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Written By WD Sports Desk
Last Modified: शुक्रवार, 28 जून 2024 (17:19 IST)

3 सालों से अलोचनाएं झेल रहे कोच राहुल द्रविड़ परिकथा अंत की दहलीज पर

व्यक्ति विशेष की जगह टीम के लिए विश्व कप जीतना चाहते हैं द्रविड़

3 सालों से अलोचनाएं झेल रहे कोच राहुल द्रविड़ परिकथा अंत की दहलीज पर - Under scanner for 3 years Rahul Dravid awaits fairy tale ending to his coaching career
भारतीय टीम शनिवार को आईसीसी टी20 विश्व कप फाइनल मैच के लिए ब्रिजटाउन (बारबाडोस) में शनिवार को जब मैदान पर उतरेगी तो कोच के तौर पर इस टीम के साथ राहुल द्रविड़ का यह आखिरी मैच होगा।द्रविड़ का करार बीते नवंबर में वनडे विश्व कप के बाद ही खत्म हो गया था लेकिन टीम प्रबंधन ने टी20 विश्व कप तक उन्हें इस जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया था।

टी20 विश्व कप के भारतीय प्रसारक ने सोशल मीडिया पर ‘डूइटफोरद्रविड़’ (द्रविड़ के लिए करो) का अभियान चलाया है जिस क्रिकेट जगत और प्रशंसकों का समर्थन मिल रहा है लेकिन 51 वर्षीय द्रविड़ इस वैश्विक खिताब को किसी व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि टीम के लिए जीतना चाहते हैं।

द्रविड़ के लिए विश्व कप जीतना कोई व्यक्तिगत गौरव का क्षण नहीं होगा यह टीम की उपलब्धी होगी। उनके मुताबिक भारत अगर विश्व चैम्पियन बनता है तो यह टीम के प्रयास और रोहित शर्मा की प्रेरणादयी कप्तानी का परिणाम होगा।

द्रविड ने अपने विचारों को साफ करते हुए कहा ‘स्टार-स्पोर्ट्स’ से कहा, ‘‘ मैं बस अच्छा क्रिकेट खेलना चाहता हूं। मैं इस बात के खिलाफ हूं कि टीम को इसे किसी व्यक्ति विशेष के लिए करना चाहिये। मैं इसके बारे में बात नहीं करना चाहता और न ही इस पर चर्चा करना चाहता हूं।’’

उन्होंने इस मौके पर उस वाक्य का जिक्र किया जिससे उन्हें पिछले कई वर्षों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं ‘किसी के लिए कुछ करो’ पर विश्वास नहीं करता हूं। मुझे वह उद्धरण बहुत पसंद है जिसमें कोई व्यक्ति किसी और से पूछ रहा है, ‘आप माउंट एवरेस्ट पर क्यों चढ़ना चाहते हैं?’ और वह कहता है ‘मैं माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना चाहता हूं क्योंकि वह वहीं (माउंट एवरेस्ट) है’।’’

भारतीय कोच ने कहा, ‘‘मैं यह विश्व कप जीतना चाहता हूं क्योंकि यह वहां है। यह किसी (व्यक्ति विशेष) के लिए नहीं है, यह सिर्फ जीतने के लिए है।’’

अपने खेल के दिनों में भारतीय टीम की दीवार कहे जाने वाले द्रविड़ की इन बातों को एक और उदाहरण से समझा जा सकता है।द्रविड़ 2011 में इंग्लैंड दौरे पर शानदार लय में थे। वह इस दौरे पर सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय खिलाड़ी के तौर पर उभरे थे। इस समय कई लोगों का मानना था कि वह अब खेल को अलविदा कह देगें।

इस दौरे के बाद बेंगलुरु में जब उसने इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनका ध्यान अभी साल के आखिर में होने वाले ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है।इस दौरे पर वह कोई निजी उपलब्धि हासिल नहीं करने की जगह भारतीय टीम के लिए टेस्ट श्रृंखला जीतना चाहते थे।

ऑस्ट्रेलिया में कई यादगार पारी खेलने वाले द्रविड़ ने तब कहा था, ‘‘ हमें ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला जीतनी है। और मुझे लगता है कि टीम के लिए मेरी यह जिम्मेदारी है। ’’

वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जैसे बल्लेबाज उस दौर में अपना नैसर्गिक खेल आसानी से खेल पाते थे क्योंकि उन्हें पता था कि दूसरे छोर दबाव झेलने के लिए द्रविड़ मौजूद थे।

ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे के लगभग 12 साल के बाद द्रविड़ एक बार फिर से उसी तरह की स्थिति में है।भारतीय टीम अगर केंसिंग्टन ओवल में विश्व कप जीतती है, तो इसका बहुत सारा श्रेय रोहित और टीम के खिलाड़ियों को जाएगा लेकिन इसके एक नायकों में द्रविड़ भी शामिल होंगे।टीम जीते या हारे द्रविड़ उसी तरह से शांतचित रहेंगे जैसा कि वह खिलाड़ी के तौर पर थे।(भाषा)
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