21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन, जानें वैज्ञानिक कारण
Winter solstice Day 2024: वर्ष में एक बार सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटा दिन होता है। 21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं। 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन रहता है। 21 और कभी कभी 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन रहता है। सबसे छोटे दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत द्वारा सह-प्रायोजन एक मसौदा प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करते हुए 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) घोषित किया है।
21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है। पृथ्वी के अपनी धुरी पर आवर्तन के दौरान साल में एक दिन ऐसा आता है, जब दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की धरती से दूरी सबसे ज्यादा होती है। नतीजतन 21 दिसंबर का दिन साल में सबसे छोटा होता है और इस दिन रात सबसे लंबी होती है। इस दिन को विंटर सोलस्टाइस कहा जाता है।
कुछ वर्षों की अवधि में विंटर सोलस्टाइस के तय दिन बदल जाते हैं, लेकिन साल के इस सबसे छोटे दिन के दर्ज होने की अवधि 20 से 23 दिसंबर के बीच ही होती है। 21 दिसंबर को सूर्य के पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने के कारण धरती पर किरणें देर से पहुंचती हैं। इस वजह से तापमान में भी कुछ कमी दर्ज की जाती है।
अलग-अलग देशों में इस दिन विभिन्न त्योहार भी मनाए जाते हैं। पश्चिमी देशों का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस भी विंटर सोलस्टाइस के तुरंत बाद आता है। इसी तरह चीन सहित पूर्वी एशियाई देशों में बौद्ध धर्म के यीन और यांग पंथ से जुड़े लोग विंटर सोलस्टाइस को एकता और खुशहाली बढ़ाने के लिए एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने वाला दिन मानते हैं। विंटर सोलस्टाइस को लेकर अलग-अलग देशों में विभिन्न मत हैं। अधिकतर देशों में इस दिन से कुछ न कुछ धार्मिक रीति-रिवाज ही जुड़े हैं।
विंटर सोलेस्टाइस आता है, तब भारत में मलमास चल रहा होता है, जिसे संघर्ष काल भी माना जाता है। इसे देखते हुए उत्तर भारत में श्रीकृष्ण को भोग लगाने और गीता पाठ करने की प्रथा है, वहीं 22 दिसंबर से राजस्थान के कुछ हिस्सों में पौष उत्सव भी शुरू हो जाता है। सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रक्रिया विंटर सोलस्टाइस से ही शुरू हो जाती है, इसलिए भारत में मकर संक्रांति की तरह ईसाई बहुल देशों में क्रिसमस और नववर्ष जैसे बड़े त्योहार होते हैं।