गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सिंहस्थ 2016
  3. 84 महादेव (उज्जैन)
  4. Akrureshwar Mahadev
Written By WD

84 महादेव : श्री अक्रूरेश्वर महादेव(39)

84 महादेव : श्री अक्रूरेश्वर महादेव(39) - Akrureshwar Mahadev
एक बार सभी देवी देवता, इंद्र, किन्नर, मुनि सभी पार्वती की स्तुति की कर रहे थे तब शिव के एक गण भृंगिरिट ने पार्वती की स्तुति करने से मना कर दिया। पार्वती के कई बार समझाने पर कि वह उनका पुत्र है ओर केवल शिव स्तुति से उसका कल्याण नहीं हो सकता है, परंतु वह पार्वती की बात नहीं माना ओर योग विद्या के बल पर उसने संपूर्ण मांस पार्वती को अर्पित कर दिया ओर शिवजी के पास पहुंच गया। माता पार्वती ने उसे श्राप दिया कि क्रूर बुद्धि के कारण भृंगिरिट ने उसका अपमान किया है इस कारण वह मनुष्य लोक को प्राप्त होगा। श्राप के प्रभाव से भृंगिरिट तत्काल पृथ्वी लोक पर गिर पड़ा। वहां उसने श्राप मुक्ति के लिए तपस्या प्रारंभ कर दी। तब शिव ने भृंगिरिट से कहा कि पार्वती ही तुम्हें श्राप मुक्त करेगी तुम उनकी आराधना करो। 

आपने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उससे कहा कि महाकाल वन में शिवलिंग का पूजन करें, उसके दर्शन प्राप्त से तुम्हारी बुद्धि सुबुद्धि में बदल जाएगी। भृंगिरिट ने महाकाल वन में जाकर शिव की उपासना की और शिवलिंग से पार्वती आधे शिव ओर आधे पार्वती के शरीर के साथ प्रकट हुई ओर उसे श्राप से मुक्त किया। भृंगिरिट ने वरदान मांगा की जिस शिवलिंग के दर्शन से उसकी सुबुद्धि हो गई। वह शिवलिंग अक्रूरेश्वर के नाम से विख्यात होगा। मान्यता है कि जो भी मनुष्य शिवलिंग के दर्शन कर पूजन करेगा वह स्वर्ग को प्राप्त होगा। उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।