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Written By WD
Last Modified: शनिवार, 18 दिसंबर 2010 (15:46 IST)

तो घर काट रहा है

तो घर काट रहा है -
हरसू मिले बाज़ार में अल्फाज़ के नश्तर,
घर आके जो बैठा हूँ तो घर काट रहा है।

नश्तर = खंजर-चाकू