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Saturday fast : कैसे करें शनिवार का व्रत, पढ़ें आसान पूजन विधि

Saturday fast : कैसे करें शनिवार का व्रत, पढ़ें आसान पूजन विधि - Method of Saturday Fast
Satruday Pujan Vidhi
 
सभी ग्रहों में शनि का मनुष्य पर सबसे हानिकारक प्रकोप होता है। अतः मनुष्य को शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए शनिवार का व्रत करते हुए शनि देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। वैसे तो शनिवार का व्रत कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारंभ करने का विशेष महत्व माना गया है।
 
शनि की कुदृष्टि से राजाओं तक का वैभव पलक झपकते ही नष्ट हो जाता है। शनि की साढ़ेसाती दशा जीवन में अनेक दुःखों, विपत्तियों का समावेश करती है। आइए जानें कैसे करें शनिवार का व्रत ?
 
* ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी या कुएं के जल से स्नान करें। 
 
* तत्पश्चात पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें। 
 
* लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। 
 
* फिर इस मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें।
 
* इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें। 
 
* पूजन के दौरान शनि के इन 10 नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर। 
 
* पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें। 
 
* इसके पश्चात निम्न मंत्र से शनि देव की प्रार्थना करें- 
 
शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे।
केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥
 
* इसी तरह 7 शनिवार तक व्रत करते हुए शनि के प्रकोप से सुरक्षा के लिए शनि मंत्र की समिधाओं में, राहु की कुदृष्टि से सुरक्षा के लिए दूर्वा की समिधा में, केतु से सुरक्षा के लिए केतु मंत्र में कुशा की समिधा में, कृष्ण जौ, काले तिल से 108 आहुति प्रत्येक के लिए देनी चाहिए। 
 
* फिर अपनी क्षमतानुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा लौह वस्तु, धन आदि का दान करें। इस तरह शनि देव का व्रत रखने से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है तथा हर विपत्ति दूर होती है। 

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