9वां विश्व हिन्दी सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर में आयोजित किया गया। दक्षिण अफ्रीका में सम्मेलन का आयोजन न केवल दक्षिण अफ्रीका के साथ बल्कि इस पूरे क्षेत्र के साथ भारत एवं भारतीयों के ऐतिहासिक, सुदृढ़ एवं बढ़ते हुए संबंधों को परिलक्षित करता है। यह हिन्दी प्रेमियों के वैश्विक समुदाय की इस देश के साथ महात्मा गांधी के संबंधों के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि कहा जा सकता है।
इस सम्मेलन ने दक्षिण अफ्रीका के महान् नेता डॉ. नेल्सन मंडेला के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया जिन्होंने महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित शांति, अहिंसा एवं न्याय के शाश्वत सिद्धांतों को आत्मसात करके पुनः केवल अपने देश के लिए ही नहीं बल्कि विश्व मानव के कल्याण के लिए एक सम्मानित जीवन का मार्ग प्रशस्त किया। सम्मेलन द्वारा डॉ. मंडेला को ससम्मान शुभकामनाएं ज्ञापित की गई।
22 से 24 सितंबर 2012 को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन ने, जिसमें विश्वभर के हिन्दी विद्वानों, साहित्यकारों और हिन्दी प्रेमियों आदि ने भाग लिया, रेखांकित किया किः
हिन्दी के बढ़ते हुए वैश्वीकरण के मूल में गांधी जी की भाषा दृष्टि का महत्वपूर्ण स्थान है।
मारीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना की संकल्पना प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान की गई थी। यह सम्मेलन इस सचिवालय की स्थापना के लिए भारत और मारीशस की सरकारों द्वारा किए गए अथक प्रयासों एवं समर्थन की सराहना करता है।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय भी विश्व हिन्दी सम्मेलनों में पारित संकल्पों का ही परिणाम है। यह विश्वविद्यालय हिन्दी के प्रचार-प्रसार और उपयुक्त आधुनिक शिक्षण उपकरण विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहा है।
सम्मेलन केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की भी सराहना करता है कि वह उपयुक्त पाठ्यक्रम और कक्षाओं का संचालन करके विदेशियों और देश के गैर हिन्दीभाषी क्षेत्र के लोगों के बीच हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहा है।
सम्मेलन इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया विशेषकर हिंदी मीडिया, फिल्मों और थिएटर द्वारा किए जा रहे कार्य की भी प्रशंसा करता है जो हिन्दी के माध्यम से घर-घर तक ज्ञान पहुंचा रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका में हिन्दी शिक्षा संघ तथा अन्य संस्थाओं द्वारा हिन्दी शिक्षण एवं हिन्दी के प्रसार के लिए किए जा रहे कार्य की प्रशंसा करता है और हिन्दी को समर्थन प्रदान करने के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करता है।
हिन्दी में युवा वर्ग की रुचि निरंतर बढ़ रही है जो सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी उपकरण विकसित किए जाने के साथ-साथ हिन्दी फिल्मों, इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा सोशल मीडिया की भूमिका का ही एक भाग है और हिन्दी भाषा को व्यापार, वाणिज्य और बाजार से जोड़ने का परिणाम है।
विदेशी नागरिक हिन्दी भाषा, साहित्य और भारतीय संस्कृति में अपनी रुचि के अलावा व्यावसायिक कारणों से भी हिन्दी सीख रहे हैं जो वैश्विक संदर्भ में हिन्दी की प्रासंगिकता और इसके महत्व को प्रतिपादित करते हैं।
हिन्दी के विकास में विदेश में रह रहे प्रवासी लेखकों की महत्वपूर्ण भूमिका सराहनीय है।
सम्मेलन में स्मारिका और गंगनांचल पत्रिका के विशेषांक प्रकाशित किए गए। इनके सुचारु रूप से किए गए प्रकाशन के किए सम्मेलन इनके संपादक मंडलों और लेखकों की सराहना करता है।
हिन्दी भाषा, साहित्य, सूचना प्रौद्योगिकी एवं विशेष तौर पर महात्मा गांधी के जीवन एवं साहित्य पर लगाई गई समेकित प्रदर्शनी सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण आकर्षण रही है और इसमें सभी प्रतिभागियों ने गहरी रुचि दिखाई है। प्रदर्शनी के आयोजकों के प्रयास की सराहना करता है।
इस अवसर पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद तथा दक्षिण अफ्रीका के स्थानीय कलाकारों द्वारा की गई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने भी सभी उपस्थित प्रतिभागियों को प्रभावित किया। सम्मेलन इन कार्यक्रमों के आयोजकों की सराहना करता है।
सम्मेलन की दैनिक गतिविधियों पर प्रतिदिन एक समाचार पत्रिका निकाली गई। इसके लिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयत्न एवं परिश्रम की सम्मेलन सराहना करता है।
इस अवसर पर दक्षिण अफ्रीका की सरकार द्वारा दिए गए समर्थन, सहयोग, सहायता एवं भागीदारी के लिए सम्मेलन ने दक्षिण अफ्रीका की सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया जिसके कारण इस सम्मेलन का आयोजन सुचारु रूप से संपन्न हो सका।
9वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उपर्युक्त बिन्दुओं पर हुई कार्रवाई के आलोक में सम्मेलन चाहता है किः
मॉरीशस में स्थापित विश्व हिन्दी सचिवालय विभिन्न देशों के हिंदी शिक्षण से संबद्ध विश्वविद्यालयों, पाठशालाओं एवं शैक्षिक संस्थानों से संबंधित एक डाटाबेस का वृहद स्रोत केन्द्र स्थापित करे।
विश्व हिन्दी सचिवालय विश्व भर के हिन्दी विद्वानों, लेखकों तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार से संबद्ध लोगों का भी एक डाटाबेस तैयार करे।
हिन्दी भाषा की सूचना प्रौद्योगिकी के साथ अनुरूपता को देखते हुए सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा हिन्दी भाषा संबंधी उपकरण विकसित करने का महत्वपूर्ण कार्य जारी रखा जाए। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जाए।
विदेशों में हिन्दी शिक्षण के लिए एक मानक पाठ्यक्रम तैयार किए जाने के लिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा को अधिकृत किया जाता है।
अफ्रीका में हिन्दी शिक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए और बदलते हुए वैश्विक परिवेश, युवा वर्ग की रुचि एवं आकांक्षाओं को देखते हुए उपयुक्त साहित्य एवं पुस्तकें तैयार की जाएं।
सूचना प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि के प्रयोग पर पर्याप्त सोफ्टवेयर तैयार किए जाएं ताकि इसका लाभ विश्व भर के हिन्दी भाषियों और प्रेमियों को मिल सके।
अनुवाद की महत्ता देखते हुए अनुवाद के विभिन्न आयामों के संदर्भ में अनुसंधान की आवश्यकता है, अतः इस दिशा में ठोस कार्रवाई की जाए।
विश्व हिन्दी सम्मेलनों के बीच अंतराल में विभिन्न देशों में विशिष्ट विषयों पर क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। इनका उद्देश्य उनके अपने-अपने क्षेत्रों में हिन्दी शिक्षण और हिन्दी के प्रसार में आने वाली कठिनाइयों का समाधान खोजना है। सम्मेलन ने इसकी सराहना करते हुए इस बात पर बल दिया कि इस कार्य को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विश्व हिन्दी सम्मेलनों मे भारतीय और विदेशी विद्वानों को सम्मानित करने की परंपरा रही है इस विशिष्ट सम्मान के अनुरूप ही इन सम्मेलनों में विद्वानों को भेंट किए जाने वाले पुरस्कार अथवा सम्मान को गरिमापूर्ण नाम देते हुए इसे 'विश्व हिन्दी सम्मान' कहा जाए।
विगत में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलनों में पारित प्रस्ताव को रेखांकित करते हुए हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ में आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान किए जाने के लिए समय-बद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
दो विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन के बीच यथासंभव अधिकतम तीन वर्ष का अंतराल रहे।
10वां विश्व हिन्दी सम्मेलन भारत में आयोजित किए जाने संबंधी प्रस्ताव।