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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : सोमवार, 10 फ़रवरी 2020 (16:43 IST)

अतिथि कक्ष या गेस्टरूम के 3 टिप्स

अतिथि कक्ष या गेस्टरूम के 3 टिप्स - Guest room vastu
बैठकरूम (Living room) और अतिथि कक्ष (Guest room) में फर्क होता है। अतिथि कक्ष वास्तु के अनुसार कैसा होना चाहिए, कहां होना चाहिए और उसमें क्या क्या होना चाहिए आओ जानते हैं इस संबंध में 3 टिप्स।
 
 
1. कहां होना चाहिए : कुछ वास्तुकार अतिथि कक्ष को वाव्यव कोण में होना लाभप्रद मानते हैं। इसका कारण है कि इस दिशा के स्वामी वायु होते हैं तथा ग्रह चंद्रमा। वायु एक जगह नहीं रह सकते तथा चंद्रमा का प्रभाव मन पर पड़ता है। अतः वायव्य कोण में अतिथि गृह होने पर अतिथि कुछ ही समय तक रहता है तथा पूर्व आदर-सत्कार पाकर लौट जाता है, जिससे परिवारिक मतभेद पैदा नहीं होते। अतिथि कक्ष दक्षि‍ण-पश्चि‍म दि‍शा अर्थात नैऋत्य में नहीं बनाना चाहि‍ए क्‍योंकि‍ यह दि‍शा केवल घर के स्‍वामी के लि‍ए होती है। आप आग्‍नेय कोण अर्थात दक्षि‍ण-पूर्वी या दक्षिण दि‍शा में भी गेस्‍टरूम बना सकते हैं, लेकिन किसी वास्तुशास्‍त्री से पूछकर।
 
 
2. कैसा होना चाहिए : अतिथि को ऐसे कमरे में ठहराना चाहिए, जो अत्यंत साफ व व्यवस्थित हो। जिसे देखकर मेहमान का मन खुश हो जाए। अतिथि के कक्ष में ही लेटबाथ होना चाहिए। गेस्टरूम का दरवाजा वास्तु के हिसाब से पूर्व दिशा में तथा दूसरा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। गेस्टरूम में खिड़की उत्तर दिशा, पश्चिमी दिशा में या फिर उत्तर-पूर्व कोने में होनी चाहिए। यदि‍ गेस्‍टरूम वायव्‍य कोण (उत्तर-पश्चि‍म)या आग्‍नेय कोण में है तो आपको इस रूम का बाथरूम नैऋत्‍य कोण में बनाना चाहि‍ए और उत्तर पूर्वी कोने में एक खि‍ड़की जरूर रखना चाहि‍ए। उत्तर-पूर्वी दि‍शा में बना पूर्वमुखी या उत्तरमुखी दरवाजा गेस्‍टरूम के लि‍ए सबसे उत्तम होता है।
 
 
3. क्या होना चाहिए : कभी भी गेस्टरूम में भारी लोहे का सामान नहीं रखना चाहिए, अन्यथा अतिथि को लगेगा कि उसे बोझ समझा जा रहा है। इस अवस्था में मेहमान तनाव महसूस कर सकता है। आप इस रूप को ज्यादा से ज्यादा खाली रखें। इसके लिए आप फोल्डिंग बेड, सोफा कम बेड या दो अलग-अलग बेड का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे कमरा भरा-भरा भी नहीं दिखेगा व सुविधायुक्त भी रहेगा। जहां तक हो सके कमरे में एक ऐसी अलमारी की व्यवस्था हो, जिसके ऊपरी भाग में मेहमान अपना सामान रख सकें।