- पं. हेमन्त रिछारिया
देश जैसे-जैसे 2019 के लोकसभा चुनावों की ओर अग्रसर हो रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक क्षेत्रों के साथ-साथ आम जनमानस के मन में भी यह उत्कंठा एक यक्ष प्रश्न की भांति जागृत हो रही है कि वर्ष 2019 में होने जा रहे आम चुनावों में नरेन्द्र मोदी को पुन: सफलता प्राप्त होगी या नहीं!
इस यक्ष प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास राजनीतिक विश्लेषकों के साथ-साथ ज्योतिष जगत के विद्वान भी कर रहे हैं। हमने इस प्रश्न का समाधान प्राप्त करने हेतु 'प्रश्नकुंडली' को आधार बनाया, क्योंकि जब किसी जन्मपत्रिका की प्रामाणिकता सुनिश्चित नहीं होती तब 'प्रश्नकुंडली' फलादेश करने का सर्वाधिक सटीक व उत्तम माध्यम होती है। आइए, जानते हैं कि 'प्रश्नकुंडली' के आधार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में कौनसी ज्योतिषीय चुनौतियां होंगी।
1. 'मालव्य' राजयोग का निर्माण-
वर्ष 2019 के चुनावी भविष्य एवं मोदीजी की सफलता का आंकलन करने हेतु जिस 'प्रश्नकुंडली' का निर्माण हुआ वह तुला लग्न की है। लग्नेश शुक्र के लग्न में स्थित होने के कारण यहां 'मालव्य' नामक पंचमहापुरुष राजयोग का निर्माण हो रहा है। इसके फलस्वरूप वर्ष 2019 के आम चुनावों में नरेन्द्र मोदी अपने विरोधियों से कहीं आगे दिखाई दे रहे हैं। 'मालव्य' योग के कारण उनकी लोकप्रियता बरकरार रहेगी। वे अपनी बातों से जनमानस को मोहित करने में सफल होंगे। 'प्रश्नकुंडली' में देवगुरु बृहस्पति भी लग्न में ही स्थित हैं जो विद्वत्तापूर्ण व बौद्धिक निर्णय लेने में सहायता करेंगे।
2. विपरीत राजयोग-
'प्रश्नकुंडली' में द्वादशेश के द्वादश भाव में स्थित होने के कारण 'विपरीत-राजयोग' का निर्माण हो रहा है जो अत्यंत शुभ है। भाग्य के अधिपति के स्वराशि में स्थित होने के कारण भाग्य का साथ प्राप्त होने जा रहा है। 'प्रश्नकुंडली' में भाग्याधिपति बुध के स्वराशिस्थ होने एवं 'विपरीत-राजयोग' के निर्माण में संलग्न होने के कारण वाणी व वाकचातुर्य का लाभ उन्हें प्राप्त होगा।
3. बुधादित्य योग -
'प्रश्नकुंडली' सूर्य-बुध की युति होने से 'बुधादित्य' नामक शुभ योग सृजन हुआ है। सूर्य सत्ता एवं राजसिंहासन का प्रतिनिधि है। यहां सूर्य के मित्रक्षेत्री होने के कारण सत्ता प्राप्ति की संभावनाओं को बल मिलेगा।
4. महालक्ष्मी योग-
'प्रश्नकुंडली' में 'महालक्ष्मी' योग का भी निर्माण हुआ है। जो अत्यंत शुभ योग है। वहीं कर्मक्षेत्र के अधिपति चन्द्र की पूर्ण दृष्टि कर्मस्थान पर होने से कर्मक्षेत्र में लाभ प्राप्त होता दिखाई दे रहा है।
5. शनि तृतीय भावस्थ-
'प्रश्नकुंडली' में चतुर्थेश शनि अपने भाव से द्वादश स्थान में स्थित है जो शुभ नहीं है। चतुर्थ भाव जनता का प्रतिनिधि होता है इसके अधिपति का अपने भाव से 12 वें स्थित होना जनसहयोग में कमी को दर्शाता है। इसके फ़लस्वरूप उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा, किंतु साहस-पराक्रम के भाव में शनि की उपस्थिति इन आलोचनाओं का पूर्ण साहस व निडरता के साथ प्रतिकार करने में सहायक होगी।
6. राहु दशमस्थ-
'प्रश्नकुंडली' में जो सर्वाधिक चिन्ताजनक संकेत है, वह है राहु का दशम भाव में स्थित होना। दशम भाव कर्मक्षेत्र, यश, मान, प्रतिष्ठा, सत्ता आदि से सम्बन्धित होता है। राहु के दशमस्थ होने से स्पष्ट संकेत है कि इस बार सत्ता प्राप्ति की राह अधिक कठिन होने वाली है। सत्ता प्राप्ति के लिए कठिन संघर्ष व अथक परिश्रम की आवश्यकता होगी।
7. मंगल की नीचदृष्टि-
प्रश्नकुण्डली में मंगल उच्चराशिस्थ होकर चतुर्थ भाव में स्थित हैं। यहां से मंगल दशभ भाव पर अपनी नीच दृष्टि डाल रहे हैं जो शुभ नहीं है। इसके चलते कर्मक्षेत्र में बाधाएं आएंगी। मंगल एक मारणात्मक प्रभाव वाला ग्रह है। यह जब किसी भाव पर अपना प्रभाव डालता है तब उस भाव की हानि करता है। कर्मक्षेत्र पर मंगल का नीचदृष्टि प्रभाव सत्ता प्राप्ति में कठिनाइयां उत्पन्न करेगा।
8. दशाओं की अनुकूलता-
'प्रश्नकुंडली' आधारित विंशोत्तरी दशाओं की गणना नरेन्द्र मोदी जी के लिए अनुकूल दिखाई दे रही है। वर्तमान महादशा व अन्तर्दशा कर्मक्षेत्र के अधिपति की चल रही है जो शुभ व अनुकूल रहेगी।
निष्कर्ष-
'प्रश्नकुंडली' की गणनाओं के अनुसार हमें यह संकेत मिलता है कि नरेन्द्र मोदी जी आगामी लोकसभा चुनावों में अपनी पूर्ववत् सफ़लता नहीं दोहरा पाएंगे किन्तु अपने सभी विरोधियों से अधिक सफल रहेंगे। सत्ता प्राप्ति के लिए उन्हें साझेदारों पर निर्भर रहना होगा। राहु-केतु के प्रभाव के कारण सहसा कोई ऐसी घटना घट सकती है जो संभावित रुख में अचानक परिवर्तन कर दे। सम्पूर्ण तथ्यों के आंकलन के अनुसार नरेन्द्र मोदी जी के लिए 'सत्ता प्राप्ति एवं चुनावों में सफ़लता' के प्रश्न के उत्तर हेतु निर्मित 'प्रश्नकुंडली' के ग्रह उनके अनुकूल व पक्ष में दिखाई दे रहे हैं।
(उद्घोषणा : उपर्युक्त विवरण मोदीजी की 'चुनावों में सफ़लता' के प्रश्न के उत्तर हेतु निर्मित 'प्रश्नकुंडली' की गणना पर आधारित है, न कि उनकी जन्मपत्रिका पर)
- ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र