिए सूर्य प्रत्यक्ष देव माने जाते हैं। इस पृथ्वी पर सूर्य जीवन का सबसे बड़ा कारण है। प्राचीन काल से ही धर्मों में सूर्यदेव को वंदनीय माना जाता रहा है। सूर्य की शक्ति और प्रताप के गुणों से धर्मग्रंथ भरे पड़े हैं। पौष मास की भानु सप्तमी के दिन यह व्रत करने और सूर्यदेव की उपासना से सूर्य बलवान होते हैं और वे व्रतधारियों को विशेष फल देते हैं।
पुराणों में इस सप्तमी को अचला सप्तमी, भानु सप्तमी (Bhanu Saptami), अर्क, रथ और पुत्र सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जो भी व्यक्ति सूर्यदेव की उपासना करता है, वह सदा निरोगी रहता है। सप्तमी के दिन पवित्र नदी अथवा सरोवर में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य और दीपदान करना उत्तम फलदायी माना गया है। माना जाता है कि इस दिन प्रात:काल जलाशय में स्नान करने से शरीर निरोग रहता है। भानु सप्तमी के दिन सूर्य की उपासना करना बड़ा ही पुण्यदायी होता है।
इस दिन नदी स्नान और अर्घ्य दान करने से आयु, आरोग्य व संपत्ति की प्राप्ति होती है। इस दिन संकल्प लेकर व्रत करने तथा विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करके भगवान सूर्यदेव की आरती करने से जीवन के समस्त दुखों का निवारण होता है।
इस दिन व्रतधारियों को भोजन में नमक का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए तथा दिन में केवल एक ही बार भोजन करने की मान्यता है। सूर्य पूजन से ग्रह संबंधित परेशानियां दूर होती है तथा जीवन में ग्रहों का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
आज का मंत्र- ॐ घृणि सूर्याय आदित्याय नमः Surya Mantra का जप करें। इसके साथ ही आदित्य हृदय स्त्रोत, सुंदरकांड व रामचरित्रमानस की चौपाइयों का पाठ करने से जीवन सुखी होता है।
भानु सप्तमी 2021 पूजन मुहूर्त-Bhanu Saptami Muhurat
- पौष कृष्ण सप्तमी का प्रारंभ शनिवार रात 08:09 मिनट से हो गया है तथा रविवार, 26 दिसंबर 2021 को रात 08:08 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदयातिथि रविवार को होने से भानु सप्तमी व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा, जो कि प्रात:काल में उत्तम योग, आयुष्मान योग और सौभाग्य योग में सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाएगी।