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बलबीर सिंह सीनियर : प्रोफाइल

बलबीर सिंह सीनियर : प्रोफाइल - Balbir Singh profile indian hocky player
बलबीर सिंह सीनियर (जन्म 10 अक्टूबर 1924) भारत के एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी हैं। वह भारत की उस हॉकी टीम के सदस्य थे जिसने तीन ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीते। लंदन (1948), हेल्सिंकी (1952) और मेलबोर्न (1956) में खेली इस टीम में हॉकी के जादूगर ध्यानचंद भी खेले थे। 
 
बलबीर सिंह सीनियर ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने सबसे अधिक हॉकी गोल का रिकार्ड अपने नाम किया है। 1952 के ओलपिंक के दौरान फायनल में नीदरलैंड के विरूद्ध खेलते हुए बलबीर सिंह ने पांच गोल कर रिकॉर्ड बनाया था। उन्हें बलबीर सिंह सीनियर एक अन्य हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह से अलग पहचान के लिए कहा जाता है। 
 
बलबीर सिंह सीनियर भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर और चीफ कोच 1975 में थे। उनके कोच रहते भारतीय टीम भारत ने पुरूषों का हॉकी वर्ल्डकप जीता। 1971 में भारत ने पुरूषों के हॉकी वर्ल्डकप में कांस्य पदक जीता।  2012 के लंदन ओलंपिक के दौरान, रॉयल ओपेरा हाउस के द्वारा सिंह का सम्मान किया गया। 
 
एक प्रदर्शनी के द्वारा ओलंपिक गेम्स की कहानी कही गई। सिंह उन 16 महान खिलाडियों में शामिल किए गए जिन्हें मनुष्य की ताकत, मजबूती, कोशिशों, जुनून, मेहनत, लगन और उपल्ब्धियों के लिए याद किया जाएगा। 
 
परिवार 
 
सिंह के दादाजी पंजाब के गांव पवाद्रा के निकट से थे जबकि उनके नानाजी धनोआ गांव हरिपुर खाल्सा के पास थे। दोनों जालंधर तहसील में आते हैं। बलबीर सिंह के पिता दलीप सिंह दोसांजा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बलबीर सिंह सीनियर की पत्नी सुशील लाहौर के पास के मॉडल टाउन की थीं। उनका विवाह 1946 में हुआ। उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं। सभी कनाडा में बसे हुए हैं। उनकी बहुए चीन, सिंगापुर और यूक्रेन की हैं।
 
हॉकी में शुरूआत 
 
सिंह ने भारत की 1936 ओलंपिक जीत पर एक फिल्म देखी। उन्हें अच्छे खिलाड़ी के तौर पर हरबैल सिंह ने पहचाना। हरबैल सिंह उस समय खालसा कॉलेज हॉकी टीम के कोच थे। उन्होंने बलबीर सिंह को लगातार अपना कॉलेज बदल खालसा कॉलेज आने का कहा। बलबीर सिंह सीनियर का कॉलेज सिख नेशनल कॉलेज लाहौर में था और खालसा कॉलेज अमृतसर में। 
 
आखिरकार बलबीर सिंह ने अपने परिवार की अनुमति खालसा कॉलेज के लिए ले ही ली। हरबैल सिंह से बलबीर सिंह की ट्रेनिंग शुरू हो गई। हरबैल सिंह ने भारतीय नेशनल हॉकी टीम को हेलसिंकी और मेलबॉर्न ओलंपिक के लिए तैयार किया। 1942-43 में सिंह को पंजाब युनिवर्सिटी के लिए चुन लिया गया। 
 
पंजाब युनिवर्सिटी की टीम ने ऑल इंडिया युनिवर्सिटी टाइटल सिंह की कप्तानी में जीत लिया। तीन लगातार साल तक युनिवर्सिटी यह खिताब जीतती रही। सिंह सेंटर फॉर्वड पोजिशन पर खेलते थे। 
 
ओलंपिक में प्रदर्शन 
 
लंदन ओलंपिक (1948) में अर्जिंटिना के खिलाफ सिंह ने 6 गोल किए। इसमें भारत 9-1 से जीता था। सिंह फायनल मैच में भी खेले और दो गोल दागे। ब्रिटेन के खिलाफ भारत की 4-0 से जीत हुई। हेल्सिंकी ओलंपिक (1952) में सिंह टीम इंडिया के वाइस कैप्टन थे। के डी सिंह की कप्तानी में खेलते हुए ब्रिटेन के खिलाफ सेमीफायनल में में सिंह ने हैट्रिक जमाई। उन्होंने भारत के कुल 6 गोल में से 5 गोल किए और नीदरलैंड के खिलाफ मैच जिताया। मैल्बोर्न ओलंपिक (1956) में भारतीय टीम के कप्तान थे। उन्होंने अफगानिस्तान के साथ ओपनिंग मैच में ही 5 गोल दागे परंतु फिर वे चोटग्रस्त हो गए। आखिर में वे सीधे सेमीफायनल में ही खेल पाए। फायनल में भी भारत पाकिस्तान के खिलाफ जीतकर टूर्नामेंट जीता। 
 
अवार्ड 
 
सिंह ऐसे पहले खिलाड़ी  थे जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। भारत सरकार ने उन्हें यह अवार्ड 1957 में दिया। डोमिनिकन रिपब्लिक द्वारा जारी किए गए एक डाक टिकिट पर बलबीर सिंह सीनियर और गुरदेव सिंह थे। यह डाक टिकिट 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक की याद में जारी किया गया था। 2006 में उन्हें सबसे अच्छा सिख हॉकी खिलाडी घोषित किया गया। 2015 में उन्हें मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।