ठेका आवंटन को लेकर नोएडा SSP का वीडियो वायरल, डीजीपी ने मांगी सफाई
लखनऊ। गलत तरीके से ठेके लेने के मामले में नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा शासन को भेजे गए गोपनीय दस्तावेज कथित रूप से मीडिया में लीक होने के बीच उत्तरप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने शुक्रवार को कहा कि एसएसपी से पूछा गया है कि उन्होंने वे गुप्त जानकारी क्यों वायरल की?
डीजीपी ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि गलत तरीके से ठेके लिए जाने के मामले में एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण ने जो गोपनीय दस्तावेज भेजे थे, वे मीडिया में वायरल हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि हम लोगों का मानना है कि एसएसपी नोएडा ने एक अनधिकृत संवाद किया। यह सेवा नियमों के खिलाफ है इसीलिए हमने आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) मेरठ से कहा है कि उनसे यह पूछा जाए कि उन्होंने गोपनीय दस्तावेज को क्यों वायरल किया या उसे किसी को दिया?
सिंह ने कहा कि उस गोपनीय पत्र, जिसकी कॉपी आपके पास है, उसमें कई चीजों का जिक्र किया गया था। उसमें अतुल शुक्ला, सकीना, मुहम्मद जुहेब, विष्णु कुमार पांडे, अनुभव भल्ला और अमित शुक्ल समेत 6 लोगों का जिक्र किया गया, जो गलत दस्तावेज के आधार पर टेंडर लेना चाहते थे।
उन्होंने बताया कि गृह विभाग ने शासन के स्तर पर जांच करवाई और उनके विरुद्ध कार्रवाई करवाई गई। उनमें से 2 को जेल भेजा गया है, जबकि 2 ने अदालत से स्थगनादेश ले लिया है, जबकि बाकी फरार हैं। उन्होंने बताया कि गत अगस्त में नोएडा में 5 पत्रकारों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई हुई थी। पत्रकारिता की आड़ में अधिकारियों को ब्लैकमेल करने वालों पर पुलिस द्वारा एक मुकदमा दर्ज किया गया था।
इस बारे में एसएसपी नोएडा ने पूरे तथ्यों की जानकारी और कुछ अन्य गोपनीय दस्तावेज यूपी सरकार, गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को भेजे थे। इसकी जांच कर रहे मेरठ के अपर पुलिस महानिदेशक ने गत 26 दिसंबर को जांच के लिए 15 दिन का और समय मांगा, जो उन्हें दे दिया गया है।
सिंह ने बताया कि इसी बीच एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ है जिसके संबंध में एसएसपी नोएडा ने एक मुकदमा सेक्टर 20 थाने में दर्ज कराया है। जब हमें यह पता चला तो हमने उस मुकदमे को निष्पक्षता के लिए हापुड़ स्थानांतरित कर दिया है, जो वहां के एसपी के अधीन होगा। आईजी मेरठ करीबी से उसकी निगरानी करेंगे ताकि तथ्यों की सही जानकारी के साथ जांच हो सके।
डीजीपी ने कहा कि मीडिया में लीक हुए उस गोपनीय दस्तावेज में कई और लोगों के नाम भी शामिल थे और अभी एजेंसियों से इस ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता जांचनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सारी चीजों की प्रामाणिकता होनी जरूरी है। हमने साइबर क्राइम की मदद ली है और एसटीएफ की भी मदद ले रहे हैं।