गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
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  4. Ram Temple movement was the link between Kalyan Singh and Goraksh Peeth
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राम मंदिर आंदोलन था कल्याण सिंह और गोरक्ष पीठ के रिश्ते की कड़ी

यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर विशेष

Kalyan singh
Kalyan Singh Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह की 21 अगस्त को दूसरी पुण्यतिथि है। वह राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में थे। मंदिर के लिए सत्ता छोड़ने में उन्होंने एक क्षण भी नहीं लगाया। विवादित ढांचे के ध्वंस के बाद 6 दिसंबर 1992 की शाम को उन्होंने अपने लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य अफसरों की बैठक बुलाई। उनको किसी जवाबदेही से बचाने के लिए फाइल मंगाकर उस पर गोली न चलाए जाने के आदेश दिए।
 
शीर्ष अफसरों और पार्टी के शीर्ष नेताओं से राय मशविरा कर इस्तीफा देने का फैसला लिया। इसके बाद बिना समय लिए वह तत्कालीन राज्यपाल बी सत्यनारायण रेड्डी के पास गए। उनको एक लाइन का इस्तीफा सौंपा। उसमें लिखा था, 'मैं इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया स्वीकार करने का कष्ट करें'।
 
सत्ता में ऐसे लोग विरले ही मिलेंगे जिन्होंने अयोध्या में जो कुछ हुआ उसकी सारी जिम्मेदारी खुद पर ले ली। साथ ही मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। यह उनकी महानता थी और त्याग भी। साथ ही यह संदेश भी कि मेरे लिए भगवान श्रीराम सर्वोपरि हैं। उनके आगे सत्ता कुछ भी नहीं।
 
वह ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का बेहद सम्मान करते थे : गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियां (ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ और मुख्यमंत्री के रूप में मौजूदा पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ) मंदिर आंदोलन से जुड़ी रहीं, इस नाते पीठ से उनका खास लगाव था। कल्याण सिंह बड़े महाराज ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का बहुत सम्मान करते थे। यही वजह है कि जब भी गोरखपुर जाते थे, बड़े महाराज से मिलने जरूर जाते थे। 
 
दोनों के हर मुलाकात के केंद्र में होता था, राम मंदिर : दोनों के हर मुलाकात के केंद्र में राम मंदिर ही होता था। इस मुद्दे पर दोनों में लंबी चर्चा होती थी। दोनों का एक ही सपना था, उनके जीते जी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो। बड़े महाराज के इस सपने को उनके शिष्य बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साकार कर रहे हैं।
 
कल्याण सिंह इस मामले में खुश किस्मत रहे कि उनके जीते जी ही मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। राम मंदिर निर्माण को लेकर उनका अटूट विश्वास था। जब भी मंदिर आंदोलन पर उनकी बड़े महाराज से चर्चा होती थी, तब वह कहते थे कि मंदिर निर्माण का काम मेरे जीवनकाल में ही शुरू होगा। यह हुआ भी।
 
इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक योगी ने इस रिश्ते को निभाया : इन्हीं रिश्तों के नाते दो साल पहले जब कल्याण सिंह गंभीर रूप से बीमार पड़े तो योगीजी ने उनके इलाज में निजी दिलचस्पी ली। उनको बेहतर इलाज के लिए आरएमएल (राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) से एसजीपीजीआई शिफ्ट करवाया। कई बार उनका हालचाल लेने गए। इलाज कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम से लगातर संपर्क रहे।
 
निधन के बाद अंतिम संस्कार से लेकर अन्य कार्यक्रमों में उसी तरह भाग लिया जैसे उनका अपना ही कोई स्वजन सदा सदा के लिए अनंत में विलीन हो गया हो। यकीनन लगाव की यह कड़ी अयोध्या, राम मंदिर आंदोलन और उसके लिए किए गए सामूहिक संघर्षों से ही जुड़ती थी।
Edited by: Vrijendra Singh