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New Year 2021 : दुनिया में कितने नववर्ष प्रचलित हैं, जानिए रोचक जानकारी

New Year 2021 : दुनिया में कितने नववर्ष प्रचलित हैं, जानिए रोचक जानकारी - Happy new year 2021
कल अंग्रेजी संवत 2020 समाप्त हो रहा है और 2021 शुरू होने ही वाला है। दुनियाभर में इसी कैलेंडर के आधार पर नववर्ष मनाने का प्रचलन चल पड़ा है। रात की 12 बजे तक जागकर लोग समझते हैं कि नया वर्ष प्रारंभ होने वाला है, उनकी उड़दंग, भावुकता और मूर्खता देखने लायक होती है। दुनियाभर के समाज, धर्म और देशों में अलग-अलग समय में नववर्ष मनाया जाता है। सभी मानते हैं कि हमारा नववर्ष ही सही, सटीक और विज्ञान सम्मत है। खैर, सभी के नववर्ष मनाना चाहिए क्योंकि खुशियों का कोई अवसरा चूके नहीं। तो आओ जानते हैं कि दुनिया में कितने नववर्ष प्रचलित हैं।
 
 
हर देश का अपना एक नया वर्ष होता है। भारत में तो कुछ ऐसे प्रांत जिनका एक नया वर्ष प्रचलित नए वर्ष से भिन्न है। नया वर्ष अर्थात नया कैलेंडर अर्थात विक्रम संवत, अंग्रेजी ईस्वी संवत, हिजरी संवत, शक संवत, वीर निर्वाण संवत्, पारसी संवत, बौद्ध संवत, सिख संवत, यहूदी संवत् आदि। इस तरह दुनिया में लगभग 100 से ज्यादा कैलेंडर प्रचलित हैं। मतलब 100 से ज्यादा नए वर्ष हैं। अब आप ही सोचीये कि क्या यह सभी विज्ञान सम्मत हैं? ऐसे में हम नया वर्ष कौनसा मानें?
 
भारत के कुल 36 कैलेंडर्स में से 24 अब चलन में नहीं। इस समय बांग्ला संवत 1427-28 चला रहा है जिसका नया वर्ष वैशाख (अप्रैल) माह से प्रारंभ होता है। फसली संवत भी वैशाख (अप्रैल) माह से प्रारंभ होता है। तमिल संवत पुथुंडु अप्रैल से प्रारंभ होता है, मलयालम संवत बिशु वैशाख (अप्रैल) से, तेलगु संवत उगादी मार्च अप्रैल के मध्य से प्रारंभ होता है। ज्यादातर देशों के कैलेंडर्स में फरवरी से अप्रैल के बीच नया साल शुरू होता है।
 
 
*सिख संवत
इस वक्त सिख संवत् नानकशाही 551-52 चल रहा है। सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) से नए साल की शुरुआत होती है। पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो कि अप्रैल में आती है। खासला संवत वैशाख माह (अप्रैल) से प्रारंभ होता है
 
*हिजरी संवत
इस वक्त मुस्लिम समुदाय का हिजरी संवत् 1442-43 चल रहा है। हिजरी सन् की शुरुआत मोहर्रम माह के पहले दिन से होती है। इसकी शुरुआत 622 ईस्वी में हुई थी। हजरत मोहम्मद जब मक्का से निकलकर मदीना में बस गए तो इसे 'हिजरत' कहा गया। जिस दिन वे मक्का से मदीना आए, उस दिन से हिजरी कैलेंडर शुरू हुआ। हिजरी कैलेंडर में चन्द्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है, लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं। यह संवत मुहर्रम (अगस्त) से प्रारंभ होता है।
 
*शक संवत
इस वक्त शक संवत् 1942-43 चल रहा है। शक और शाक्य में फर्क है। शकों ने भारत पर आक्रमण किया था। इस संवत् की शुरुआत शक सम्राट कनिष्क ने 78 ईस्वी में की थी। इसे शालिवाहन संवत् भी कहा जाता है। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत् को राष्ट्रीय संवत् के रूप में घोषित कर दिया। राष्ट्रीय संवत् का नववर्ष 22 मार्च से शुरू होता है। यह संवत् सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से शुरू होता है। यह भी कहा जाता है कि यह संवत में चैत्र माह की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है।
 
*ईस्वी संवत (अंग्रेंजी)
इस वक्त ईस्वी संवत 2020-2021 चल रहा है। 1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई थी, जबकि पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नववर्ष 1 मार्च से शुरू होता है। दुनियाभर में आज जो कैलेंडर प्रचलित है, उसे पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 में तैयार किया था। ग्रेगोरी ने इसमें लीप ईयर का प्रावधान किया था। वर्तमान में इसे ईसाई संवत कहते हैं। इस संवत के कारण दुनिया के इतिहास को 2 भागों में बांट दिया गया- ईसा पूर्व और ईसा बाद। इस कैलेंडर का दिन रात की 12 बजे बदल जाता है।
 
*विक्रम संवत
इस वक्त विक्रम संवत 2077-78 चल रहा है जिसकी शुरुआत ईस्वी पूर्व 57 को उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। इस कैलेंडर की शुरुआत चैत्र (मार्च) शुक्ल प्रतिपदा से होती है। यह हिन्दू धर्म का सर्वमान्य कैलेंडर है। इसी दिन से चैत्र नवरात्र का भी प्रारंभ होता है। 1 साल में 12 महीने और 7 दिन का सप्ताह विक्रम संवत से ही प्रेरित होकर दुनियाभर में प्रचलित हुआ। यह कैलेंडर सूर्य, चन्द्र और नक्षत्र की गतिविधियों पर आधारित है, लेकिन इसमें चान्द्रमास को ज्यादा महत्व दिया गया है। इस कैलेंडर का एक दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन तक के सूर्योदय तक चलता है।
 
*वीर निर्वाण संवत्
इस वक्त जैन समुदाय का 2547-48 वीर निर्वाण संवत् चल रहा है जबकि महावीर संवत् 2615 चल रहा है। जैन समुदाय का नया साल दीपावली के दिन से प्रारंभ होता है। इस दिन भगवान महावीर स्वामी ने निर्वाण पद प्राप्त किया था इसीलिए इसे वीर निर्वाण संवत् कहते हैं। यह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (अक्टूबंर नवंबर के बीच) से प्रारंभ होता है।
 
*बौद्ध संवत
इस वक्त बौद्ध संवत 2563-64 चल रहा है। भगवान बुद्ध का निर्वाण 543 ईस्वी पूर्व हुआ था। बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा के दिन 17 अप्रैल को नया साल मनाते हैं। कुछ 21 मई को नया वर्ष मानते हैं। थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, कंबोडिया और लाओस के लोग 7 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं। मूलत: यह वसंत विषुव (मार्च) से प्रारंभ होता है।
 
*कलि संवत
इस वक्त 5122 कलि संवत् चल रहा है। इसे महाभारत और युधिष्ठिर संवत् भी कहते हैं। कलि संवत् 3102 ईस्वी पूर्व से प्रारंभ होता है। जब द्वापर युग का अंत हुआ और कलियुग का प्रारंभ हुआ तब कलि संवत् की शुरुआत हुई। महाभारत के अंत के बाद पांडव पुत्र युधिष्ठिर ने 37 साल 8 महीने 25 दिन तक राज किया था। उन्हीं के राज्यारोहण के समय से युधिष्ठिर संवत् चल रहा है। महाभारत युद्ध को 5153-54 वर्ष हो चुके हैं।
 
*यहूदी संवत्
इस वक्त यहूदी संवत् 5581-82 चल रहा है। कुछ विद्वानों अनुसार 5781 चल रहा है। 3561 ईस्वी पूर्व इस संवत् का प्रारंभ हुआ था। यहूदी नववर्ष ग्रेगोरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच आता है। हिब्रू या यहूदी मान्यता के अनुसार ईश्‍वर द्वारा विश्व को बनाने में 7 दिन लगे थे। यहूदी पैगंबर हजरत मूसा 3656 वर्ष पूर्व हुए थे।
 
*पारसी संवत
पारसी समुदाय में नववर्ष को 'नवरोज' कहते हैं। लगभग 3,000 वर्ष पूर्व शुरू हुए इस कैलेंडर को ईरानी कैलेंडर कहा जा सकता है। वैसे पारसियों में 3 तरह के कैलेंडर प्रचलित है जिनके नाम हैं- शहंशाही, फासली और कादमी। ईस्वी कैलेंडर के अनसार नवरोज प्रतिवर्ष 20 या 21 मार्च से आरंभ होता है। शहंशाही कैलेंडर के मुताबिक यह 1390वां वर्ष चल है। इसे जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार पारसी संवत् 1,89,923 वर्ष प्राचीन है।
 
*सप्तर्षि संवत
सप्तर्षि संवत भारत का सबसे प्राचीन संवत है। प्राचीन सप्तर्षि संवत 6679 ईस्वी पूर्व से प्रारंभ होता है और नवीन सप्तर्षि संवत 3079 ईसापूर्व से प्रारंभ होता है। इस वक्त प्राचीन के अनुसार सप्तर्षि संवत का यह 8696-97 चल रहा है और नवीन के अनुसार सप्तर्षि संवत 5096-97 चल रहा है। सप्तर्षि संवत मेष राशि से प्रारंभ होता है। यह नक्षत्रों पर आधारित कैलेंडर है। प्राचीनकाल में भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सप्तर्षि संवत का प्रयोग होता था। भारत में विक्रम संवत, कलि संवत और सप्तर्षि संवत एक ही तिथि से प्रारंभ होते हैं। सप्तर्षि कैलेंडर मुख्यत: कश्मीर, हिमाचल और उसके आसपास के क्षेत्र में प्रचलित था।
 
*सृष्टि संवत
हिन्दू कालगणना के अनुसार इस इस वक्त सृष्टि संवत् 1,95,58,85,120-21 चल रहा है अर्थात इस धरती पर जीवन की रचना के 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 120 वर्ष बीच चुके हैं। इससे भी पुराना कल्पाब्द संवत् 1,97,29,49,120 है। भारत में विक्रम संवत, कलि संवत और सप्तर्षि संवत एक ही दिन से प्रारंभ होते हैं।
 
अन्य देशों में नवर्ष कब मनाते हैं?
इसके अलावा चीनी नव वर्ष हर साल जनवरी 21 और फरवरी 20 के बीच अलग-अलग तारीखों पर पड़ता है क्योंकि यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित है। कोरियाई लोगों का कैलेंडर भी चंद्र के आधार पर सेलून वर्ष के पहले दिन नए साल के रूप में सल्लल नाम का त्योहार मनाते हैं, जो कि 5 फरवरी को मनाया जाता है। रूस, मैसेडोनिया, सर्बिया और यूक्रेन के लोग जूलियन को मानते हैं जो कि 14 जनवरी को बदलता है। ऑस्ट्रेलिया के मूल लोग ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 30 अक्टूबर को नया साल मनाते थे।
 
श्रीलंका के सिंहली और तमिल हिंदू अप्रैल के बीच में नया वर्ष मनाते हैं। इसी तरह कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार के लोग भी अप्रैल के मध्‍य में उनका नववर्ष प्रारंभ होता है। इथियोपिया में 12 सितंबर को नया साल मनाया जाता है। इराक, सीरिया, तुर्की और ईरान में कुच लोग 1 अप्रैल को नया साल मनाते हैं। अफगानिस्तान में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 21 मार्च को नया वर्ष मनाते हैं। इंडोनेशिया में 7 मार्च को बालिनी नव वर्ष मनाया जाता है। मंगोलिया में नया साल 16 फरवरी को मनाया जाता है।  
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